Ajay Singla

Romance

4  

Ajay Singla

Romance

प्यार की दो बातें -भाग ४

प्यार की दो बातें -भाग ४

3 mins
457


ऍम बी बी एस के बाद अंकित की ऍम डी में भी एडमिशन उसी कॉलेज में हो गयी और वक्त निकलते ही ऍम डी पूरी भी हो गयी। माँ को अब उसकी शादी की चिंता सताने लगी। जब भी फ़ोन पर माँ शादी की बात शुरू करती तो पहले तो वो चुप हो जाता और जब वो लगातार वही बात दोहराती तो फ़ोन रख देता। उसकी बुआ उसे कुछ कुछ समझने लगी थी इसलिए वो इस बारे में उससे ज्यादा बात नहीं करती थी। अंकित भी बुआ के काफी करीब हो गया था और उससे सब तरह की बातें कर लेता था पर किसी तरह पुरानी बातें या नेहा का जिक्र आते ही वो चुप हो जाता। वो गहरा जख्म जो कई साल पहले उसके दिल पर लगा था वो शायद अभी भी नहीं भरा था, उतना ही हरा था। अंकित शायद उसे भरना भी नहीं चाहता था और उसे ऐसा ही रहने देना चाहता था। नेहा अभी भी उसके सपनों में उसी तरह आती रहती थी। 

एक दिन रात में उसको नेहा का सपना आया। सपने में उसने देखा कि नेहा को कुछ हो गया है। वो एकदम घबरा कर उठा और काफी डर गया। वो पसीने से तरबतर था। उस रात वो सो नहीं पाया। सुबह होते ही उसने बुआ से कहा कि वो इंडिया जाना चाहता है। बुआ कुछ समझ नहीं पाई पर उसे ये पता चल गया कि अंकित के मन में कुछ उथल पुथल चल रही है। उसे ये पता था कि पूछने पर वो कुछ नहीं बताएगा इसलिए उससे पूछना उचित नहीं समझा। हाँ अंकित की मम्मी को फ़ोन करके उसके इंडिया आने की बात बता दी। माँ को लगा शायद अंकित के मन से पुरानी यादें धुँधली हो गयी होंगी और इंडिया आने पर वो उसे किसी तरह शादी के लिए भी मना लेगी। 

अगले दिन ही फ्लाइट पकड़ कर अंकित घर के लिए रवाना हो गया। माँ उसे एयरपोर्ट पर लेने आई। जब वो नेहा के पुराने घर के सामने से गुजर रहे थे तो अंकित की सारी पुरानी यादें ताजा हो गयीं। अंकित को पता था कि नेहा यहाँ नहीं रहती पर उस घर से उसका पुराण रिश्ता था। घर आकर वो छत पर चला गया और उस घर की तरफ देखकर अपने पुराने दिनों को याद करने लगा। उसका मन बहुत बैचेन हो रहा था। 

छत पर खड़ा हुआ वो नेहा की उस मुस्कुराहट को याद कर रहा था जो वो हमेशा वहां से देती थी। नेहा की वो मुस्कराहट उसके होठों पर भी मुस्कुराहट ला देती थी। पर आज उसकी याद उसे वो हंसी नहीं दे पा रही थी। उसका मन उदास था और चेहरे पर भी मुस्कुराहट की जगह दुःख ने ले ली थी। तभी उसे अपने पुराने दोस्त रघु की याद आई। रघु वही दोस्त था जिसको नेहा और उसके बारे में पता था। उसने सोचा शायद रघु नेहा के बारे में कुछ जनता हो कि वो क्या कर रही है और कहाँ रहती ही। इन आठ नौ सालों में वो रघु से भी कट सा गया था और उससे बात नहीं कर पाया था। वो अपने कमरे में गया और एक कॉपी पेन लेकर बैठ गया ताकि रघु को अगर नेहा का पता मालूम होगा तो वो लिख लेगा। जब उसने रघु को फ़ोन मिलाया तो उसने तुरंत उठा लिया। अपने पुराने गहरे दोस्त की आवाज सुनकर अंकित को अच्छा लगा। रघु उससे हाल चाल पूछ रहा था पर अंकित किसी और ही बात को लेकर आधीर हो रहा था। उसने रघु से पूछा कि क्या उसे नेहा का पता मालूम है। रघु ने जब हां मैं जवाब दिया तो उसने झट से उसे पता लिखवाने के लिए कहा। रघु ने पता लिखवा दिया और वो अंकित को कुछ कहना चाहता था पर अंकित ने जल्दी में फ़ोन काट दिया और गाडी लेकर अपनी नेहा को ढूंढ़ने चल निकला। उसकी माँ पीछे से पूछती रही कि वो कहाँ जा रहा है पर वो बात को अनसुनी करके गाड़ी को सरपट दौड़ता निकल गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance