Ajay Singla

Inspirational

4  

Ajay Singla

Inspirational

सुबह का भूला

सुबह का भूला

4 mins
526


मैं और सुमित उत्तर प्रदेश के एक गांव में रहते थे। हम दोनों बहुत ही पक्के दोस्त थे। बचपन से ही दोनों इकट्ठे ही स्कूल जाते और वापिस आ कर इकट्ठे ही गलिओं में खेलते थे। सुमित के पिता गांव के मुखिया थे और उनकी पांच बीघा जमींन थी। हम दोनो घंटों उस खेत में बैठे रहते और बातें करते। सुमित की माँ मुझे अपना दूसरा बेटा ही मानती थी। मैं बचपन से ही कुछ शांत स्वाभाव का था और ज्यादा नहीं बोलता था पर सुमित कभी भी किसी की गलत बात बर्दाश्त नहीं करता था और अगर किसी और बच्चे को भी कोई बेवजह परेशान कर रहा होता तो उससे भी भिड़ जाता था। उसके पिता भी ऐसे ही थे। गांव के जिमींदार से उनका मनमुटाव चलता रहता था क्योंकि वो भोले भाले किसानों की जमीन हड़पने की कोशिश करता रहता था।

जब हम लोग दसवीं में हुए तो मेरे पिता जी का ट्रांसफर हो गया और मैं और सुमित अलग हो गए। उस को मिले हुए दो साल हो गए थे और उसकी कोई खबर भी नहीं मिल पाई थी। फिर एक दिन मेरे चाचा जी गांव से हमारे पास आये और जब मैंने उनसे सुमित के बारे में पूछा तो पहले तो वो चुप हो गए फिर उन्होंने बताया कि सुमित तो अभी जेल में है। ये सुनकर मुझे थोड़ी घबराहट हुई और मैंने चाचा जी से जब डिटेल में पूछा तो उन्होंने बताया कि एक दिन जिमिंदार के आदमियों ने उनके घर पर हमला बोल दिया और उसके पिता गंभीर रूप से घायल हो गए। उसके पिता अभी हस्पताल में ही थे कि एक रात सुमित जमींदार के घर गया और उसे चाकू से गोद दिया। जमींदार की मौके पर ही मृत्यु हो गयी। पुलिस उसे पकड़ कर ले गयी और नाबालिग होने के कारण उसे सिर्फ तीन साल की सजा हुई और उसे जुवेनाइल होम भेज दिया गया।बाद में उसके पिता भी चल बसे। मुझे ये सुनकर बहुत बुरा लगा पर मैं उससे मिलने नहीं जा सकता था क्योंकि मेरे माँ बाप कभी भी इसकी इजाजत नहीं देते। इसके बाद मैं पढाई में मशगूल हो गया और फिर नौकरी करने लगा।

उस घटना के पांच साल बाद जब मेरे चाचाजी फिर से हमारे घर आये तो मैंने सुमित के बारे में फिर से पूछा। उन्होंने जो बताया उसे सुनकर मुझे और भी ज्यादा दुःख हुआ। उन्होंने बताया कि जुवेनाइल होम में उसकी मुलाकात कई चोर उचक्के और बदमाश किसम के लोगों से हुई और वो भी उन की तरह ही बन गया। गांव वापिस आने पर उसने कुछ और लड़कों को अपने साथ मिलाकर एक गैंग बना लिया और गलत काम करने लगा। वो आम लोगों से भी रंगदारी वसूलने लगा और एक बार तो उसका नाम एक कतल में भी आया था जिसके लिए वो छः महीने जेल में रहा। उन्होंने बताया कि सुमित अब बिलकुल बदल चुका है और एक गुंडे की तरह ही बर्ताव करता है। कुछ दिन बाद मैंने उसके गैंग के बारे में अखबार में भी पढ़ा कि उन्होंने एक लड़के का अपहरण किया है और फिरौती मांगी है। मुझे ये सब पढ़ कर बहुत बुरा लग रहा रहा था और मैंने उससे मिलने का मन बना लिया।

जब मैं उसके घर पहुंचा तो उस का घर बहुत बड़ी कोठी में तब्दील हो चूका था और गेट पर एक गुंडानुमा गेटकीपर था। उस ने मुझसे मेरे आने का कारण पूछा और अंदर जाकर मेरे बारे में बताया। अंदर जाते ही मैंने सुमित को तीन चार लोगों से घिरा हुआ पाया और उसने अपने नौकर को मुझे साथ वाले कमरे में बिठाने के लिए कहा। उस के मुख पर प्रसन्नता या हैरानी के कोई भाव नहीं दिख रहे थे। मैं अंदर एक कुर्सी पर बैठ गया और सोचने लगा कि सुमित वाकई में बदल गया है। थोड़ी देर बाद सुमित अंदर आया और उसने आते ही मुझे गले से लगा लिया। उस की आँखों में आंसू थे। बाहर शायद वो अपने साथिओं के बीच अपने आप को कमजोर नहीं दिखाना चाहता था और अब मुझे ये पता चल गया कि सुमित के अंदर का इंसान अभी ही जिन्दा है।

उसके बाद वो मुझे अपनी माँ को मिलाने ले गया। माँ मुझे देखते ही ख़ुशी से रोने लगी और मुझे गले से लगाकर चूमने लगी। जब सुमित वहां से चला गया तो माँ ने मुझे कहा की बेटा सुमित अंदर से एक अच्छा आदमी है और अगर तुम समझाओगे तो ये वापिस अच्छा इंसान बन सकता है। उस रात मैं वहीँ पर रह गया और हमने बचपन की यादों को ताजा किया। बातों बातों में मैंने उसे कहा कि मैं अपने पुराने मित्र सुमित को देखना चाहता हूँ। वो भी मेरी बात समझ गया पर कुछ नहीं बोला। अगले दिन मैं वापिस चला आया। एक महीने बाद मुझे सुमित की माँ का फ़ोन आया। वो रो भी रही थी और मेरा धन्यवाद भी कर रही थी और उन्होंने बताया कि सुमित ने सब गलत रास्ते छोड़ने का वादा किया है और उसे लग रहा था कि उसे उसका बेटा दोबारा मिल गया है। और मैं सोच रहा था कि सुबह का भूला हुआ मेरा दोस्त अब शाम को मुझे वापिस मिल गया है। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational