संजय असवाल

Abstract Others

4.3  

संजय असवाल

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ज्यादा लाड करे बंटाधार..!

ज्यादा लाड करे बंटाधार..!

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हर मां बाप अपने बच्चों को दुनिया जहां की खुशियां देना चाहते हैं, उनके सपनों को उनकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपना जी जान लगा देते हैं। रात दिन एक कर देते हैं अपनी तमाम ख्वाहिशों का गला घोंट देते हैं। मां बाप बच्चों की हर ख्वाहिश को सर माथे पर रखते हैं। उन्हें इतना लाड प्यार देते हैं उनकी हर छोटी छोटी जरूरतों को पूरा करते हैं। लेकिन कभी-कभी बहुत ज्यादा लाड-प्यार बच्चों को गलत रास्ते पर लेकर चला जाता है। असल में बच्चे की हर जिद पूरी करना उनके भविष्य के लिए ठीक नहीं है। मां-बाप को बच्चों की हर जिद़ पूरी नहीं करनी चाहिए। जब बच्चा किसी ऐसी चीज की मांग कर रहा है जो ठीक नहीं है, तो उसे प्यार से समझाएं कि वह उसके लिए क्यों सही नहीं है। उसके नफा नुकसान के बारे में उन्हें बताएं। मां बाप को बचपन में ही अपने बच्चों के लिए कुछ नियम और सीमाएं तय कर देंनी चाहिए जैसे सोने-उठने का समय और पढ़ने का समय, खेलने का समय आदि ताकि बच्चे को छोटी उम्र में ही जीवन की सही दिशा से अवगत करवाया जा सके।

जब मां बाप बच्चों को लाड प्यार में बिगाड़ देते है तो बच्चे भी उनकी कमजोरी का फायदा उठाने लगते हैं, उन्हें भावनात्मक रूप से कमजोर करने का काम करते हैं, इस लाड प्यार में बच्चे अपने से बड़ों का सम्मान करना भूल जाते हैं। दूसरों को कमतर आंकना, दूसरों का मजाक बनाना, असभ्य आचरण करना शुरू कर देते हैं। 

मां बाप को अपने बच्चों को बड़ों का सम्मान करना सिखाना चाहिए उन्हें बताएं की बड़े बुजुर्गों का हमेशा सम्मान करें, उनकी बातों को अनदेखा न करे। बड़ों से कैसे बात करनी चाहिए। उनके सामने उठने बैठने के तौर तरीके जरूर बताएं।

मां बाप को ज्यादा लाड प्यार में अपने बच्चों को हर चीज को सहज ही उपलब्ध नहीं कराना चाहिए। मां बाप को जब जरूरत हो तभी अपने बच्चों को पैसे देना चाहिए। बहुत से मां-बाप बच्चों को पॉकेट मनी के रूप में जरूरत से ज्यादा पैसे दे देते हैं, जिसका वो गलत इस्तेमाल कर सकते हैं जब उन्हें पैसा बिना कुछ प्रयास के मिलने लगे तो ऐसा करने से उनके अंदर पैसे की कद्र खत्म हो जाती है। इसलिए बच्चा जब भी पैसा मांगे आप पहले उनसे जानें की वह किस चीज के लिए ले रहा है,जरूरत समझ कर ही उन्हें पैसे या अन्य सामान लाकर दें। अक्सर लाडप्यार में मां बाप बच्चों की गलत हरकतों को भी नजर अंदाज कर देते हैं जो बिलकुल गलत है। बच्चों को गलत व्यवहार करने से रोकें, अगर आपका बच्चा किसी अन्य बच्चे को परेशान करता है, किसी बात को लेकर झगड़ा या असभ्य व्यवहार या अशोभनीय भाषा का प्रयोग करता है, तो उसकी इस हरकत पर तुरंत रोक लगाएं, उसे बताएं किसी को तंग करना,गलत व्यवहार करना अच्छी बात नहीं है। आप उसे उदाहरण देकर समझा सकते हैं कि अगर तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार होगा तो कैसा लगेगा। बच्चे में अच्छी आदतों का विकास करें। लोगों की मदद करना सिखाएं। जब भी मां बाप को लगे बच्चा उनके लाड प्यार का गलत फायदा उठा रहे हैं तो उनको सजग हो जाना चाहिए। उन्हें उनकी हरकतों के लिए डांटने के साथ साथ प्यार से समझना भी आवश्यक है अगर आपका बच्चा बात-बात पर झूठ बोलने लगा है, तो उस पर नजर रखना शुरू कर दें। आप उसके दोस्तों के बारे में पता करें, वह किन लोगों के साथ आजकल ज्यादा उठता बैठता है ,कहां कहां जाता है, क्या क्या करता है सब कुछ मां बाप को पता होना चाहिए, साथ ही हर मां बाप को अपने बच्चों की संगत उनके मित्रों के बारे में पता होना भी जरूरी है। बच्चों की हर गलत हरकतों पर उसको प्यार से समझाएं कि उसकी इस आदत से उसे भविष्य में क्या नुकसान उठाने पड़ सकते हैं। आप उसे समझाने के लिए मोरल स्टोरी का सहारा भी ले सकते हैं। अक्सर कुछ माता-पिता दूसरों के आगे और खुद बच्चे के आगे ही उसकी खूब तारीफ करते हैं। वैसे तो तारीफ करना अच्छी बात है, लेकिन वह समय पर ही सही रहती है। बार-बार और ज्यादा तारीफ करने से बच्चे को तारीफ सुनने की आदत पड़ जाती है और उनकी बुराई सुनने की आदत खत्म हो जाती है। सिर्फ तारीफ सुनने की आदत से बच्चे का मनोबल विपरीत परिस्थितियों में कम हो जाता है।

