Ajay Singla

Romance

3  

Ajay Singla

Romance

प्यार की दो बातें - भाग ३

प्यार की दो बातें - भाग ३

3 mins
217


सुबह अंकित के पापा ने एयरपोर्ट जाने के लिए गाड़ी दरवाजे के बाहर लगा दी थी। अंकित की मम्मी अंकित का सारा समान उसमें रख रही थी। अंकित का मन बड़ा खिन्न था। वो अपने आपको बड़ा असहाय महसूस कर रहा था। वो बेमन से गाड़ी की पिछली सीट पर बैठ गया। उसकी मम्मी भी उसके साथ बैठी थी। उसने अपना सिर मम्मी के कन्धों पर रख दिया और आँखें बंद कर लीं। जब गाड़ी नेहा के घर के पास पहुंची तो उसने एक आखिरी बार नेहा का दर्शन करने के लिए आँखें खोलीं पर नेहा वहां नहीं थी। आँखें फिर से बंद हो गयीं। वह रो रहा था और माँ की आँखें भी भर आईं थीं। पर दोनों के ही हाथ में कुछ नहीं था। उसके पापा गाड़ी चला रहे थे। वो सारी स्थिति को भांप रहे थे पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जैसे उनको कुछ पता ही नहीं चला हो। 


गाड़ी एयरपोर्ट पर पहुंच गयी। जब वो एयरपोर्ट के अंदर जा रहा था तो उसने मम्मी पापा को पीछे मुड़कर भी नहीं देखा। उसकी जिंदगी अब बदलने वाली थी। वो समझ गया था कि नेहा उसे अब कभी नहीं मिलेगी पर वो अपनी नयी जिंदगी के बारे में भी कुछ सोचना नहीं चाहता था। सारा सफर उसने अपनी पुरानी यादों को याद कर कर गुजर दिया। जब वो इंग्लैंड पहुंचा तो उसकी बुआ उसे लेने की लिए आई थी। उसे देखते ही बुआ ने गले से लगा लिया। उसकी मम्मी ने बुआ को पहले से ही सब बता रखा था इसलिए बुआ ने अंकित से कोई ऐसी बात नहीं की जिससे की उसे दुःख हो। वो बिना ज्यादा बात किये उसे घर पर ले आई। अंकित की बुआ के कोई संतान नहीं थी। वो अंकित को अपने बेटे की तरह ही मानती थी। वो उसे माँ की तरह ही प्यार देना चाहती थी। अंकित भी उसकी सारी बात मानता था पर वो अपने अतीत को नहीं भूल पाया था। जब कभी बुआ गलती से भी पुरानी बातों का जिक्र करती तो वो टोक देता। वो उन यादों को बस अपने अंदर ही समेट कर रखना चाहता था और किसी से भी साँझा नहीं करना चाहता था। 

फिर धीरे धीरे उसने अपना सारा ध्यान पढ़ाई में लगाना शुरू कर दिया। अंकित पढ़ाई में शुरू से ही काफी अच्छा था और अब तो वो बस पढ़ाई के सिवा कुछ और करता ही नहीं था। उसकी बुआ ने भी उसे स्कूल में अच्छा करते देख मेडिकल की पढ़ाई में डाल दिया। पहली बार में ही उसका ऍम बी बी एस में एडमिशन हो गया। मेडिकल कॉलेज में भी वो बाकी बच्चों से कम ही बात करता था। कुछ दोस्त तो उसने बना लिए थे पर उनसे भी वो काम की बात ही करता। लड़कियों से भी हेलो हाय तो कर लेता था पर किसी को भी अपने करीब नहीं आने देता था। दिल का वो स्थान जिस में नेहा रहती थी उसमें बस अकेले नेहा को ही रखना चाहता था। 

उधर नेहा के पिता ने भी अपनी फैमिली को उस घर से शिफ्ट कर लिया था और नया पता अंकित को मालूम नहीं था। अब वो अगर नेहा से किसी तरह का कोई संपर्क करना भी चाहता तो भी नहीं कर सकता था। धीरे धीरे वक्त गुजरता गया और अंकित ऍम बी बी एस के फाइनल ईयर में पहुँच गया। इन चार पांच वर्षों में उसके माता पिता तो एक आध बार इंग्लैंड आये थे पर वो इंडिया नहीं आया था। फ़ोन पर भी सिर्फ माँ से कुछ बात कर लेता था पर अपने पापा से कभी बात नहीं की थी। कभी उसके पापा उससे बात करने की कोशिश भी करते तो वो फ़ोन रख देता। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance