Ram Binod Kumar 'Sanatan Bharat'

Tragedy

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Ram Binod Kumar 'Sanatan Bharat'

Tragedy

जादुई दुनिया

जादुई दुनिया

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जादुई दुनिया की बातें हम किस्से- कहानियों में सुनते हैं। परंतु वास्तव में देखा जाए,यदि महसूस किया जाए, तो आज भी यह दुनिया हमारे आसपास और हमारे बीच है।

इंसान प्रेम- सहकार और सहयोग का भूखा है ।कहीं यह बातें रेगिस्तान में दो बूंद की बरसात तरह काम करती है, तो कहीं अमृत का, और कहीं किसी का जीवन बदल देती है।मेरा मानना है इस दुनिया की ऐसी बातें जादुई दुनिया से कम नहीं है ।वर्षों तक सुना- सुना, बेकार, निराश और मायूस रहने वाला इंसान भी, प्रेम - सहकार के लिए, या उसे पाकर असंभव से असंभव कार्य भी संभव कर देता है।  दिन रात एक करना, जी जान लगा देना, अपनी जान की परवाह न करना, उसी के लिए जीना, खुद को भी भूल जाना, उसके सिवाय और कुछ भी ना दिखाई देना, सोते- जागते चलते -फिरते बस एक ही बात मन में आना, यह सब बातें जादुई दुनिया की बातों से कम नहीं है।

सचमुच ऐसी बातें एक जादू ही है। माता-पिता का अपने संतान के प्रति, मित्र का मित्र के प्रति, संतान का माता पिता के प्रति, गुरु का अपने शिष्यों के प्रति, शिष्यों का अपने गुरु के प्रति, लोगों का अपने राष्ट्र के प्रति, अनुयायियों का अपने धर्म और गुरु के प्रति, जो प्रेम और समर्पण होता है उसमें कुदरत का जादू होता है।

              ऐसी जादू के असर में इंसान अपनी जान- जीवन तक की परवाह नहीं करता , अपनी जान- आन- बान -शान और हर चीज न्योछावर कर देता है। आइए हम ऐसे ही पवित्र अमर प्रेम की गाथा की दूसरे पहलू को भी समझते हैं।

             इंसान प्रेम का भूखा है, जितनी भी हमारी गतिविधि हो रही है ,यह किसी न किसी रूप में प्रेम आधारित ही है। हम सभी सुख -आनंद और प्रेम ही चाहते हैं, क्योंकि हम जिस परमात्मा के अंश हैं वह ही आनंद स्वरूप है। यह सारी सृष्टि प्रेम और आकर्षण पर ही टिकी है। ब्रह्मांड के ग्रह - नक्षत्रों, और हम जीवों के अपने बंधु बांधवों और कुटुम्बियों में प्रेम ना रहे तो पूरी सृष्टि छिन्न-भिन्न हो जाएगी।उचित तरीके से इसकी प्राप्ति ना होने पर इंसान अन्य कई बातों में प्रेम और आनंद को ढूंढता है।

परंतु कहते हैं कि "प्रेम में अंधा हो जाना" हमें इस बात का सदा ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि अंधा हो जाना, या प्रेम में अंधा हो जाना इन बातों से सबको बचने की जरूरत है। आपने अंधे पुत्र प्रेम में, धृतराष्ट्र पुत्र प्रेम की बातें अवश्य सुनी होगी। इसी तरह जो भी हमारे रिश्तेदार और कुटुंबी है ,या फिर जिन्हें हम अपना बनाना चाहते हैं ,उनके प्रति अंधा प्रेम खतरनाक हो सकता है।

वैसे कुछ बंद आंखों वाले लोगों ने प्रेम की परिभाषा ही गढ़ दी , की प्रेम अंधा होता है परंतु आप भी विचारें , क्या बंद आंखों से या अंधापन में कोई सही कार्य किया जा सकता है ? हमें इन बातों से निकलना होगा, जिसकी जादुई शक्ति के खुद के ऊपर के असर को समझना होगा और इसके निराकरण का उपाय भी ढूंढना होगा।

आए दिन हमारे समाज में नित्य घटनाएं घट रही है, शायद मां का प्रेम भी अंधा ही होता है। माता अपने पुत्र को हरे रूप में स्वीकार करना जानती है।, पाठक व श्रोता हमारे बातों का गलत मतलब न निकालें। हम सभी को एक जिम्मेवार और योग्य पिता की तरह, आंख वाले दूरदर्ष्टिता का प्रेम करने की आवश्यकता है, तभी हमारा और सबका जीवन सुखमय और आनंदमय होगा ।

