Ram Binod Kumar 'Sanatan Bharat'

Abstract Classics Inspirational

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Ram Binod Kumar 'Sanatan Bharat'

Abstract Classics Inspirational

शह और मात

शह और मात

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मिस्टर लाल का पूरा परिवार चिंतित है। आज करीब दस दिन हो गए ,उनकी सुपुत्री रानी का कोई अता - पता नहीं है। उन्होंने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी लिखा रखी है। रानी के व्यक्तिगत नंबर भी स्विच ऑफ आ रहा है। सभी बहुत चिंतित हैं ।क्या हुआ क्या नहीं !

रानी मिस्टर लाल की इकलौती और दुलारी बेटी है । मिस्टर लाल कपड़े के एक बड़े व्यापारी हैं। उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं है। दिन भर अपने कामों में व्यस्त रहते हैं। श्रीमती लाल भी अपने पति के व्यापार में उनका हाथ बटांती हैं।

घर में एक नौकरानी रूपा है, जो घर का सारा काम देखभाल करती हैं।

रानी बिजनेस मैनेजमेंट से स्नातक की पढ़ाई कर रही है। अभी वह बीबीए में द्वितीय वर्ष की छात्रा है। सोशल मीडिया में टाइमपास के चक्कर में उसका परिचय राज नाम के एक लड़के से होता है। शेयर चैट पर दोनों जुड़ते हैं, और धीरे- धीरे ‌ एक- दूसरे के बेहद करीब आ जाते हैं।

जबकि 24 वर्षीय राज शादीशुदा एवं एक बेटी का पिता भी है। राज की पत्नी नेहा शिक्षिका है, जो विद्यालय आने-जाने की सुविधा को लेकर अपने मायके में हीं रहती है। राज अपने घर के पास के शहर में रहकर अपने पिताजी के कारोबार में हाथ बटांता है।

 राज के पिताजी अनाज के व्यापारी हैं, जो अनाजों के खरीद- बिक्री का कार्य करतें हैं। राज के पिताजी गांव में व्यापार को संभालते हैं, और उसी व्यापार की कार्यों में खरीद-बिक्री का काम राज शहर में रहकर करता है। जहां उसका अपना घर है, जिसमेें उसके अनाजों का गोदाम (भंडार गृह) भी है।

राज और रानी दोनों को एक -दूसरे से बातें किए बिना, चैन नहीं पड़ती थी। रानी को राज ने यह नहीं बताया कि वह शादीशुदा और एक बेटी का पिता भी है। राज ने बिना अपने माता- पिता और पत्नी को जानकारी दिए रानी को भी उसके माता-पिता के बिना सहमति के चुपके से भगाकर कर लाता है, और दोनों राज के शहर वाले घर में साथ-साथ रहना शुरू करते हैं।

रानी, राज को कोर्ट मैरिज करने का सलाह देती है। राज भी उसे जल्द ही कोर्ट मैरिज का कार्य क्या करने का भरोसा देता है।

अब किसी तरह रानी के माता - पिता को, रानी और राज की बातों का पता चलता है। उन्हें यह भी ज्ञात होता है कि राज शादीशुदा पर एक बेटी का पिता भी है।

मिस्टर लाल आकर रानी को समझाने की कोशिश करते हैं ,परंतु एक अलग ही दीवानगी छाए रहने के कारण रानी कुछ सुनना नहीं चाहती ,वह अपनी जिद पर ही अड़ी रहती है, कि वह राज के साथ ही रहना चाहती है।

मिस्टर लाल अपनी बेटी को यह भी समझाने की कोशिश करते हैं , कि राज शादीशुदा एक बेटी का पिता भी है। परंतु रानी उनके बातों का विश्वास नहीं करती है।

मिस्टर लाल आगे राज के पिता से मिलते हैं, और राज तथा रानी की सारी बातें बताते हैं। यह सब जानकर राज के पिता धर्मपाल बहुत दुखी होते हैं, और अपनी बहु नेहा को राज की खबर देते हैं।

 नेहा अपना सिर पीट लेती हैं। फिर वह राज और रानी दोनों पर अपना गुस्सा उतारती हैं।

रानी को भी यह सब जानकर बहुत दु:ख होता है, वह भी पहले तो राज पर अपना गुस्सा उतारती है, फिर कुछ रो -गाकर कर शांत होती फिर खुद को और राज को कोसती है। पर वह अपना सब कुछ लुटाकर कर ठगी महसूस करती है विचारने पर फिर भी उसे कोई रास्ता नजर नहीं आता है।

राज ,नेहा और रानी दोनों से माफी मांगता है, रोककर गिड़गिड़ा कर अपने को मजबूर और विवश बता कर दोनों को मनाने की कोशिश करता है।

मिस्टर लाल अब भी रानी को नए जीवन की शुरुआत के लिए अपने घर ले जाना चाहते हैं। परंतु रानी इसके लिए तैयार नहीं होती है।

मिस्टर लाल रानी को समझाते हैं "देखो बेटी! मैं देख रहा हूं, यहां राज के साथ तुम्हारा भविष्य ठीक नहीं है। अभी भी कुछ भी नहीं बिगड़ा है, तुम यह सब भूल कर नए जीवन की शुरुआत कर सकती हो। मैं तुम्हारे लिए अच्छा सा रिश्ता देखूंगा। तुम अपना घर बसा सकते हो।"

परंतु इतनी शह के बाद रानी भी अपने प्यार को मात देना नहीं चाहती है। नेहा मौजूदगी में भी राज के साथ रहकर अपनी खुशी चाहती हैं। इधर नेह भी किंकर्तव्यविमूढ़ है, वह भी अपनी बेटी के भविष्य को देखते हुए राज में ही अपनी खुशी चाहती हैं।

  एक बार पुलिस और अपने आदमियों के बल पर मिस्टर लाल रानी को अपने घर ले जाने में भी कामयाब हो जाते है। फिर भी वह रानी को समझाने में असफल रहते हैं। रानी जिद पर अड़ी रहती है, कि वह राज के साथ ही रहना चाहती है। पूरे प्रकरण में सभी अपने अपने को मजबूर पाते हैं जिंदगी पुनः अपने पुराने ढर्रे पर चलने लगती है।

 मिस्टर लाल अपनी मात स्वीकार कर लेतें हैं। अब उन्हें यह महसूस होता है, कि कहीं ना कहीं यह सब उनके हि शह का नतीजा है ,जो आज उन्हें अपनी बेटी से मात मिली। उन्हें यह अपने जीवन की मात लगती है। उन्होंने अपने बेटी के लिए के सपने संजोए थे, सारे धरे- के-धरे रह गए।

नेहा भी अपनी ऐसी ही किस्मत है मेरी ,यह समझते हुए, नाम के पति और नई सौतन को बर्दाश्त करते हुए अपने मायके में बुझे मन से अपने विद्यालय के बच्चों को जीवन की शिक्षा दिए जा रही है।

हरि ओम् ! ओम शांति !


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