Poonam Singh

Inspirational

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Poonam Singh

Inspirational

" सत्य की गूंज"

" सत्य की गूंज"

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'नहीं नहीं.., मैं नहीं लिख सकती ये कहानी।' उसने झुंझलाते हुए कहा।

'क्यों नहीं लिख सकती ? क्यों की वो तेरा अपना था। आज उस सच्चाई लिखने वाले को सरे आम हमेशा के लिए ख़ामोश कर दिया गया.. क्यों ? सिर्फ तुम जैसे झूठे कलमकारों की वजह से। आजतक तेरे जिज्ञासु मन ने यही सब तो लिखा हैं। झूठ, फरेब, रेप,और लिपि पुती हुई झूठी राजनीतिक कहानियाँ। लिख दे कि उसे मरवाया नहीं गया बल्कि उसने खुद ही अपनी जान ली है।' 'आत्महत्या..। खूब वाह वाही होगी तेरी।'


 आज उसकी अंतरात्मा ने उसे बुरी तरह झंकझोर दिया था। 


'नहीं.हीं.हीं.. ' उसने अपने कानों पर हाथ रख लिया 'यह आत्महत्या नहीं मर्डर है मर्डर.. ' 'उसकी मासूमियत का, उसके सपने, उसकी सच्चाई का सरेआम रेप किया गया । उसके..के .. बाद ... मर्ड..र।'

'उसकी गलती सिर्फ इतनी ही थी ना कि, उसने सदैव सच का साथ दिया।'

 कहते हुए जोर से चीत्कार करने लगी।


'नहीं ... अब और नहीं.. इससे पहले कि मैं पागल हो जाऊँ .. कुछ करूँगी। हाँ .. हाँ ज़रूर कुछ करूँगी..।'


 बेचैनी भरे कदमों के साथ कमरे में चहल कदमी करने लगी । 


 उतार फेंका झूठ फरेब का चश्मा, इंसानियत का चोला पहन एक - एक सबूत को बारीकी से इकट्ठा कर अपने कैमरे में कैद किया और लिख डाली उसके अब तक की निर्भीक और पारदर्शी जीवन गाथा और निकल पड़ी झूठ का पर्दाफाश करने।


"आपने जो कहानी लिखी है बिल्कुल नहीं चलेगी।"

"क्यों नहीं चलेगी ?"

 "देखिए मैडम मैं आपके जज़्बे को समझ रहा हूँ किन्तु हमारी दुनिया जज्बातों से नहीं चलती। आप भली-भाँति जानती हैं कि नैतिकता भरी कहानियाँ नहीं, बल्कि झूठ, फरेब, रोमांस बिकता हैं। इसमें हम दोनों को कुछ नहीं मिलने वाला।"


 "क्यों नहीं बिकेगा ?" उसने बिफरते हुए कहा। "आप कोशिश ही नहीं करना चाहते हैं। सबको दलाली की खाने की आदत पड़ गई हैं। "

" क्षमा कीजिए मैडम इस बार मैं आपकी मदद नहीं कर पाऊँगा।" उसने साफ लफ्जों में इनकार करते हुए कहा।


 उसने कई प्रकाशक का द्वार खटखटाया किन्तु सबने दरवाज़ा बंद कर लिया यह कहकर कि आपकी कहानी छापने का मतलब है अपनी जान जोखिम में डालना।

 उसने ठान लिया था, चाहे जो हो अब वो सच्चाई का दामन कभी नहीं छोड़ेगी और अपनी कहानी के जरिए उसे न्याय दिलाकर रहेगी। इस तरह जीने से अच्छा है सच्चाई के लिए मर जाना। बरसों की जो थोड़ी बहुत जमा पूंजी थी और अपने आभूषण सब बेच कर किसी तरह एक छोटे से प्रकाशक से किसी प्रकार किताब प्रकाशित करवाया और देखते ही देखते उसकी लिखित कहानी ने तहलका मच दिया। अनेकों अख़बार की सुर्खियाँ बटोरी। और उसके आधार पर उसे समुचित इंसाफ दिलवाने में सफल रही।


 आज टेबल पर रखी उसका चश्मा, पेन, कॉपी, कैमरा गर्वानवित महसूस कर रहे थे।


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