अवसाद मानसिकता
अवसाद मानसिकता
इस कहानी की शुरुआत दिल्ली के शहर से शुरू होती है जिसकी जिंदगी में दुःख का पहाड़ खड़ा हुआ था दिशात जो एकांत में रहने वाला 29 साल का युवक था जो छोटी छोटी बातों पर दुःखी हों जाता था दिशांत का दिल भी टूटा हुआ था जो किसी के साथ जुड़ नहीं पाया था दिशांत का आता हुआ दुःख गुस्सा, अवसाद, ओर एकांत की ओर लेकर जा रहा था.
एक दिन रास्ते मे चलते हुए एक पोस्टर मिला जिस पोस्टर पर लिखा हुआ था जो अपनी दुःख की कहानी बताएगा 1 करोड़ पाएगा. जो सरकार की तरफ रकम दिल्ली के लोगों को मिल रही थी. वह दुःख साझा करो प्रतियोगिता में शामिल हो गया . कही सारे लोग आए लेकिन सबसे अच्छी ओर दुःख भरी कहानी दिशांत की लगी. लेकिन वह एक करोड़ की रकम दुःख को समाप्त करने पर ही मिलती तो दिशांत को 2 हफ्ते का समय दिया गया कि दिशांत अपना दुःख मिटाएगा तब वह 1 करोड़ पाएगा. दिशांत को उस प्रतियोगिता से हर तरीके की सुविधा मिली जो वह 2 हफ्ते मे कुछ भी कर सकता हैं. वह एक लड़की बॉडीग्रार्ड बना कर लड़की के साथ गया नॉर्वे की ओर निकल गया. वह बॉडीग्राड लड़की बाहर के सब शहर के बारे में सब जानती थी. वह लड़की उसको सब दे सकती थी जो उसकी इच्छा. वह उस बॉडीगार्ड लड़की के साथ सेक्स कर भी लेता तब भी वह खुश न हुआ. अब दिशांत सोच मे पड़ गया किस बात का दुःख था तो नॉर्वे में उसकी पुरानी गर्लफ्रेंड भी आई लेकिन उसके अंदर उसके लिए रिश्ता हमेशा के लिए खत्म कर चुका था अब उसके पास 4 दिन थे दुःख को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए. वह दिल्ली आ गया लेकिन दिल्ली आते ही फिर से दुःखी होने लगा. लेकिन वह दुःख ज्यादा नही 20% थे. दिशांत की कहानी इतनी अच्छी लगीं कि उस पर फिल्म भी बन रही थी 2 हफ्ते बाद उसके अकाउंट मे 1 करोड़ की रकम आ जाती ओर दिशांत हमेशा के लिए दिल्ली छोड़ नॉर्वे शिफ्ट हो जाता. और अपनी खुशहाल जिंदगी जीता.
शिक्षा : दुःख वह नहीं जो आप लाते है दुख वह हैं जो आप खत्म नहीं कर पाते है||