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Vibha Rani Shrivastava

Inspirational Others

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Vibha Rani Shrivastava

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किस्सा की कहानी : डायरी में दर्ज

किस्सा की कहानी : डायरी में दर्ज

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नवम्बर 1993

छठवीं बच्ची की भी शादी हो गयी। चिकित्सक पिता के लिए आसान नहीं था दो बेटों और चार बेटियों की अच्छी परवरिश और उच्च स्तर की पढ़ाई करवा लेना। समय पर सबकी शादी करवा गृहस्थी बसा देना। कभी-कभी पहाड़ को स्पर्श पाकर फफ़क पड़ते देखा गया।

अगस्त 1980

बड़ा बेटा चिकित्सक की पढ़ाई छोड़कर माँ के पास आ गया। उसे खर्च के लिए पिता पर बोझ नहीं बनना है। अपनी बहनों की पढ़ाई और शादी के खर्चो में सहयोग कर सके इसलिए खेती और व्यापार पर ध्यान देना है। मौसी माँ की छोटी बेटी चिकित्सक बनने की तैयारी कर रही है। उनके बेटे को भी चिकित्सक बनने हेतु प्रेरित करना है। जिम्मेदारी की दवा की कुछ खुराक ज्यादा ली है।

जून 1963

हैजा महामारी विकराल रूप धरे हुए है। ना जाने क्या विचारकर वादी-प्रतिवादी सलट लिए और उनका आपस के समझौता पत्र के साथ अदालत में मुकदमा वापस लेने की अर्जी लग गयी। अधिवक्ताओं में खलबली मच गयी वे भौंचक्क रह गए। वाद निरस्त करने का फैसला सुनाते ह

ुए न्यायधीश ने कहा, "खुशी की बात है। जीवन में बदलते वक़्त के साथ विचारों में बदलाव हो जाता है। कई बार जिंदगी में समझौता करना पड़ता है। अगर समझौते से रिश्ता बचता है, जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है, किसी का भला हो जाता है और नफरत मिट जाती है तो समझौता कर ही लेना चाहिए। और सुलह इस आधार पर हुई कि तीन दिन पति एक पत्नी के साथ और तीन दिन दूसरी पत्नी के साथ रहेगा। रविवार और पर्व वाले दिन पूरा परिवार एक को साथ, यदि चाहें मिलते रहेंगे और कोई भविष्य में किसी पर किसी तरह का मुकदमा नहीं कर सकेगा।

मार्च 1960

माता-पिता की पसंद से बड़ी बहन से शादी किया था। तीसरे प्रसव के समय बच्चों का ख्याल रखने के लिए बहन आयी थी। उसके गर्भ ठहर जाने के कारण बहनोई से शादी करनी पड़ी। दोनों ने मिलकर अदालत में पहली पत्नी से तलाक का मुकदमा दायर कर दिया। फिर प्रयत्नशील हुआ गया, संघर्ष की लंबी और अंधेरी रात काटकर सफलता की प्रकाशित भोर सबके हिस्से में लाया जा सके।



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