इक्कत
इक्कत
"अनंत कल तूने कितना अच्छा शर्ट पहना था। मेरी बर्थडे गिफ्ट का कुर्ता तो उससे भी ज्यादा सुंदर है।" पार्थ ने घर में प्रवेश कर, कुर्सी पर बैठते हुए कहा। "चलो देना सफल हुआ पार्थ।" अनंत ने अपने टिफिन को बेग में रखते हुए कहा। "घर पर सभी को बहुत पसंद आया। मम्मी ने पूछा है, कहाँ से खरीदा है? क्योंकि घर में सबको ही चाहिए।" "पिछले महीने हम पोचमपल्ली गए थे; वहाँ इक्कत का काम होता है। प्योर कॉटन पर नेचुरल व सिंथेटिक दोनों तरह की डाई से प्रिंट करते हैं।" अनंत ने ऑफिस के लिए पानी की बोतल भरते हुए बताया। "तुम लोगों ने किससे प्रिंट करवाया?" "हमने नेचुरल डाइड कॉटन के अलग-अलग प्रिंट के क्लॉथ खरीदकर घर में सबके लिए कुछ-न-कुछ सिलवाया है। आओ तुम्हें दिखाता हूँ।" अपने बैग को नीचे रखकर अनन्त, पार्थ को कमरे में लेकर गया। "कितने यूनिक कलर कॉन्बिनेशन है।" हाँ, सही कहा। वहाँ के बुनकर सिर्फ बुनकर नहीं, बहुत अच्छे डिजाइनर भी हैं। वहाँ हर करघा रंगों से प्रतिदिन एक नई कहानी बुनता है।" "सही कहा, हर उत्सव के लिए हम अलग-अलग प्रिंट व वर्ण संयोजन के कपड़े सिलवा सकते हैं।" "बिलकुल, दिनभर गूँजती हथकरघों की लयबद्ध आवाज में सुबह से शाम कब हो जाती है, पता ही नहीं चलता। शांति और ईश्वर के प्रति कृतज्ञता का भाव लिए इक्कत बुनते कारीगर के हर धागे में भक्ति समाहित रहती है।" "सही कहा, कुर्ता पहनकर मुझे भी मिट्टी से जुड़े होने का अहसास हुआ।" "याद है तुम्हें पिछले सप्ताह मैंने तुम्हारा कुर्ता माँगा था, यह कहकर कि मुझे इसकी सिलाई अच्छी लगी। दरअसल वह तुम्हारे बर्थडे गिफ्ट के लिए सरप्राइज कुर्ता देने की तैयारी थी।" कपड़ों को वापस घड़ी कर रखते हुए अनंत ने बताया। "वाह मित्र तुमने मेरे लिए इतना सोचा।" "फिर मित्र भी तो खास है।" "अगली बार हम सब साथ चलेंगे पोचमपल्ली।" कहकर पार्थ और अनंत दोनों ऑफिस के लिए निकल गए। #########
