समुद्री कचरा
समुद्री कचरा
प्रदूषण एक तरह दिखने वाला वायरस है। जिसे हम सब देखकर भी नजर अंदाज करते है।
अक्सर प्रदूषण के कारण ज्यादातर नुकसान को देखा नहीं जा सकता है, जबकि समुद्री प्रदूषण को स्पष्ट किया जा सकता है।
क्योंकि इस कचरे की वजह से ना जाने कितने जीवों की हत्या होती है।
समुद्री प्रदूषण तब होता है जब रसायन, कण, औद्योगिक, कृषि और रिहायशी कचरा, महासागर में प्रवेश करते हैं।
और हानिकारक प्रभाव, या संभवतः हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। समुंद्री प्रदूषण के ज्यादातर स्रोत थल आधारित होते हैं। प्रदूषण अक्सर कृषि अपवाह या वायु प्रवाह से पैदा हुए कचरे जैसे अस्पष्ट स्रोतों से होता है।
प्लास्टिक बैग, सिक्स पैक रिंग्स और अन्य प्लास्टिक कचरा जो समुद्रों में प्रवेश करता है, वो वन्य जीव-जंतुओं और मत्स्य उद्योग के लिए खतरा है। इससे जलचर जीवन के फंसने, सांस रुकने और अंतर्रग्रहण का खतरा है।
मछली पकड़ने का जाल, जो आमतौर पर प्लास्टिक से बनता है, मछुवारों द्वारा समुद्रों में छोड़ा या खो सकता है। घोस्ट नेट्स के तौर पर जाने-जाने वाले इन जालों में, मछलियां, डॉल्फिन्स, समुद्री कछुएं, शार्क्स, ड्यूगॉन्ग्स, मगरमच्छ, सीबर्ड्स, केकड़े और दूसरे जंतु फंस सकते हैं।
उनका आवागमन बाधित होता है, जिससे भुखमरी, मांस या अंग कटना और संक्रमण हो सकता है और जो जीव सांस लेने के लिए समुद्री सतहों पर आते हैं वो दम घुटने से मर जाते हैं।
हरियाली - मेरा भारतवर्ष महान है, यहाँ के लोगों में कितनी ही बुराइयाँ क्यों न हो। लेकिन खेती करने में पूरी दुनियाँ से माहिर है।
और इसी खेती के कारण हम सब जिंदा है।
मेरा भारत महान।
जय हिंद विजय हिन्द
राष्ट्रहित में चलते रहे जोश, जज्बे और जुनून के साथ।
वंदे मातरम्।