रूह ओर रात का खेल
रूह ओर रात का खेल
दिल्ली के छोटे से शहर की गलियारों मे तरनजीत नाम का लड़का रहता था जो 29 साल का था. दिल्ली मे फैलता डिप्रेशन जो दिल्ली को खौखल कर रहा था. जहां अवसाद, गुस्सा, नशा, नफ़रत का बाजार बन चूँका था. एक दिन वह अकेले ही दिल्ली के रास्ते में चल ही रहा था. तभी प्यासी बिल्ली जो भूख से तड़प रही थी तरनजीत ने अपनी जेब के अंदर एक 10 रुपए का नोट था वह उस नोट से दुकान से दूध लाया उसको पिलाने लगा. दूध पीते ही बिल्ली गायब हो गई. फिर अगले दिन फिर रास्ते से गया अब एक कुत्ता बार बार उसका रास्ता रोकने लगा तब उसको समझ नही आया ये क्या हो रहा उसकी नजर जेब पर पड़ी ओर 10 का नोट था उससे उसके लिए एक ब्रेड खरीद ली ओर कुत्ते को खाने के लिए डाल दी जैसे ही कुत्ते ने खाई वह कुत्ता भी गायब हो गया. अगले दिन वह घर से निकला इस बार रास्ते हनुमान जी मूर्ति जो रोड यूंही पड़ी हुई थी.
वह घबरा गया की हनुमान जी की मूर्ति रोड़ पर कैसे पड़ी है. वह रास्ता बिल्कुल खाली था रात के 11 बज रहे थे . रास्ते में चल ही रहा था पीछे से किसी के हंसने ओर रोने की आवाज आने लगी ऐसा लगा जैसे तरनजीत को कोई बुला रहा हो. वह डर के मारे कांपने लगा किसी की रूह उसके आस पास घूम रहीं थी. हनुमान जी की मूर्ति हाथ में पकड़ने के बाद उसका डर मानो मर गया हो. एक दम से उसके हाथ से हनुमान की मूर्ति छूट कर टूट गईं. फिर वह रूह उसके पास आने लगी एक दम से सफेद परछाई उसके सामने खड़ी थी जो बोल रही थी तुझको कही जाने नही दुगी तुझको झकड़ लुंगी. वह रूह उसके अन्दर घुस गईं. उस रूह ने तरनजीत को काबू कर लिया. वह रोड़ पर बहुत तेज भागने लगा जो इंसानी शक्ति से भी ज्यादा तेज था . कुछ लोग उसको देख कर हैरान होने लगे कि ये आदमी इतना तेज कैसे भाग रहा है. रास्ते में चलते चलते किसी दुकानदार ने रात के समय में हनुमान चालीसा सुन रहा था . वह रूह फिर उसके शरीर से निकली ओर वह साधारण होने लगा. तरनजीत को अपना होश नही था कि उसके साथ क्या हो रहा है. फिर दुबारा वह आगे बढ़ने लगा हनुमान चालीसा की आवाज कम हुई फिर से वह रूह उससे चिपकने लगी. इस बार रूह उसको जोर जोर से हंँसने के लिए मजबूर करने लगी. वह सोसाइटी की तरफ था लोग बालकनी में आकर तरनजीत को देखने लगे. ओर उसकी हँसी देख कर लोग डरने लगे क्योंकि वह साधारण आदमी से बहुत अलग हँस रहा था. उस समय रात के 12 बज चुँके थे. सोसाइटी के बाहर किसी के पास मेहदीपुर बालाजी का गंगाजल था वह बालकनी से उसके ऊपर चिढ़क दिया. फिर से वह साधारण हो गया. जिस बिल्ली ओर कुत्ते को दूध ओर ब्रेड दी थी वह भूत की रूह थी जो उसके पास भेष बदल कर आई थी.
अब आगे चलता गया फिर जब गंगाजाल का असर खत्म हुआ. फिर वह रूह दुबारा चिपक गईं इस बार वह तेज तेज रोने लगी. इस बार वह हनुमान जी के मंदिर के पास खड़ा था . वह रूह तड़पने लगी ओर जोर जोर चीखने लगी .
सुबह होने तक वह उस मन्दिर के पास बैठा रहा. सुबह चार बजे जब वह उठा तो अपने साधारण रूप में घर की ओर चल दिया.
शिक्षा: - भगवान से बड़ी शक्ति कुछ नही . आपके साथ क्या चल रहा है ये देखना जरूरी है .
