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Rohit Verma

Abstract

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Rohit Verma

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सकरात्मक विचार

सकरात्मक विचार

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आप बचपन में मां-बाप को देखकर सीखते है और वहीं गुण आपके अंदर आयेंगे, जिस घर में मंदिर नहीं वो घर नहीं,।

जैसे आपके दोस्त की संगत होगी वहीं संगत आपके अंदर पलने लग जाएगी। अपनों की परख मुसीबत में ज्ञात होती है।

आपकी पहचान तब होगी जब आप पहचान बनाने की कोशिश करोगे।

जब तक आपकी सोच में अमीरी नहीं तब तक आपका अमीर होना संभव नहीं।


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