संजय असवाल

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धरती से चाँद तक का सफर :आलेख

धरती से चाँद तक का सफर :आलेख

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धरती से चाँद तक का सफर एक अनसुलझी सी पहेली की तरह बचपन से जवानी तक आँखों मे ख्वाब बन कर तैरता रहता था। बचपन में चंदा मामा की कहानियों से लेकर जवानी में "चाँद सी महबूबा हो मेरी ऐसा मैंने सोचा था" के मोहब्बत के तरानों मे चाँद जवां दिलों में धड़कता रहा है। चाँद पर आशियाना बनाने का ख्वाब हो या चाँद की चांदनी में प्रेयसी के साथ नौका विहार हो, चाँद की मखमली श्वेत चमक ने हमेशा से हम इंसानों को अपनी ओर आकर्षित किया है। 

चाँद को छूने की तमन्ना हो या उसे अपना बनाने की चाहत, विश्व के बड़े बड़े देश उस तक पहुँचने की जद्दोजहद मे लगे रहे ऐसे मे हमारा देश भारत कैसे पीछे रहता। 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान इसरो की अनूठी परियोजना 2008 में चंद्र्यांन के नाम से लांच हुई और एक चंद्र ऑर्बिटर एक इंपेक्टिर् को चाँद की कक्षा में पहुँचाने के बाद दक्षिण ध्रुव के शेक लटन क्रेटर के पास जान बूझ कर क्रेस लैंडिंग करवाई। यह ओपरेशन साफ्ट लैंडिंग की संभावना का आंकलन करने के लिए भविष्य के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ। 

एक दशक बाद चंद्र यान 2 लांच हुआ जिसका मिशन साफ्ट लैंडिंग के साथ चंद्रमा पर रोबोटिक रोवर संचालित करने का था। साथ ही चाँद पर पानी, खनिजों आदि का अध्ययन करना था। परंतु सफलता कुछ कदमों में आकर ठिठक गई।

मिशन की असफलता के साथ लाखों भारतीयों के दिल भी टूट गए, मगर मन में अब भी कुछ पाने की चाहत और गिर कर उठने का हौसला ये साबित करता है कि हमें अभी संघर्षों भरे पथरीले राहों पर चलना है हिम्मत से आगे बढ़ना है। मिशन चंद्रयान 3 की उल्टी गिनती के साथ पूरा विश्व टकटकी लगाए भारत को देख रहा था और हर भारतीय के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। उम्मीदें हिलोरे ले रही थी। सपनें आसमां को छूने को बेताब हो रहे थे। 

मिशन चन्द्रयाँन 3 की कामयाबी के लिए लिए हर कोई दिल से प्रार्थना कर रहा था। 

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री का नेतृत्व और हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत, सच्ची लगन जिसके सुखद परिणाम के साथ जैसे ही रोवर ने चंद्रमा के दक्षिण धुर्व की सतह पर साफ्ट लैंडिंग की, हर भारतीय खुशी से झूम उठा। उम्मीदें सफल हुई। 

भारत अंतरिक्ष की चौथी महाशक्ति बन गया। 

इस गौरवपूर्ण क्षण के सभी साक्षी बने। 

धरती से चाँद तक का सफर इस मिशन के साथ भविष्य में भी समय के साथ चलता जायेगा। 

नई नई खोज होंगी नये प्रतिमान स्थापित किए जायेंगे। 

 " प्रेयसी प्रेमी के हाथो में हाथ डाले यही गुनगुनायेगी "

" चलो दिलदार चले चाँद के पार चले" और तब चाँद तक जाना कल परसों की बात हो जायेगी। 



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