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Rohit Verma

Classics Fantasy

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Rohit Verma

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अवसाद ओर बाबा का चमत्कार

अवसाद ओर बाबा का चमत्कार

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दिल्ली की भीड़ की गलियारे मे सुरेन्द्र नाम का युवक रहता था जिसकी उम्र 29 साल थी वह सोच के मायाजाल में फँसा हुआ था। हर दिन बस एकांत मे रहना। मानो दिल्ली की हवा मे ही अवसाद फैला हो। बढ़ता प्रदूषण , बढ़ती परेशानी, लोगों की हद से ज्यादा भीड़ ओर गुस्से से ग्रस्त हर कोई। 

सुरेंद्र को कामकाज की जरूरत ही नही थी वह वैसे ही पैसे वाला बहुत था। लेकिन वह पैसा भी खुशियां न दे पाया। किसी बात की समस्या उसको परेशान कर रही थी। किसी ने बोला दिल्ली बदलो यहां अब पहले जैसा नही यहां हर कोई परेशान है। वह एक साल के लिए पहाड़ की यात्रा के लिए निकल गया। वहाँ कैंप लगा कर रहने लगा लेकिन दिमागी अवसाद उसको वहाँ भी खींचने लगा।

एक दिन उसके दोस्त ने बाबा के बारे में बताया जो पूरे तरीके से अवसाद को निकाल कर फेंक देते है। बिना कुछ सोचे समझे वह बाबा की खोज मे निकल गया। बाबा मुशीलाल जो हर बाधा का तोड़ उनके पास होता था। मुंशीलाल बाबा के पास पहुंच कर पूछा - बाबा मुझको अवसाद ने घेर रखा है मैं क्या करू? मुंशीलाल बाबा- तुम जो कर रहे हो वह तुम नही कर रहे ये तुम्हारा दिमाग कर रहा है। मतलब ज्यादा सोचो मत, ज्यादा कुछ करो मत, अपने आपको को ज्यादा घेरो मत। सुरेंद्र बोला - मैं समझा नही। मुंशीलाल बाबा बोले - मैं तुमको एक कहानी सुनाता हूं एक आदमी था जो बहुत अमीर था वह अमीरी का बहुत घमड़ करता था न किसी की मदद करना बस घमंड मे पागल रहना।

एक दिन वह बीमार हो गया खूब पैसों से इलाज करा कर देख लिया तब भी कुछ ठीक नही हुआ । समझ नही आया क्या बीमारी हुई किसी ने बोला अपना सारा धन किसी को दान करदो तुम हमेशा के लिए ठीक हो जाओगे। अब उस आदमी को अपनी बीमारी ठीक करनी थी तो उसने सारा धन किसी को दान कर दिया। वह ठीक हो गया। सुरेंद्र बोला - बाबा जी वह ओर परेशान हो गया होगा। बाबा बोले - सुनो जो घमंड की बीमारी जो चढ़ी थी वह तो ठीक हो गई। वैसे ही अवसाद की बीमारी होती है जो जिस बातो से चढ़ी है उसी से ठीक होती है । सुरेंद्र बोला - मैं समझ गया बाबा जी सही कहा मैं टूटा हुआ हूं ओर जो तोड़ने की कोशिश करते है उनसे ज्यादा जुड़ा हुआ हूं। 

बाबा बोले- अब तुम समझ चुके हो मुझको ओर लोगो को देखना हैं तो तुम आशिवाद देता हूं तुम जिंदगी में हमेशा खुश रहो ओर अगर दुःखी हो जाओ तो मेरे पास जरूर आओ। सुरेंद्र हमेशा के लिए दिल्ली छोड़ बाहर शिफ्ट हो गया जहां उसको अवसाद न घेरे। 

शिक्षा : अवसाद कोई बीमारी नहीं ये दिमाग की सोची समझी चाल है।


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