Sameer Faridi

Horror

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Sameer Faridi

Horror

साया

साया

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"चुप हो जाओ रोज़ी और कितना रोओगी, दो दिन से मैं तुन्हें ऐसे ही देख रही हूँ, और अपने टफी को भी कुछ खिला दो, सुना है ऐना के गम में इसने भी कुछ नहीं खाया है। मारिया आंटी रोज़ी को सांत्वना देने और पास में बैठे कुत्ते(टफी) का हालचाल लेने के लिए आई थीं।

 "तुमने पुलिस में कंप्लेंट तो कर दी है ना?" आंटी ने पूछा।

 "नहीं अभी नहीं।" रोज़ी ने रोते हुए जवाब दिया।

 "अभी नहीं मतलब?" आंटी ने चिंता भरे अंदाज़ में कहा।

 "मतलब...., मैंने सोचा वो शायद किसी दोस्त के वहाँ चली गई होगी इसलिए मैंने पुलिस में कोई कम्प्लेंट नहीं की।"

 " इट्स नॉट गुड... तुम्हें पुलिस को ज़रूर इन्फॉर्म कर देना चाहिए था।" आंटी ने फिर सलाह दी।

 "मुझे लगा वो शाम तक वापस आ जाएगी, पर अब जब उसका मोबाईल ऑफ जाने लगा तो मुझे भी चिंता हो रही है। मुझे बहुत डर लग रहा है आंटी, अगर उसे कुछ हो गया तो ?" रोज़ी के आंसू जारी थे।

 "डोन्ट वरी, ऐसा कुछ नहीं होगा। शायद तुम्हारा सोचना एक दम सही हो, हो सकता है वो शायद अपने किसी फ्रेंड के यहाँ ही रुक गई हो, पर अगर वो आज रात तक वापस नहीं आती है तो तुम कल सुबह पुलिस में कम्प्लेंट ज़रूर कर देना...ओक्के।" आंटी ने कहा और अपनी जगह से उठ खड़ी हुई।

 रोज़ी ने रुहाँसे मन से सिर हिला दिया और आंटी को विदा करने के लिए उनके साथ उठ खड़ी हुई पास में बैठा टफी भी उसके साथ चल दिया।

 रोज़ी अपनी बहन ऐना के साथ गोवा में रहती है। दो बहनों के अलावा उनका तीसरा अपना कोई नहीं है। आज से ठीक 5 साल पहले ऐना जब 15 साल की थी तब उसके मॉम-डैड की मृत्यु एक रोड एक्सीडेंट में हो गई थी। रोज़ी ऐना की बड़ी बहन है इसलिए उनके गुज़रने के बाद ऐना को संभालने की ज़िम्मेदारी रोज़ी के कांधों पर आ गई थी।

रोज़ी एक बैंक में जॉब करती है और ऐना अपनी पढ़ाई और दोस्तों के साथ मस्ती की लाइफ जीती है। पर ये मस्ती शायद किसी को रास नहीं आई थी आज दो दिन होने वाले हैं ऐना कॉलेज से घर वापस नहीं आई है। रोज़ी ने उसके सारे फ्रेंड को फोन करके उसकी जानकारी ली थी पर शायद किसी को भी ऐना के बारे में कुछ पता नहीं था। गोवा के रहन-सहन को ध्यान में रखते हुए रोज़ी ने पुलिस में कम्प्लेंट भी नहीं कि वो खामखा का इस मसले को पुलिस तक ले जाकर मसले को और बढ़ाना नहीं चाह रही थी। पर अब शायद वक़्त आ चुका था कि इस मसले को उसकी तरह पुलिस भी थोड़ा सीरियसली ले।

"ठीक है आंटी आप जाइए अगर कल तक वो वापस नहीं आती है तो मैं पुलिस में कम्प्लेंट ज़रूर कर दूंगी, ओक्के गुड नाईट!" रोज़ी एक लंबी सांस लेते हुए बोली।

"ओक्के बेटा गुड नाईट, अपना ख्याल रखना। ठण्ड ज्यादा है वरना मैं थोड़ी देर और रूक जाती।"

इतना कह कर आंटी वहाँ से चली गयीं।

मरिया आंटी रोज़ी की पड़ोसन थी । कोई खुशी या कोई गम होता तो वो रोजी के पास उसमे शामिल होने चली आती थी पर एक औसत दर्जे से ज्यादा वो कभी उनके किसी भी काम मे भागीदार नहीं रहती थीं।

आंटी के जाते ही रोज़ी रोती आँसू बहाती टफी के साथ ऐना के कमरे में गई, सामने टेबल पर ऐना कि एक तस्वीर रखी हुई थी रोज़ी ने तस्वीर उठाई और वहीं पास के बेड पर बैठ गई। टफी 'ऊँ..ऊँ..ऊँ......' की आवाज करते हुए बाहर चला गया। रोज़ी ने बड़े प्यार से तस्वीर पर अपना हाथ फेरा और उसे सीने से लगा कर रोने लगी। एक आह इसके दिल से निकली और तस्वीर आंसुओं से भीग गई। 

