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Shailaja Bhattad

Abstract Inspirational

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Shailaja Bhattad

Abstract Inspirational

समझदारी

समझदारी

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"भैय्या ड्रेस में थोड़ा ज्यादा मार्जिन रखना ताकि अच्छे से चार-पाँच साल चल जाए।"


"मैडम अगर आप एक ही कपड़ा चार-पाँच साल चलाएँगी, फिर तो हमारा धंधा ही चौपट हो जाएगा। हमें अपनी आय का साधन बदलने की नौबत आ जाएगी।"


 "भैय्या आप तो सीधे-सीधे पर्यावरण की धज्जियाँ उड़ा रहे हो। जितने कम कपड़े खरीदेंगे उतना ही कम प्रदूषण होगा। उतने ही कम संसाधन उपयोग में आएँगे। वैसे भी आबादी बहुत अधिक है, सौ नहीं तो रोज के नब्बे तो सिलने आएँगे ही न।"


 "आप बात तो सही कह रही हैं।" 


"हाँ! एक और बात, आप ही हमेशा कहते रहते हैं न, बहुत काम है, आपके कपड़े एक-दो दिन में नहीं, एक महीने के बाद ही दे पाऊँगा। फिर तो अच्छा है न, इससे आप पर काम का ज्यादा बोझ भी नहीं आएगा और आमदनी तो आपकी चलती ही रहेगी।"

"वाह! मैडम, आपने तो पूरा गणित ही कर डाला।'


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