शुरुआत
शुरुआत
"और इस साल का बेस्ट इंटीरियर डिजाइनर का अवार्ड जाता है नेहा को।" अनाउंसमेंट के साथ ही पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
इधर नेहा अपने इस मुकाम तक पहुंचने की यात्रा में इतना खो गई कि झकझोरने के बाद ही वह अपने आपको संभाल पाई। खोए भी कैसे नहीं, क्या उसके लिए यह यात्रा दो नन्ही-सी बेटियों व बूढ़े सास-ससुर के साथ इतनी आसान थी। पति की मृत्यु के समय तो वह सिर्फ एक ममतामई मां, अच्छी पत्नी और सुशील बहू ही थी। फिर पलक झपकते ही जरूरतों ने करियर से हाथ थाम लिया और जिंदगी की गाड़ी बिना रुके फिर पटरी पर आ गई।
पहले एक फिर दो, ऐसे एक के बाद एक न जाने कितने प्रोजेक्ट करती चली गई आज न सिर्फ दो बेटियों का वरन अपने बूढ़े सास-ससुर का भी मजबूत सहारा बनकर खड़ी है और पति से छूटी सारी जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर लेकर दौड़ रही है।