मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Abstract

4.5  

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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आत्मकथ्य : कैसी रही साल 2021 मेरे लिए

आत्मकथ्य : कैसी रही साल 2021 मेरे लिए

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“काल का चक्र निरंतर घूम रहा है। जीव सोचता है कि वह बड़ा हो रहा है, परंतु सच तो यह है कि वो क्षण- क्षण मौत के करीब जा रहा है। मुझे लगता है कि संसार में सब कुछ झूठा है सिवाय मौत के। मौत ही संपूर्ण सत्य है। जब तक इंसान जिंदा है उसे सांसारिक उलझनों में उलझ कर रोना- हंसना पड़ता है। जो हर परिस्थिति में सम रहना सीख लेता है वही साधु है। हम शारीरिक लिवास को ही साधु का रूप समझ लेते हैं। अगर मैं अपने जीवन की बात करूं तो मेरा जीवन साधु और शैतान बनकर गुजर रहा है। इस लेख में सिलसिलेवार पूरे एक साल में क्या कुछ बीती मेरे ऊपर सबका जिक्र करूंगा।”

जनवरी :- वर्ष का प्रथम माह देहाती प्रोग्रामों को शूट करने से प्रारंभ हुआ। छुटपुट लेखन भी चलता रहा। बाकी माह सामान्य रहा।

फरवरी-मार्च :- फरवरी कुछ खास नहीं रहा। 11 मार्च को बटेश्वर कुछ मित्रों के साथ गया और स्वयं संपादित संकलन ‘कालेश्वर ज्योति’ के विमोचन की इतिश्री कर ली। 13 मार्च को जयपुर की यात्रा पर निकल गया। जयपुर की यह मेरी प्रथम यात्रा थी। यह यात्रा एक साहित्यिक कार्यक्रम में सहभागिता दर्ज कराने के उपलक्ष्य में थी। जिसका श्रेय डॉक्टर नरेश कुमार सिहाग एडवोकेट जी को जाता है। 

अप्रैल-मई :- अप्रैल वह महीना है, जिसे मैं तो क्या मेरा पूरा गांव कभी भी भुला नहीं सकेगा। इसके साथ ही कुछ सरकारी अधिकारी -कर्मचारी भी अप्रैल - 2021 को भुला नहीं पायेंगे। ग्राम पंचायत चुनाव के समय भीषण दंगा हो गया। मत पेटिकायें लूट ली गईं। 40 से अधिक स्त्री -पुरुष जेल चले गये। बाकी सारा गांव खाली हो गया। सभी ग्रामीण अपने-अपने घर छोड़कर जंगलों में, रिश्तेदारी में भाग गये। महीनों तक गांव कब्रिस्तान की खामोशी सा रहा। इस भागमभाग में मुझे भी जंगलों में भटकना पड़ा। गुनाहगार कुछ चंद लोग और सजा पूरे गांव ने भुगती। समाज के नेता अपने स्वार्थ की रोटियां सेकते रहे और मेरा गांव खून के आंसू रोता रहा।

जून- जुलाई :- आर्थिक तंगी से गुजर कर थोड़ा -बहुत साहित्य सृजन भी किया।

अगस्त -सितंबर-अक्टूबर :- अगस्त सामान्य रहा। सितंबर माह ने मुझे दिन में तारे दिखा दिये। हमारे क्षेत्र में एक जानलेवा बुखार का प्रकोप फैल गया। सैकड़ों की जान चली गई। हर घर में प्रत्येक सदस्य बीमार। मेरे गांव में कई मृत्यु हुईं। हमारा पूरा परिवार बीमार हो गया, ईश्वर कृपा से सामान्य इलाज से ही सब स्वस्थ हो गए। अक्टूबर महीने में खानदान के लड़के राधाकिशन (बद्री) ने आत्महत्या कर ली। उसकी आत्महत्या ने मुझे डेढ़ लाख से अधिक का नुकसान करा दिया। साहूकार से अपनी जमानत में उसे 72500 रुपए दिलवा दिए थे। उन्हीं पैसों को ब्याज सहित मुझे देना पड़ा। वद्री तो मर गया पर मुझे जीते जी मार गया। खैर ईश्वर की मर्जी... बस यही सोचकर प्रभु पर विश्वास किया है।

नवम्बर :- इस माह की शुरुआत से एक दिन पहले, आगरा में ‘कालिका दर्शन’ का विमोचन / फोटोशूट करवाया। माह के मध्य में विधायक जितेंद्र वर्मा द्वारा आयोजित भंडारे में उनके पैतृक गांव गया और एक रात वहीं गुजारी। दूसरे दिन बटेश्वर गया।

दिसम्बर :- वर्ष का अंतिम माह ! एटा जनपद की यात्रा प्रथम बार की। भाजपा के एक कार्यक्रम में मित्र राहुल के साथ सहभागिता दर्ज कराई। इसी माह में मामा सुखलाल का निधन हो गया। बाकी सामान्य घटनाक्रमों के साथ यह माह भी लगभग खत्म होने को है। 

“वर्ष- 2021 लगभग गुजर गई है। नये वर्ष का स्वागत है। देखता हूं क्या- क्या गुल खिलाती है आने वाली साल- 2022। गुजरे साल ने तमाम स्वार्थी मित्रों की पोल खोलकर रख दी, जो मेरी मित्रता सूची में दीमक का कार्य कर रहे थे। उन्हें साइड कर दिया है। मैं अकेला चला था, अकेला चलूंगा... शायद ईश्वर भी यही चाहते हैं। स्वागत है वर्ष 2022 ....!”


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