बच्चे को स्वयं आत्मनिर्भर बनने दे उन्हें लाड़ प्यार से पंगु ना बनाए। कुछ काम उन्हें खुद भी करने दे ताकि उन्हें हर प्रकार की परिस्थितियों में लड़ने खुद की काबिलियत का अहसास हो सके, हार जीत से रूबरू होने का अवसर प्राप्त हो सके। यह बात हमेशा ध्यान में रखें कि हर किसी को अपनी जिंदगी की जंग खुद ही लड़नी पड़ती है। यह बात सुनने में थोड़ी अजीब जरूर है, लेकिन यह पूरी तरह से सच है जब तक बच्चा आपको मदद के लिए न बुलाए तब तक उसकी समस्याओं में मदद ना करे। अक्सर मां-बाप अपने बच्चे की छोटी-छोटी परेशानियों में भी उनकी मदद करने के लिए उतावले हो जाते हैं और ऐसा करके वे बच्चों को भविष्य के लिए कमजोर बना देते हैं।

उन्हें स्वयं सीखने परिस्थियों का सामना करने दें। खुद के प्रयास से चाहे उसमें कितना भी समय लगे, हार या जीत मिले तभी बच्चे सीखेंगे और खुद से सबल होंगे। मां-बाप अपने लाडले बच्चों की सारी जिद पूरी करने लगे रहते हैं। उन्हें उनकी जरूरत की चीज और वे चीजें देना जरूरी है जिनसे उन्हें अच्छा लगे। लेकिन हर एक जिद पूरी करने से भी उनके बच्चे बिगड़ सकते हैं क्योंकि जो चीज बच्चे को आसानी से मिल जाती है वे उसका महत्व नहीं समझते हैं। इसलिए जरूरी है कि उसकी सारी जिद पूरी न की जाए ताकि वे चीजों की महत्त्वता को समझे।

कुछ मां बाप अपने बच्चे की जरूरत से ज्यादा चिंता करते हैं। अगर वह बच्चा है तो उसे गोद में ही रखते हैं और अगर बड़ा है तो उसे हर छोटे-छोटे कामों पर टोकते हैं। ये चीजें बच्चे को परेशान कर देती हैं और इस कारण से वह बिगड़ने लगता है। जिस प्रकार मां-बाप का बच्चे के लिए बहुत ज्यादा प्यार जताना ठीक नहीं है, उसी प्रकार बहुत ज्यादा चिंता करके दिखाना भी बच्चा नकारात्मक रूप से प्रभावी हो सकता है।

मां बाप को अपने बच्चों को भविष्य के लिए तैयार रहना सिखाना चाहिए उन्हें दुःख दर्द विपरीत परिस्थितियों के लिए सज रहना सिखाना चाहिए तभी वो इस यज्ञ में तपकर कुंदन बन पाएंगे।


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