सच होते सपने
सच होते सपने
मेरे बेटे का इसी साल आई आई टी बॉम्बे में एडमिशन हुआ है
बचपन से ही उसे हवाई जहाज का बहुत शौक था।
खिलौनों में भी वो एरोप्लेन को ही ज्यादा पसंद करता था
जब थोड़ा बड़ा हुआ तो कहने लगा कि पापा मैं अपना एक प्लेन
डिज़ाइन करूंगा और फिर हम दोनों उस में सैर किया करेंगे।
उसे एडमिशन भी उस के पसंद की ब्रांच
ऐरोनॉटिक इंजीनियरिंग में मिल गयी।
अभी दो महीने ही बीते थे कि मुझे फ़ोन आया,पापा एक प्रतियोगिता
हो रही है जिसमे कि हमें एक रिमोट कण्ट्रोल ड्रोन खुद ही डिज़ाइन
भी करना है और बनाना भी है। दस टीमें इस में हिस्सा ले रही हैं
और जो भी टीम इस में पहले नंबर पर आएगी उसे एरोप्लेन
डिज़ाइन वाले प्रोजेक्ट में रख लिया जायेगा। हमारी टीम का हेड
मुझे बना दिया गया है।
वो हर रोज मुझे पूरी जानकारी देता कि उन्होंने आज क्या किया
और क्या क्या चुनोतियां उनके सामने आयीं।
फिर वो दिन भी आ गया जिस दिन प्रतियोगिता थी। बेटे की टीम
की बारी सबसे आखिर में थी। सभी लोगों ने अपने अपने रंग बिरंगे
ड्रोन बनाये थे जो काफी आकर्षक लग रहे थे।
जब बेटे की ड्रोन उड़ने की बारी आयी तो वो काफी नर्वस था।
उससे पहले वाली टीमों की भी परफॉरमेंस काफी अच्छी थी।
पर जब उसने ड्रोन चलाना शुरू किया तो उसका कण्ट्रोल काफी
अच्छा था और उनका ड्रोन सबसे ऊँचा उडा और उसने सबसे
ज्यादा दूरी भी तय की।
बेटे की टीम ने ये कम्पटीशन जीत लिया था। उसके बाद जब
मुझे फ़ोन आया तो वो काफी खुश और उत्तेजित लग रहा था।
उसकी ये एक छोटी सी सफलता थी या यूँ कहिये एक बोनी उड़ान
थी जो आगे चल कर ऊँची ऊँची उड़ानों को जन्म देने वाली थी।
मैंने भगवन का शुक्रिया किया और प्रार्थना की कि जब वो अपनी
सबसे ऊँची उड़ान भरे तो मैं भी उसके साथ रहूँ।