मृगमरीचिका
मृगमरीचिका
"विदेश में नाम कमाता, शिखर पर पहुँचता बेटे की माँ होकर आप कैसा अनुभव कर रही हैं?"
"नजर रही पुरानी
दुनिया बिखर जायेगी
नजरिया बदल गया
दुनिया सँवर जायेगी
पापा आपके सेवा निवृति में अभी डेढ़ साल बाकी है। मैं यूँ गया और यूँ आया। विदेश में रहने का अवसर आसानी से कहाँ मिलता है! वेतन वृद्धि का अवसर खोना नहीं चाहता।"
"मेरे बाद भी इस दुनिया में
जिन्दा मेरा नाम रहेगा
जो भी तुझको देखेगा
तुझे मेरा लाल कहेगा
तेरे रूप में मिल जायेगा
मुझको जीवन दोबारा
–जाओ जी लो प्राण धारण अत्यधिक प्यारा!"
"पिता लू भरी दोपहरी में यह काम किया पूत के लिए छाँव ढूँढ़ने का वह वट बना।
ओझल होना ना था एक पल भी गवारा
पिता ही साथी रहे हैं, पिता ही थे सहारा।
आज आठ साल के बाद भी पिता दिवस के दिन प्रवासी पूत का मुझ माता को विडियो कॉल आया, इतनी सुबह? अभी तो वहाँ 5 ही बजे होंगे न!"
"वहाँ तो शाम है न। मैं अन्य कॉल पर व्यस्त हो जाऊँगा। पापा से बात करवा दो। आज पापा दिवस है।"
"इकलौता बेटे का वहाँ विदेश में पिता के दर्शन से ही दिन शुरू और यहाँ शामें ख़त्म अन्धेरा शुरू।"