Vibha Rani Shrivastava

Tragedy Inspirational

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Vibha Rani Shrivastava

Tragedy Inspirational

समय की खींचातानी/खींचा-खींची

समय की खींचातानी/खींचा-खींची

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"महातूफान के पहले वक्त पर प्रकृति सचेत करती है...! हम नासमझ नजरअंदाज कर देते हैं...। 'मुझसे नासमझी में बड़ी गलती हो गयी है उसे नज़रअंदाज कर मुझे तलाक नहीं दिया जाए।' जब आपकी पत्नी कह रही है तब आप क्यों अड़े हुए हैं?"

"दूसरा मौका देने का अर्थ होगा, अपने लिये कारावास की तैयारी कर लेना। किसी की आदत बदली जा सकती है फितरत नहीं।"

"कोर्ट को बताना चाहेंगे ऐसी क्या बात है।"

"बाईस चौबीस बिस्तरों वाला कन्या-नारी आवास बनाने की योजना चल रही थी। हर उम्र की कन्या-नारी का रहना होता। उनके फुदकने-चहकने से गुंजायमान् रहता घर-आँगन-ड्योढ़ी। घर मेरी माँ के नाम पर था। माँ का वृद्धावस्था सुकून से कट जाता। लेकिन मेरी पत्नी को वो घर अपने नाम पर चाहिए था। वो मालकिना हुकुमत चलाती। माँ वृद्धाश्रम जाने के लिए तैयार थी। मेरे तैयार नहीं होने पर पत्नी रानी अपने सारे गहनों के साथ मायके चली गयी। ट्विटर कोचिंग कक्षा से सुलगी आग, इंस्टाग्राम माध्यमिक विद्यालय से सुलगी आग में घी, वाट्सएप्प उच्च विद्यालय से हवन सामग्री, फेसबूक महाविद्यालय से तेज हवा मिलने से तलाक का नोटिस भेजवा दिया। क्या मैं बुजुर्ग की दुर्दशा के प्रति लापरवाह बन जाता और पत्नी को खुश रहने में सहायक होता। तलाक नहीं चाहती है तो मेरे साथ रहने की पहली और आखरी शर्त है माँ का घर माँ के नाम पर ही रहेगा और उनके नहीं रहने पर वो कन्या-नारी आवास ही रहेगा। कैसा भी तूफान आये मेरे रहते वट वृक्ष नहीं उखड़ सकता। 


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