मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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आत्मचिंतन

आत्मचिंतन

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वर्ष -2023 की अंतिम चिट्ठी


 मनुष्य की जिंदगी का मतलब और उसका उद्देश्य सिर्फ कमाना, खाना, सोना और शारीरिक भूख मिटाने तक सीमित नहीं है । अगर ऐसा होता तो मनुष्य और जंगली जानवरों में क्या अंतर होता । मनुष्य की परिस्थितियां भिन्न-भिन्न है परंतु उद्देश्य भिन्न नहीं होना चाहिए । इंसान को स्वर्ग और नरक हमेशा याद रखना चाहिए । अगर वह उन्हें भूल गया तो वह मनमानी करेगा । याद रहे भजन, भंडारे, कथा- भागवत, तीर्थ यात्रा आदि करने से पाप कभी नहीं मिटते । तुमने जो भी अच्छा -बुरा किया है उसका परिणाम भोगना पड़ेगा, देर -सबेर ही सही...।


मैं प्रत्येक वर्ष अपने जीवन के बारे में थोड़ा- बहुत लिखता हूं । बीते वर्ष 2023 के संबंध में आप माह दर माह पढ़ेंगे । हालांकि इस बीते साल जीवन में कोई बड़ी उपलब्धि तो हासिल हो न सकी पर यह साल सिखाकर बहुत कुछ गया है । चलिए शुरुआत करते हैं -


जनवरी :- यह माह सामान्य रुप से निकला। 24 तारीख को फतेहाबाद की चेयरमैन को सम्मानित करने का अवसर मिला।


फरवरी :- इस माह में इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक घटना का सामना किया। अपने स्तर से जितना मैं विरोध कर सकता, किया । एक सामान्य सी जॉब देखी दो-तीन दिन काम किया पर वह काम मेरे लायक था नहीं। मैं किसी को अंधेरे में नहीं धकेल सकता ।


मार्च +अप्रैल + मई :- 3 माह बीते और तीसरे यानी मई में अयोध्या की प्रथम यात्रा करने का सौभाग्य मिला । यात्रा सफल रही । कुछ मित्रों की वजह से आर्थिक हानि का सामना भी करना पड़ा ।


जून+ जुलाई +अगस्त :- जून तो सामान्य गुजर गया पर जुलाई -अगस्त बहुत चिंताजनक रहे । चकबंदी लेखपाल विमल कुमार ने काफी बुरा किया । मुझे ही नहीं मेरे गांव को बहुत बुरी तरह से लूटा है । चंद दलालों के सहयोग से ह**** ने गांव का कोई घर नहीं छोड़ा जिसमें लाखों का डाका न डाला हो । अगर ईश्वर न्याय करता है तो उसकी दशा एक दिन बहुत दयनीय होगी...। जुलाई अगस्त में अपने कुटुम्ब वालों से काफी दुश्मनी बढ़ गई । एक बार तो एहसास हुआ कि महाभारत निश्चित है, परंतु ईश्वर कृपा से हुआ नहीं । हुआ इसलिए नहीं कि हमने ही त्याग कर दिया... ।


सितंबर + अक्टूबर + नवंबर :- इन बीते महीनों में दतिया, उदयपुर की प्रथम बार यात्राएं कीं । बाकी सब ठीक ही रहा । थोड़ी -बहुत टेंशनें तो जीवन में चलती ही रहती हैं । आर्थिक उन्नति के चक्कर में सिर पर कर्ज का भार भी बढ़ गया है । कभी-कभी बहुत निराश हो जाता हूं । फिर सोचता हूं, जाना तो सभी को है, फिर चिंता करने से क्या फायदा । कर्म अच्छे करते रहो भले ही जीवन अभावों में बीत जाये।


दिसंबर :- यह माह वर्ष का अंतिम माह था और मुझे लगा कि अब बस संसार से बोरिया बिस्तर समेटने का समय आ गया है। मेरे सिर के पीछे बाईं तरफ एक गांठ ने जन्म ले लिया है । कभी-कभी दर्द भी करती है । अपनी परेशानी मित्र अवधेश कुमार निषाद एडवोकेट से मैंने साझा की तो उन्होंने सहायता भी की। आगरा में सीटी स्कैन जिला अस्पताल में कराया। एस. एन. मेडीकल कॉलेज एण्ड अस्पताल में इलाज कराया। डाक्टरों ने बताया कि गांठ सामान्य है। दिक्कत देगी तो आपरेशन कर देंगे। फिलहाल कुछ दिन दवा से ही काम चल जायेगा। 


इसी माह में डॉ. नरेश सिहाग एडवोकेट जी व डॉ. विकास शर्मा जी के सौजन्य से हरियाणा के हिसार, भिवानी, रोहतक की यात्राओं का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसी यात्रा के दौरान दिल्ली निवासी डॉ. सविता चड्ढा जी से भेंट की। दिल्ली में ही अपने जीजाजी राजेश कुमार के साथ दो रातें बिताईं । अपनी किताब - “जंगल की इज्जत” का लोकार्पण भी हो गया और सम्मान भी मिला। बाकी सब ठीक-ठाक रहा ।


 दिसंबर ने खुशियां भी बहुत दीं और परेशानियां भी बहुत दीं । मेरा गेहूं का पूरा खेत गौमाताओं ने पूरे चार बार चट कर दिया। बेचारा किसान धर्म और आजीविका की लड़ाई में घुट -घुट कर मर रहा है ।


 खैर ये धर्म व धंधे का युद्ध तो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहेगा । कोई धर्म को भुनाकर चांदी काटेगा और कोई खुद भूखा मरेगा अपने परिवार को भी भूखा मारेगा । आधुनिक धर्म गुरुओं व राजनेताओं की बातें अगर जनता इसी तरह मानती रही तो विनाश महाविनाश निश्चित है । हमने भगत सिंह की कुर्बानी को भुला दिया और याद रखो अब तुम्हें बचाने, जगाने कोई भगत सिंह नहीं आने वाला । 

जिसे जहां मौका मिल रहा है वो लूट रहा है इस देश को, इस देश की जनता को । कोई सुनने वाला नहीं । देश राम भरोसे चल रहा है और देश चलाने वाले राम के भरोसे चल रहे हैं । अफसोस देश का पतन हो रहा है और देश के कर्ताधर्ताओं का विकास हो रहा है ।


हम तो यह सब देख सुन ही सकते हैं बाकी कुछ कर नहीं सकते । हमारा जीवन भी राम भरोसे गुजर रहा है । वो राम ! जिन हालातों में राखेगा रहेंगे । बाकी हमारी कलम इसी तरह चलती रहेगी । फिर जीवन कैसी भी परिस्थितियों से होकर गुजरे । 

जिंदा रहे तो फिर मिलेंगे 2024 के अंत में...।



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