शुभ या अशुभ
शुभ या अशुभ
आज हल्दी रस्म है घर में धूम मची है ।सब तैयारियों में लगे हैं किसी को स्टेशन जाना है तो किसी को ब्यूटी पार्लर तो किसी को खाने पीने का अरेंजमेंट देखना हैै ।मैं खिड़की के पास बैठी सोच रही हूं और कितनी रस्में होती हैं "शादी में"
इतने में ही मुझे खिड़की के पास से चार पांच घर छोड़ हुए बच्चे की खुशी में आए गे दिखाई दिए मैं नहीं जानती सच में ये शुभ होते हैं या नहीं मगर मेरे लिए तो एक अरसे से? लगाए हुए, मेरी शादी बहुत सालों बाद मतलब बड़ी देर से हो रही है इसका एक कारण है शुभ या अशुभ माने जाने वाले वैसे मेरी सगाई हुई थी तब मैंबहुत खुश थी सपनों की दुनिया मैं ज्यादा रहती थी मेरी पसंद की हर बात थी मॉडर्न फैमिली, अमीरबहुत ,सिटी अच्छी खुशी के मारे न जाने कितनी रातें फोन में ही बातें करके गुजारी और कितनी रातें उसी ख़ुशी के गम में जागकर भी .पर मुझे क्या पता था ऐसा भी होता है जब पता चला तो कितने दिन तक मैं कमरे से बाहर ही नहीं निकली कितने महीने अच्छे से खाना भी नहीं खाया डिप्रेशन का शिकार हो गई
मेरी सगाई के बाद पहली मुलाकात सागर से हुई तब हम नए रिश्ते में जुड़े थे ज्यादा घरों की बातें की, फिल्मों की मगर कोई ज्यादा प्यार की नहीं दूसरी मुलाकात मुझे दिल्ली जाना थाशादी में ,और उसे आफिस के काम से तो हमने घर में बताकर साथ में ही टिकट करा ली कितने गिफ्ट खाना लेकर गई थी 2 घंटे की फ्लाइट में सब मुझ पर हंस रहे थे पगली हो गई है प्यार में ,
यह प्यार ऐसा ही होता है हमें अंदर तक बदल देता है मगर सागर शांत था नहीं कोई गिफ्ट .नहीं कोई किस-,किस तो वह मैं ,मैं कैसे करूं ना कभी ज्यादा बात .न आई लव यू कहता ,ज्यादा. शादी कि बातें भी नहींकरता, कभी-कभी शंका होती थी ऐसा क्यों करता है। मेरी सहेलियां तो बहुत रोमांटिक बातें बताती थी हनीमून के सपने देखती थी सगाई के बाद ,शायद शर्म आती है इसलिए सागर ज्यादा बात नहीं करता और मैं बड़बडी हूं सब कहते हैं
मगर वह मुझे कुछ कहना चाहता था क्या सगाई के बाद वही जो हर कोई प्यार में कहता है नहीं नहीं वह परेशान था खुश नहीं मगर मैं सीरियसली अनदेखा कर रही थी। उसने मुझे बैठा कर कहा "मैं कुछ बताना चाहता हूं मैं हंस कर कहने लगी कहो कहो भी .शर्म आ रही है क्या". मैं फिर हंसने लगी तो मुझे घूरते हुए कहा "मुझे माफ करना मैंने झूठ बोला है" मैं चुप हो गई मेरी धड़कन तेज हो गई क्या हुआ उसके बिना कहीं मैं सोचने लगी कहीं शादीशुदा तो नहीं, कहीं कोई अफेयर तो नहीं उसकी आवाज कानों में पड़ी मैं चुप देखती रही मैं लड़कियों में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं लेता लड़कों में लेता हूं मैं समझी नहीं चुप रही कुछ खामोश थी। दिमाग खुशी सुन्न हो गई थी "मैं गे हूं" मेरा मुंह खुला रहा आंखों से आंसू बहने लगे वह मुझसे बातें करता रहा सफाई देता रहा कि "इसमें मेरी गलती नहीं मेरे मां बाप ने मुझे दबाव डाला मगर मैं तुम्हें धोखा नहीं दे सकता था इसलिए तुम्हें बता रहा हूं" वह बैठा रोता रहा मैं भी रोती रही मैं बिना कुछ कहे वहां से चली गई वह बैठा रहा मुझे दूर तक नजर आ रहा था
मैं शादी में नहीं गई टिकट कराई वापस घर आ गई घर वाले ना जाने कितनी बार फोन लगा चुके थे सोच रहे थे। अपने मंगेतर के साथ है इसलिए फोन नहीं उठा रही, मुझे चिढ़ाने के लिए बहनों ने कई बार जीजू की दीवानी जीजू के आगे हम नहीं ,क्या?? जीजू जा जाने कितने मैसेज किए मगर मैंने किसी का जवाब नहीं दिया मुझे घर में देखकर सब हैरान हो गया दौडकर कमरे में गई बंद कर रोती रही घर वाले बहुत परेशान थे। क्या हुआ क्या हुआ क्या बताउ क्या नहीं हुआ, किसी के झूठ में मुझे कितना तोड़ दिया आसमान से सीधे कुएँ मेँ ही फेंक दिया क्या मिला ऐसा झूठ कह कर क्या मेरी लाइफ के साथ कोई इस तरह खिलवाड़ कर सकता है ।देखने में तो लोग शरीफ थे कितने झूठे याद करके खून खोलता है बीमार से हो गई घर वालों की हजारों बातें सुनकर और दुख होता जैसे भी उभरी लगा जीवन की नई शुरुआत करनी है, घरवाले बात हर कदम पर मेरे साथ थे और बाहर वाले घुमा फिराकर कहते वही जो मैं नहीं सुनना चाहती थी, आज खुश हूं मेरी शादी है शुक्र है झूठ की शादी से पहले ही मुझसे मुंह मोड़ लिया वरना मैं जिंदगी भर .क्यों सोच रही हूं सोच कर भी डर लगता है और हमारे घर ढोल की आवाज आने लगी, अम्मा बधाई हो यह जोर जोर से आवाज आ रही है मैं जीवन की एक नए रंग में रंगने जा रही हूं सतरंगी, जिसमे विश्वास और प्यार से हर रिश्ते की शुरुआत कर रही हूं चलिए मैंने विश्वास कर के.....!
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