SANGEETA SINGH

Horror Thriller

4.0  

SANGEETA SINGH

Horror Thriller

शापित आईना

शापित आईना

9 mins
283


अदिति ! अरे ओ अदिति................... मेरा प्रमोशन ही गया और साथ साथ, स्थानांतरण भी। बोलो कहां हुआ होगा, ?

राजगीर _ अदिति बोली ।

हां अदिति _राजगीर ।

दुहरी खुशी।

इसी बात पर आज का डिनर हम बाहर लेते है। सात दिनों की छुट्टी मिली है। पैकिंग भी करनी होगी, अंकुर ने कहा।

 लेकिन अंकुर .... इतनी जल्दी ....खुशी के मारे अदिति उछल रही थी।

"अरे सब हो जाएगा, परेशान ना हो। मूवर्स एंड पैकर्स को मैंने फोन कर दिया है , हम कल अपना पूरा समय शॉपिंग, मूवी, रिश्तेदारों के घर गुजारेंगे, और देखना लौट के सब सामान पैक हो चुका होगा।

चलो नहीं तो डिनर के लिए देर हो जाएगी। "अंकुर ने हंसते हुए कहा।

तीसरे दिन वे लोग पटना से राजगीर रवाना हुए करीब 3 घंटे का सफर कर वे कार से पहुंचे।  

घर ऑफिस द्वारा आवंटित था। सामान पहुंच ही चुका था।

ज्वाइनिंग के लिए अभी 4 दिन बाकी थे।

दोनों ने मिलकर अगले दिन सामान व्यवस्थित किया। लंच और डिनर, ऑफिस के मेस से आ गया था।

 अगले दिन वे घूमने निकले , अदिति बचपन से ही नई नई जगह घूमने की शौकीन थी।

गर्म पानी कुंड, गृद्धकूट पर्वत, जहां बौद्ध संगिती हुई थी, शांति स्तूप, जापानियों द्वारा स्थापित बौद्ध विहार।

खूब घूमे, रात को लौट कर आए दोनों तो थक के चूर थे, खाना दोनों ने बाहर ही खा लिया था, इसलिए जल्दी ही नींद ने आगोश में ले लिया।

अगले दिन वे सोन गुफा घूमने निकले, कहा जाता है , की यहां जरासंध ने अकूत संपति, सोना चांदी रखा है।

लेकिन गुफा के बाहर, कूट भाषा में उसके खोलने के बारे में लिखा है। जिसके लिए बहुत बार हमला भी हुआ, इतना तक की अंग्रेजों ने उसपर तोप का गोला भी दग वाया लेकिन गुफा का दरवाज़ा किसी तरह भी नहीं खुला।

 अदिति बहुत ध्यान से कूट भाषा को देख ही रही थी, कि एक बुढ़िया उसके नजदीक आयी, उसका चेहरा अत्यंत भयानक था, वो आईना बेच रही थी।

अदिति के पीछे लग गई , एक आईना ले लो _ बहू जी। बहुत चमत्कारी है। अनुज ने कहा ले लो, अदिति गरीब की मदद हो जाएगी

अदिति ने आइना खरीद लिया।

घर लौट कर उसने बेडरूम में शीशा लगा दिया।

दो दिन तक कुछ भी नहीं हुआ। एक दिन अंकुर की रात की ड्यूटी थी , अंकुर ने अदिति से अच्छे से दरवाज़ा बंद करके सोने को कहा।

अदिति दरवाज़ा बंद करके सोने गई। अचानक रात 2 बजे के करीब उसकी नींद खुली, वो पसीने पसीने थी। शायद कोई भयानक सपना देख लिया था, उठकर पानी पिया।

तभी उसे फुसफुसाने की आवाज़ आई जैसे कोई उसे बुला रहा था । उसने चौंक कर इधर उधर देखा , ये आवाज़ शायद आईने से आ रही थी।

अदिति डर गई । वो डरते डरते आगे बढ़ी।

आवाज़ और साफ आ रही थी। अदिति आइने के सामने जैसे खड़ी हुई , तो उसमे एक रास्ता दिखता है।

 वो आइने में घुस गई। और दूसरे लोक में पहुंच जाती है।

वहां उसे , अनुज एक खूबसूरत लड़की के साथ दिखता है।

वे दोनों खूब हंस हंस के बातें कर रहे थे।

वह सुन पा रही थी, अनुज , उस लड़की को हंस हंस कर बता रहा था, मैं अदिति को रात की ड्यूटी का बहाना बना कर तुम्हारे साथ आया हूं।

वो तो बेचारी भोली है। सोच रही होगी कि मैं अपनी ड्यूटी कर रहा हूं।

फिर उस लड़की (, जिसका नाम सारिका अनुज पुकार रहा था) ने कहा , कब पीछा छूटेगा तुम्हारी पत्नी से, मैं तो तंग आ गई हूं, इस लुकाछिपी के खेल से।


