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Vijay Kumar Vishwakarma

Abstract

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Vijay Kumar Vishwakarma

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सरोकार

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राजीव जी के घर से जोर जोर से चिल्लाने की आवाजें आ रहीं थीं । राजीव जी अपने एकलौते बेटे महीप को भला बुरा कह रहे थे । पड़ोसियों ने झांक कर देखा मगर किसी ने भी बाप बेटे के बीच पड़ने की जरूरत नही समझा । राजीव जी अपने बेटे महीप को लताड़ते हुए कह रहे थे - "मोबाईल ने इसका दिमाग खराब करके रख दिया है... दिन रात मोबाईल में डूबा रहता है... पढ़ने का नाम तक नही लेता... काॅलेज पहुंच गया फिर भी बचपना नही गया... मोबाईल के मत्थे पास होगा ?"


महीप का तल्ख जवाब सुनाई दिया - "ओपन बुक एग्जाम है... जब किताब देखकर ही जवाब लिखना है फिर पढ़ने में क्यों समय बरबाद करूँ?"


राजीव जी गुस्से से चिल्लाये - "जबान लड़ाता है बेवकूफ... पढ़ने से समय बर्बाद नही होता बल्कि ज्ञान बढ़ता है ।"


"मोबाईल पर भी ज्ञान मिलता है ।" - तपाक से उनके बेटे महीप ने जवाब दिया । इसी बीच उसकी माँ की आवाज सुनाई दी जो बीच बचाव करती प्रतीत हो रही थी ।


पड़ोसियों ने उनकी बहस को अनसुना करते हुए एक बार पुनः अपने अपने काम में व्यस्त हो गये । उनमें से ज्यादातर लोग टेलीविजन के न्यूज चैनल में नेताओं की बहस को सुनने में व्यस्त हो गये ।


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