MITHILESH NAG

Tragedy

5.0  

MITHILESH NAG

Tragedy

सीता की अग्रिपरीक्षा कब तक

सीता की अग्रिपरीक्षा कब तक

6 mins
570


आखिर हर युग मे सीता रूपी औरत, माँ, बहन, बेटी को ही अग्नि परीक्षा क्यो देनी होती है, आखिर कब तक.....

हमेशा से ही ये कहाँ गया है कि औरत ही ऐसी होगी इसलिए ऐसा होता है, लेकिन बिना सोचे समझे ही हमेशा औरत पर इल्जाम लग जाता है ।

बारिश का महीना था, पवन और उसकी पत्नी शालू दोनों अपने कमरे में सोए थे, तभी अचानक दरवाज़े की खटखटाने की आवाज़ आती है। दोनों चौक जाते है। पवन जल्दी जल्दी बिस्तर से निकल कर दरवाज़े के पास जाता है लेकिन डरता रहता है।

“पवन ऐसे मत जाओ, देखो पहले खिड़की से कौन है ?” (डरते डरते )

“कौन है, ” ? (खिड़की झांकते हुए)।

लेकिन कोई आवाज़ नही आया और फिर कुछ देर बाद किसी के भागने की आवाज़ आती है। जब दरवाजा खोल कर पवन देखता है तो कोई बहुत तेज़ भागे जा रहा है। कुछ देर वही खड़ा रहा ये सोच कर की श्याद फिर ना आ जाये।

“कौन था पता चला” ? ( शालू तौलिया देते हुए)।

“पता नही कौन था, और ऐसा लगा कोई लड़का 25, 26 साल का हो, लेकिन इतनी रात को होगा कौन ?” ( बिस्तर पर लेट कर )


अगली सुबह.....

रोज की तरह पवन सुबह दुकान जाने के लिए तैयार होता है, वो सुबह सुबह चाय और साथ मे न्यूज़पेपर जरूर लेकर बैठा रहता है। और 9 बजे अपने दुकान जता है। लेकिन आज पता नही क्यो पवन 9 से 9:30 हो गया लेकिन अभी तक नही गया । ऐसा लग रहा था हो ना हो कोई तो रात को जरूर आया था।

“क्या हुआ आज इतनी देर तक कैसे” ? ( सर पर तौलिया लपेटे शालू)

“कुछ नही बस ऐसे ही न्यूज़ पेपर पढ़ते पढ़ते ध्यान नही दिया।”

और पवन अपनी बाइक लेकर कर दुकान निकल जाता है।

कुछ देर बाद....

शालू जल्दी जल्दी तैयार हो कर अपने साथ कुछ पैसे लेकर घर से निकलती है। वो भी आस पास देखती है कि कोई देख तो हक रहा है।

“कितनी बार बोला हूं कि ऐसे रात रात को आने से पवन को शक हो जाएगा लेकिन इसको इतना भी नही समझ मे आता है” (बडबडाते हुए)

रोड के साइड खड़े हो कर ऑटो का इंतज़ार करती है, कुछ देर में एक ऑटो आ कर उसके सामने खड़ी होती है। 

“ भैया, आगे जो नुक्कड़ है वही रोक देना”(कुछ देर चलाने के बाद)

नुक्कड़ पर जब पहुचती है तो सामने एक गली है और कुछ आगे जाने के बाद दाये तरफ फिर जाती है, एक घर के पास रुकती है । इधर उधर देखन के बाद उस घर मे चली जाती है।

“कितनी बार बोली हूँ, इस तरह रात को घर पर मत आया करो लेकिन फिर भी तुम आते हो क्यो ऐसा करते हो”

“वो माफ कर दीजिएगा, रात को तबियत बहुत खराब हो गयी थी और पैसे भी नही थे तो क्या करता।”

अच्छा.....

“ठीक है ये 5000 हजार लो और अब घर पर मत आना, एक बात अब तुम नही आओगे जब मेरा मन करेगा तो मैं आऊंगी, समझे।”

“ठीक है, ” ( सिर हिलाते )

फिर शालू जल्दी जल्दी वापस ऑटो पकड़ कर घर आती है। वो डर रही थी कि कही पवन आ गया तो क्या होगा, उसको बुरा भी लगेगा ।

कुछ दिन बाद.....

एक दिन पवन और शालू अपने गाड़ी से कही घूमने जा रहे थे, कुछ दूर गए ही थे तो पवन की नज़र उस लड़के पर पड़ी जिसको वो रात को अपने घर के पास देखा था। 

“अरे ! ये तो वही लड़का लग रहा है जिसको रात को अपने घर के पास देखा था।”

शालू एक दम से घबरा गयी, ऐसा दिखा रही थी कि नही कोई और होगा उतने रात को तुम को कैसे पता कि वही है।”

पवन को भी लगा कि शायद कोई और होगा और आगे निकल गया गाड़ी लेकर।

कुछ दिन बाद ....