क्या कह रही हो, सारिका , पड़ी रहने दो उसे भी एक कोने में , उसे मेरे उपर बहुत विश्वास है, पति परमेश्वर मानती है मुझे , और जोर से हंसता है ।

अदिति सन्न थी , ये क्या खेल हो रहा, मेरे पीठ पीछे।

वह धीरे से वापस निकल आयी आइने से।

किसी तरह रात बीती।

सुबह अंकुर ड्यूटी से वापस आया, बहुत थका था। जल्दी मुंह , हाथ धो अखबार ले सोफे पर पसर गया।

अदिति को उसका व्यवहार बेगाना सा लग रहा था।

अदिति ने पूछा ये सारिका कौन है? अंकुर अचानक ऐसा सवाल सुन हड़बड़ा गया उसने मुंह से थूक निगलते हुए कहा" वो मेरी अधीनस्थ है, पर उसे कैसे जानती हो। अभी तो नए ऑफिस के स्टाफ के बारे में तो मैने तुम्हें कुछ बताया भी नहीं "।

अदिति कुछ बोली नहीं । अंकुर ने सन्नाटा तोड़ा , उसने कहा , अदिति आज घूमने चलोगी क्या?

अदिति ने कहा "नहीं। "

अंकुर की महीने में 15 दिन दिन की और 15 दिन रात की ड्यूटी थी, इसलिए वह लंच कर दोपहर की नींद लेने लगा।

रात को अंकुर फिर ड्यूटी को तैयार हुआ। अदिति ने उसे विदा किया और थोड़ी देर किताब पढ़ सो गई।

फिर रात को अजीब फुसफुसाहट की आवाज़ सुन वह जग गई।

आईने की ओर देखा । आइना उसे फिर से बुला रहा था , आओ ... आओ मेरे पास आओ ।

अदिति न चाहते हुए भी सम्मोहित हो उठकर फिर आईने के पास गई , एक रास्ता उसमें दिखा और वो उसमें घुस गई, आज फिर उसने अंकुर और सारिका को एक साथ देखा। अंकुर कह रहा था, "पता नहीं आजकल अदिति कुछ अजीब सा व्यवहार कर रही लगता है, हमारे बारे में उसे पता चल गया है। "

सारिका ने आश्चर्य से पूछा _" ऐसा कैसे हो सकता है?वो तो मुझे जानती भी नहीं है, और हमारे प्यार के बारे में जानना तो नामुमकिन है। "

, "लेकिन कहीं से तो उसे पता चला है , हमें अब सतर्क रहना चाहिए कुछ दिनों तक हम एक दूसरे से दूर रहें मैं तो सोच रहा हूं दो तीन दिन की छुट्टी ले उसके पास थोड़ा प्यार का नाटक करूं ताकि पता चल सके कि वो कैसे हमारे संबंध के बारे में जान गई , अंकुर ने कहा।

"पर डार्लिंग मैं तुमसे दूर नहीं रह सकती, मुझे हर दिन तुम्हारा साथ चाहिए , तुम्हें न देखूं तो सबकुछ अधूरा लगता है, तुम मर्दों को तो मैं नहीं वो सही ", सारिका ने उसपर तोहमत लगाते हुए कहा।

अंकुर ने उसे सीने से लगाकर कहा" तुम्हारे बिन मैं अधूरा हूं, इतने कम दिनों में तुमने मुझे इतना प्यार दिया कि मैं तुम्हारे अलावा किसी को सोच ही नहीं सकता। "

अंकुर ने कहा , "अब हमें उसे रास्ते से हटाना पड़ेगा।

कल सुबह ही कुछ करूंगा मैं, ....फिर कि तरह हंसने लगे। "

अचानक आइने में से आवाज़ आने लगी , मार डालो अंकुर को मार डालो। अदिति आईने से बाहर निकल आई। उसका सर फटा जा रहा था। वो उस घटनाक्रम को याद कर रही थी जो उसने देखा था।

वो सोच रही थी , अंकुर ड्यूटी नहीं जाकर होटल के कमरे में रात बिताता है, मैं उसके राह की रोड़ा बन गई हूं। फिर उसे ऐसा लगा कोई फिर से उसके दिमाग पर हावी हो कह रहा हो , मार डालो उस बेवफा को , वरना वो तुमको मार डालेगा।

  सुबह अंकुर के आने के बाद अदिति अजीब सी घूरती नजर आ रही थी, रात भर सो नहीं पाने की वजह से आंखें लाल लाल थीं।

अंकुर ने पूछा "क्या हुआ, ?अदिति तुम इस तरह क्यों घूर रही हो। "

