परिवार
परिवार
परिवार- लघुकथा पत्र शैली में
भैया- भाभी को प्रणाम।
बच्चों को ढ़ेर सारा प्यार।
भैया चूँकि आमने-सामने बात करने की हिम्मत नहीं हुई, इसलिए मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूँ।
"आपका मेरे प्रति अविश्वास, मेरे लिए असहनीय हो रहा है। अभी तक आपको विश्वास नहीं हुआ, कि मैं अपना यह घर आपसे कभी नहीं लूँगा। आप आराम से रहिए यहाँ पर। मेरी पत्नी व बच्चों की तरफ से भी निश्चिंत रहिए। ये सब परिवार की अहमियत समझते हैं। आप ही बताइए जब इसी शहर में मेरा दो वर्षों के लिए तबादला हुआ था, क्या हममें से कभी-भी किसी ने आपसे घर खाली करने के लिए कहा क्या? नहीं न? आपसे एक शब्द भी कहे बिना हम लोग किराए के घर में रहे, फिर भी आपको हम पर विश्वास नहीं है, लेकिन आपके अविश्वास का कारण क्या है? आप तो मुझे बचपन से जानते हैं।
मैं आपका दु:ख बहुत अच्छे समझ सकता हूँ, लेकिन मेरे प्रति अविश्वास का कारण नहीं। पिताजी के कुछ भी काम न कर पाने के कारण आपको अपनी पढ़ाई बीच में ही रोककर छोटा-मोटा काम करना पड़ा ताकि हमारा घर चल सके लेकिन आपने मेरी पढ़ाई को रुकने नहीं दिया। फिर आपके इस त्याग के सामने यह घर क्या चीज है? आप जो भी माँगेंगे मैं दूँगा। मेरे भतीजे-भतीजी की शादी की जिम्मेदारी भी मैं ही लेता हूँ। आप और भाभी निश्चिंत रहिए और बस इनकी अच्छी परवरिश और पढ़ाई की तरफ ध्यान दीजिए। आपसे घर बाबत भाभी ने कुछ कहा क्या? अगर इस घर को लेकर आपकी गृहस्थी में तनाव है, तो लीजिए यह घर मैं आपके नाम कर देता हूँ। इस गले की फाँस को ही निकाल देता हूँ। सारे कागजात हस्ताक्षर करके भिजवा देता हूँ, फिर तो आप खुश होंगे न और मुझसे बड़े भाई का रिश्ता बनाए रखेंगे न?
आपका छोटू सदैव।