रोज की तरह पवन दुकान गया था,  और शालू फिर जल्दी जल्दी घर से निकली और ऑटो में बैठ कर कुछ दूर निकली ही थी कि वापस पवन की नज़र शालू पर पड़ती है, लेकिन शालू उसको देख नही पति है।

“शालू इतनी जल्दी जल्दी कहाँ जा रही है, वो भी इतने टाइम”कुछ तो बात है।

और पवन भी उसके पीछे पीछे बाइक से जाने लगा । शालू फिर उसी घर पर रुकती है। इधर उधर देखने के बाद घर के अंदर चली जाती है।

पवन भी खिड़की से देखता है तो चौक जाता है क्यो की वो वही लड़का था , जिसको वो उस रात अपने घर के पास फिर बाजार में देखा था ।

पवन बहुत गुस्सा हो जाता है लेकिन वो बिना कुछ बोले वहां से चला जाता है।

कुछ देर बाद घर पर....

शालू जैसे ही घर मे आती है और पवन को देख कर चौक जाती है।

“तुम इतनी टाइम कैसे दुकान नही गए थे क्या ?” ( घबराहट में बोलती है)

“क्यो देख कर दुख हुआ क्या ?” ( गुस्से से)

“नही ऐसा कुछ नही वो कुछ सामान लेने गयी थी।”

“वो भी उस लड़के के घर पर।”

गुस्से में पवन ने शालू को ज़ोरदार थप्पड़ रख देता है और गुस्सा करते हुए

“मुझसे जी नही भरा तो दूसरे मर्द के साथ हमबिस्तर होने चली गयी”

शालू रोती रहती है लेकिन कुछ बोलती नही है,

“तुम जैसे सोच रहे हो वैसा कुछ नही है, ।”

“मैंने अपने आखो से देखा है तुम को उस घर मे।”

“क्या किसी के घर जाना बस वही होता है, क्या मुझे सीता माता की तरह अग्नि परीक्षा देनी होगी, मैं आज भी तुम्हारी हूँ और आगे भी।”

“लेकिन मैं नही मानता कि तुम साफ और पवित्र हो।”

“मैं तुम को कुछ नही बता सकती , चाहे तुम कुछ भी सोचो हर बार की तरह और हर किसी की तरह मैं अग्नि परीक्षा नही दूँगी, तुम को मानना है तो मानो वरना मैं कुछ नही कर सकती।”

लेकिन जब पवन कोयक़ीन नही हुआ तो उसका बाल पकड़ कर अपने चार पहिए गाड़ी में बिठा कर फिर वो उसी जगह लेकर जाता है।

“यही है ना तुम्हारे यार का घर” (घर की ओर आते हुए)

“ प्लीज मत चाओ, मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ।”

लेकिन पवन को तो जैसे भूत सवार था, वो नही माना और दरवाज़े पर पैर मरता है।

लेकिन दरवाजा जैसे ही खुलता है तो एक 10 साल का लड़का बिस्तर पर पड़ा है और पास में उसका भाई उसको चिम्मच से पानी पिला रहा था । उसको देख कर पवन की आँखों से आँसू आ गए ।

क्यो की करीब 3 साल पहले उसी की गाड़ी से इस बच्चे का एक्सीडेंट हो गया था , और डर के मारे वो वहाँ से भाग गया लेकिन मार्केट में ही शालू सब देख चुकी थी। घर पर पवन बहुत डरा डरा से रहने लगा वो कुछ महीने तो एक दम पागल की तरह सोचने लगा लेकिन शालू उसको किसी तरह उस सदमे से उसको बाहर निकलती है।

और पवन को ये बात ना पता चले इसलिए उस बच्चे के इलाज का पूरा खर्च खुद देती थी और पवन को ना पता चले क्योकि उसको पता चला तो और परेशान हो जाएगा ।

शालू रोते रोते .....

“क्यो देखो कौन है, मेरा यार है ना, क्यो हर औरत को अग्नि परीक्षा देनी होती है क्या सच भी कुछ होता है कि नही” ।

“हर बार पति की गलती और उसके सम्मान के लिए सीता रूपी औरत लड़ती है कि उसके पति को कुछ ना हो लेकिन तब भी उसको यकीन नही रहत है।

पवन कुछ नही बोलता है, बस उस बच्चे के पास जा कर हाथ जोड़ कर माफी मांगता है और रोने लगता है।


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