अदिति पागल की तरह चिल्ला उठी "तुम मुझे बेवकूफ समझते हो, रात रात सारिका के साथ होते हो, और बताते हो कि तुम ड्यूटी कर रहे हो , तुम मुझे क्या रास्ते से हटाओगे!, मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगी। "और उसने चाकू से अंकुर पर हमला कर दिया।

अंकुर सावधान ना होता, तो शायद आज कुछ बड़ी घटना घट जाती।

वह घबरा गया , दहशत से उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं, अदिति चाकू लेकर उसके पीछे दौड़ रही थी। अंकुर जल्दी से बाहर से दरवाजा बंद कर 

 घर से निकल गया और सामने के पार्क में चला गया।

अदिति की आवाज रुक रुक कर आ रही थी। थोड़ी देर बाद वो बेहोश होकर गिर पड़ी।

 अंकुर की हालत खराब थी, वो कुछ समझ नहीं पा रहा था।

"क्या हो गया है अदिति को ? क्या करूं, किसी डॉक्टर को दिखाऊं?" मन में उथलपुथल मच रही थी।

एक बुजुर्ग बहुत देर से अंकुर को देख रहे थे, वे उसके पास आए।

उसके कंधे पर हाथ रखकर उससे पूछा" क्या बात है बेटा? क्या मै तुम्हारी कुछ मदद कर सकता हूं ?, "

 और उसके पास आकर बेंच पर बैठ गए।

उन्होंने आगे कहा "तुम यहां नए आए हो क्या? पहले कभी देखा नहीं?"

 जी हां। अभी कुछ दिन पहले ही यहां शिफ्ट हुए हैं। , मेरी पत्नी को पता नहीं क्या हुआ वो मुझ पर शक करने लगी है। रात रात सोती नहीं उटपटांग बड़बड़ाती है, यहां आने के बाद से दिन पर दिन उसकी तबीयत खराब हो रही है , मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। अब मै यहां से चला जाऊंगा, शायद ये जगह हम दोनों के लिए सही नहीं है।

 ओह ! ये बात है, मैं एक शख्स को जानता हूं , चलो उनके पास तुम्हें लेकर चलता हूं।

कुछ ही दूर पर एक पंडित जी थे बुजुर्ग के वे दोस्त थे , दोनों उनके घर पहुंचे।

 अंकुर के बारे में बुजुर्ग ने बताया कि" ये बहुत परेशान से मुझे पार्क में मिले थे। इनकी पत्नी की तबियत यहां पर आने के बाद से लगातार बिगड़ रही है, वो इन्हें जान से मारना चाहती है। "

 पंडित जी ने बहुत ध्यान से उन की बातें सुनी, और तुरंत उसके साथ उसके घर गए।

 बाहर से अनुज ने दरवाजा खोला, अदिति बेहोश कमरे में पड़ी थी , बगल में चाकू पड़ा था।

 अंकुर ने अदिति को उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया।

पंडित जी कमरे का निरीक्षण करने लगे । उन्हें बेडरूम में एक बड़ा एंटीक आईना लगा था।  

 पंडित जी की समझ में सारी बात आ गई, उन्होंने पूछा

"क्या तुम लोग सोन गुफा के पास किसी बुढ़िया से मिले थे। "

अंकुर ने कहा _ हां। उसने हमें आईना बेचा था।

ओह !! यही जड़ है तुम्हारी पत्नी की बीमारी की। दिन पर दिन उसकी तबीयत बिगड़ती जाएगी , वो एक दिन तुम्हारी हत्या भी कर देगी। वो आइना यहां बहुतों की जान ले चुका है।

यह जरासंध का शापित आइना है, इसमें सामने वाले को उसके प्रिय के बारे में गलत बातें दिखा कत्ल के लिए उकसाया जाता है। यह आइना शैतानी है , इसे हत्या से और भी ताकत मिलती है।

 अंकुर कुछ समझ नहीं पा रहा था, तो उपाय क्या है , इससे बचने का।

  पंडित जी ने कहा "तुम चुपचाप से उस आइने को एक सरोवर में डाल आओ। बस यही रास्ता है। "

 इतना कह कर पंडित जी और वो बुजुर्ग चले गए।

अंकुर ने चुपचाप से आईना उतारा और उसे सरोवर में डाल आया।

दूसरे दिन उसने ऑफिस में अपने तबादले की अर्जी दे दी। आईने के हटने के बाद अदिति कुछ सामान्य होने लगी । रात अच्छे से सो जाती थी।

 पंडित जी और वो बुजुर्ग उन दोनों के दिए फरिश्ते से कम नहीं थे। उनके कारण ही कुछ दिनों के बाद उनके जीवन में सब कुछ सामान्य हो पाया।

 ऑफिस से उसका तबादला वापस से पटना कर दिया गया।


समाप्त



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror