Ajay Singla

Romance

4.0  

Ajay Singla

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प्यार की दो बातें - भाग ६

प्यार की दो बातें - भाग ६

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नेहा का हस्पताल में आना जाना लगा रहता था। एक दो बार तो कुछ घंटों के लिए उसे हस्पताल में भर्ती भी रहना पड़ता था। अंकित का उसे मिलने का मन तो बहुत करता था और एक बार तो वो उसके कमरे तक गया भी पर अंदर न जा पाया। बस दरवाजे से ही वापिस आ गया। वो समझ नहीं पा रहा था कि बीमार नेहा को देख कर वो अपने आंसू कैसे रोक पायेगा। एक दो बार हस्पताल की लॉबी में नेहा के पति से वो जरूर मिला पर उससे भी वो ज्यादा बात नहीं करता था बस नेहा की तबीयत के बारे में थोड़ा सा पूछ लेता। हाँ नेहा के डॉक्टर से वो हर बार उसकी बीमारी के बारे में पूरी जानकारी लेता। वो भी अंकित की मनोस्थिति समझने लगा था। जिस दिन भी नेहा हस्पताल में भर्ती होती अंकित बहुत व्याकुल हो जाता। उसे लगता कि वो सारी बातें जो उसने अपने मन में बरसों से रखी हुई हैं जाकर अभी नेहा को कह दे, पता नहीं इसके बाद उसे ये मौका मिले या नहीं परन्तु पता नहीं क्यों वो हिम्मत नहीं कर पाता था। अंकित अपने दोस्त रघु को अपने घर बुला लेता और उससे ढेर सारी बातें करता और अपनी सारी भड़ास निकल देता। रघु भी उसे समझाता और ढांढस बंधाता। 

एक दिन अंकित अपने कैबिन में बैठा था कि उस डॉक्टर का फ़ोन आया। उसने बताया कि नेहा बहुत ही सीरियस कंडीशन में अभी भर्ती हुई है और उसके पास ज्यादा समय नहीं है। वो किसी भी समय ये दुनिया छोड़ कर जा सकती है। ये सुनकर अंकित बहुत व्याकुल हो गया। उसके हाथ कांपने लगे। नेहा की मौत के बारे में सोचकर अपने आपको रोक न सका और सीधा नेहा के कमरे में चला गया। नेहा अपने बेड पर लेटी हुई थी और उसके ऑक्सीजन लगी हुई थी। इस एक महीने में उसकी शक्ल ही बदल गयी थी। उसका चेहरा मुरझा गया था। उसका पति कमरे में नहीं था शायद कोई दवाई लेने बाहर गया था। नेहा की आँखें बंद थीं। शायद वो सो रही थी। अंकित बेड के पास ही पड़ी एक कुरसी पर बैठ गया। उसकी आँखें भर आईं थी। झिझकते झिझकते उसने नेहा का हाथ अपने हाथ में ले लिया। नेहा ने आँखें खोलीं और अंकित को देख कर हल्का सा मुस्कुराई। पर आज उसकी मुस्कुराहट अंकित को खुशी नहीं दे पा रही थी। थोड़ी देर दोनों हाथ में हाथ डाल कर एक दूसरे को देखते रहे। नेहा की आँखों में भी आंसू आ गए थे। फिर धीरे से नेहा ने कहा ‘ अब तो मैं जा रही हूँ क्या अब भी कुछ नहीं बोलोगे’। अंकित फफक फफककर रोने लगा। उसका मन हुआ कि नेहा से ढेर सारी बातें करे और जो प्यार और एहसास बरसों से उसके मन के अंदर दबे पड़े हैं वो सारे नेहा के सामने निकाल दे। आज उसे शायद वो खुद भी न रोक पाता। वो कुछ बोलने ही वाला था कि नेहा का हाथ उसके हाथ से छूट गया। वो अब इस दुनिया से जा चुकी थी। अंकित की दिल की बातें सुनने वाला अब कोई नहीं था। वो जोर जोर से रो रहा था। इतने में नेहा का पति भी आ गया। वो भी समझ गया था की नेहा अब जा चुकी है। उसकी भी आँखें भर आईं। वो अंकित के पास आया और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर उसे ढांढस बंधाने लगा। शायद नेहा ने अपने पति को अंकित और अपने बारे में सब कुछ बता रखा था। शायद ये बोझ वो अपने साथ लेकर नहीं जाना चाहती थी। 

अंकित ज्यादा देर वहां न बैठ सका और सीधा अपने घर आ गया। वो रो भी रहा था और सोच रहा था कि प्यार की दो बातें जो वो नेहा से न जाने कितने सालों से करने की सोच रहा था और जब वो करने का समय आया तो भगवान ने उसे वो दो पल भी नहीं दिए। 


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