शरारती को सीख..(बाल कहानी)
शरारती को सीख..(बाल कहानी)


गाँव में एक लड़का था जिसका नाम रोहन था। वह बहुत शरारती था। हर दिन वह किसी न किसी को परेशान करता। कभी दोस्तों की किताबें छुपा देता, तो कभी पड़ोसियों के बगीचे में पत्थर फेंकता। सब उससे परेशान थे।
एक दिन, रोहन ने अपने स्कूल के मैदान में एक बड़ी शरारत की। उसने दोस्तों के पानी की बोतलों में मिर्च का पाउडर डाल दिया। जब दोस्तों ने पानी पिया, तो उनकी आँखों से आँसू निकलने लगे। सबने रोहन की शिकायत टीचर से की।
टीचर ने रोहन को बुलाया और कहा, "रोहन, तुम्हारी शरारतें अब बर्दाश्त के बाहर हैं। आज से तुम्हें पूरे स्कूल का मैदान साफ़ करना होगा। यह तुम्हारी सजा है।"
शुरू में रोहन ने इस सजा क
ो मजाक में लिया। लेकिन जैसे-जैसे वह मैदान साफ़ करता गया, उसे एहसास हुआ कि काम करना कितना मुश्किल होता है। उसकी शरारतें दूसरों को कितनी तकलीफ़ देती होंगी, यह सोचकर वह शर्मिंदा हो गया।
सफाई खत्म करने के बाद टीचर ने उससे पूछा, "अब बताओ, तुम्हें कैसा लगा?" रोहन ने सिर झुका कर कहा, "मैम, मुझे समझ आ गया कि मेरी शरारतें दूसरों को परेशान करती थीं। मैं अब वादा करता हूँ कि ऐसा कभी नहीं करूँगा।"
उस दिन से रोहन बदल गया। वह मददगार और दयालु बन गया। गाँव और स्कूल में सभी उसे पसंद करने लगे।
सीख: शरारतें करना आसान है, लेकिन उनकी सजा से सीखना और खुद को बदलना असली बहादुरी है।