Avinash Agnihotri

Abstract Classics Inspirational

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Avinash Agnihotri

Abstract Classics Inspirational

स्नेहबंधन

स्नेहबंधन

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उथली नींद में सोया सौम्य आज किसी के स्पर्श को महसूस कर जाग उठा।

आंखे खुलते ही उसने देखा उसकी बूढ़ी माँ उसके समीप बैठ अपना दुलारभरा हाँथ उसके सर पर फेर रही थी। यह देख वो झल्लाते हुए बोला,अरे माँ आपको कितनी बार समझाया, मुझे गंभीर बीमारी है।बिना सावधानी के यूँ मेरे संपर्क में आने से आप भी इससे संक्रमित हो सकती है।

पर आप है कि हमारे और डॉक्टर साहब के लाख मना करने पर भी मानने को तैयार नही।उसकी बात सुन माँ धीरे से बुदबुदाई तू नही जानता रे, मैं कैसे अब तक अपने कलेजे पर पत्थर रख तुझ से दूर गांव में रही थी।पर यहां आकर अब मुझे खुद से दूर रहने को ना बोल।

बेटा बीमार तो तू बचपन मे भी कई बार हुआ पर मैने कभी तुझे अपने से दूर न किया।और फिर अपने बच्चे के सर पर हाँथ फेरने से भी कभी कोई माँ बीमार हुई है।

इतना कहते हुए मीरा की आंखों से आंसू लुढ़क गए, और सौम्य ने भी गहरी सांस लेते हुए अपनी आंखें फिर बंद कर ली।


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