मैं केवल अबोध, अपरिपक्व और नासमझ किंतु अपने को दुनिया का सर्वज्ञानी मानने वाले बच्चों से नहीं, हर उम्र -वर्ग के व्यक्तियों से अपनी बात नम्रता के साथ कहना चाहता हूं कि कृप्या ! अंधा प्रेम की जादू से बचें और अपनों को बचाएं। अन्यथा यह जादू हमारे जीवन का सर्वनाश कर देगा।

फिर आगे रोने- पछताने और अपने को और अपनी किस्मत को कोसने के सिवाय कुछ भी हासिल नहीं होगा। इसलिए आपसे प्रार्थना करता हूं कि, सावधान रहें ! अगर हम सब अपना अपने परिवार का भला चाहते हैं तो , किसी कार्य के करने की अंतिम निर्णय से पहले,इस जादुई दुनिया से बाहर निकल कर भी एक नजर देख लें, कि कहीं कोई जादूगर आपकी मति-गति भ्रष्ट तो नहीं कर दिया है। वह आपसे अपनी मनमर्जी का काम तो नहीं करा रहा है।

हम इसी बात को एक छोटी सी कहानी के माध्यम से समझते हैं।

रमन एक किशोर छात्र है। अभी 11वीं कक्षा में पढ़ता है। उम्र मुश्किल से अभी 16 वर्ष पूरे होने को है। अपने उम्र इस बदलाव, क्षणिक आकर्षण, अपने भीतर नव ऊर्जा के संचार की हलचल, नित्य की मुलाकातों और बातों के बीच, अपनी सहपाठी रागी से अंधा जादुई दुनिया वाला प्रेम हो जाता है।दोनों की पढ़ाई -लिखाई किनारे, और बस बातों-मुलाकातों के सहारे जिंदगी की दौड़ चलने लगती है। उन्हें अब बस कुछ भी नहीं दिखता है।कहते हैं बच्चे बड़े होते हैं तो मां-बाप को बाद में ,समाज को पहले पता चल जाता है। उनकी गतिविधियों की खबर उनके घर वालों तक पहुंचती है। रमन के माता -पिता डांट -डपट कर ,समझा -बुझा देने के साथ अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेते हैं।

 रागी के माता-पिता भी समझाने- बुझाने से बाज नहीं आते हैं। परंतु कुछ भी परिणाम नहीं निकलता है। दोनों एक दूसरे के दीवाने बने रहते हैं। तंग आकर रागी का रिश्ता जल्दी में कहीं अन्यत्र तय कर दिया जाता है। परंतु दोनों ही खुश नहीं होते है।फिर भी रागी अपने माता -पिता और समाज का ख्याल कर कर नए रिश्ते को मन मसोसकर स्वीकार कर लेती है।

कुछ दिनों में उसका विवाह भी हो जाता है। रागी अपने ससुराल चली जाती है। फिर भी रमन और रागी दिल से एक दूसरे के दूर नहीं हो पाते हैं। कुछ दिनों में रागी के पति महेश को भी यह बात पता चलता है। वह भी दुखी और चिंतित होता है। परन्तु लोक लाज से, अन्य कोई कदम उठाने से पहले रागी को समझाने की कोशिश करता है।

इस तरह रागी में बदलाव देखा जाता है। परंतु यह सारी बातें रमन को भारी पड़ती है। वह विक्षिप्त हो जाता है। उसकी पढ़ाई -लिखाई चौपट हो जाती है।

एक होनहार विद्यार्थी अपने कैरियर में पिछड़ जाता है।

इधर रागी की भी शिक्षा बंद हो जाती है। घर में भी उसके ऊपर कई पहरे होते हैं। रागी का पति चिंतित और परेशान रहता है। रागी के कारण वह भी अपने कार्य पर पूरा फोकस नहीं कर पाता है। वह भी अपने व्यापार को चौपट कर लेता है। महेश के माता - पिता भी अपने बेटे को व्यापार और इसकी चिंता को लेकर परेशान रहते हैं।

इस तरह जादुई दुनिया के, अंधे, कथित प्रेम ने पूरे दो परिवारों की सुख शांति और समृद्धि को नष्ट -भ्रष्ट कर दिया।

 

       



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