मैं अकेला चला था, अकेला चलूंगा... शायद ईश्वर भी यही चाहते हैं। मैं अकेला चला था, अकेला चलूंगा... शायद ईश्वर भी यही चाहते हैं।
वो तो स्कूल भी नहीं जाती एक मजदूर बन कर रहे हैं। वो तो स्कूल भी नहीं जाती एक मजदूर बन कर रहे हैं।
सरिता के दिये हुए रूपयों को उन्होंने टेबल के बीच में लगे नोटों के ढेर में फेंंक दिया था। सरिता के दिये हुए रूपयों को उन्होंने टेबल के बीच में लगे नोटों के ढेर में फेंंक ...
माँ अपना सामान समेटने लगी। माँ अपना सामान समेटने लगी।
बेबस रमा अपनी सास की आंखों में आंसू भर देख रही थी और क्या कर सकती है। बेबस रमा अपनी सास की आंखों में आंसू भर देख रही थी और क्या कर सकती है।
अछूता नहीं रह पाता ऐसा ही है कुछ वसंत, मन भावना वसंत। अछूता नहीं रह पाता ऐसा ही है कुछ वसंत, मन भावना वसंत।