" ऐना तुम कहाँ चली गई हो, प्लीज़ वापस आ जाओ प्लीज़...!" वहीं रोते-रोते ऐना को ना जाने कब नींद ने अपनी आगोश में ले लिया उसे कुछ पता न चला। जनवरी का महीना था ठण्ड के साथ-साथ हवा भी ज़ोरो से चल रही थी। रोज़ी सिमटी हुई बेड पर लेटी हुई थी। अचानक से कमरे के पर्दों में कुछ हलचल सी हुई। कमरे की बुझी हुई लाईट भी अपने आप जलने-बुझने लगी। पर रोज़ी अभी भी गहरी नींद में थी। अचानक से पास में रखी अलार्म घड़ी तेज-तेज से रिंग करने लगी। अलार्म की आवाज सुनकर रोज़ी फटाक से उठकर बैठ गई। उसने घड़ी पर नज़र दौड़ाई रात के 2 बजे हुए थे। उसके मन मे ख्याल आया ऐना तो कभी इतनी टाइम का अलार्म नहीं लगाती थी फिर ये अचानक। वो कुछ और सोंचती इससे पहले उसने ऊपर वाले कमरे में किसी के चलने की आवाज सुनी। वो खुश हो गई उसे लगा ऐना शायद वापस आ गई है। वो दौड़ती हुई ऊपर के रूम पर गई, पर दरवाजे को बाहर से बन्द देखकर वो थोड़ा सहम जाती है। वो आहिस्ता से आगे बढ़ती है और दरवाजा खोलकर अंदर प्रवेश करती है। कमरे का मंज़र देखकर वो डर जाती है, ऐना की जितनी भी तस्वीरें लगी थीं सभी खून से सनी हुई थीं। हर तस्वीर से खून टपक रहा था। ये मंज़र देख उसके होश उड़ जाते हैं। उसके पैर वहीं के वहीं जम जाते हैं। वो डर के मारे रोने लगती है तभी अचानक से कमरे की सारी लाइटें अपने आप ही बन्द हो जाती हैं। अचानक से उसके कानों में कोई चुपके से आवाज देता है....रोओओओज़ीज़ीईईईई.....वो डर से कांपने लगती है ऑंखें लाल हो जाती हैं। वो दौड़कर रूम से बाहर निकल जाती है। तभी ऐना की एक और तस्वीर ठीक उसके पैरों के सामने आकर गिरती है और चकनाचूर हो जाती है। उसे कुछ समझ नहीं आता है कि उसके साथ क्या हो रहा है। वो दौड़कर अपने कमरे में जाती है और अपने मोबाइल से किसी को कॉल करने चलती है कि तभी अलार्म की एक तेज आवाज़ ठीक उसके पैरों के नीचे से आनी शुरू हो जाती है। वो डर से दूर उछल जाती है और उसका मोबाईल हाथ से छूटकर नीचे गिर जाता है। अलार्म की आवाज इतनी तेज थी कि वो दोनों हाथों से अपने कान बन्द कर लेती है। आवाज उसके बेड के नीचे से आ रही थी कान पर हाथ रखे हुए वह बेड की तरफ बढ़ती है और देखती है कि ऐना के कमरे की अलार्म घड़ी उसके बेड के नीचे पड़ी है। वो धीरे से हाथ बढाती है और अलार्म घड़ी को बंद कर देती है। वो वापस अपनी जगह पर खड़ी हो जाती है और ज़ोर से चिल्लाती है-"कौन है?" 

वो दोबारा आवाज देती है तभी बाथरूम से किसी के रोने की आवाज उसे सुनाई देती है। वो और भी डर जाती है। उसकी साँसें और तेज हो जाती हैं। हिम्मत करके वो दबे पाँव बाथरूम की तरफ जाती है और हल्के हाथों से दरवाजा खोलती है सामने पर्दे के पीछे कोई शायद बैठा हुआ था हो सिसक-सिसक कर रो रहा था। रोज़ी पूरी हिम्मत जुटाकर आगे बढ़ती है और पर्दे को एक झटके के साथ खोलती है। सामने कोई घायल,खून से लतपत, बिना कपड़ों के एक लड़की पैरों के बीच मे अपने चेहरे को छुपाए हुए बैठी है। रोज़ी डरकर पीछे हट जाती है।

"कौन... कौन हो तुम ?" यहाँ क्या कर रही हो?" रोज़ी डरते हुए पूछती है।

रोने के अलावा उधर से कोई जवाब नहीं आता है तो रोज़ी एक बार फिर हिम्मत करके पूछती है।

"मैं पूछती हूँ कौन हो तुम ?"

उधर से कोई जवाब आता इससे पहले जमीन पर पड़ा उसका मोबाईल फोन रिंग करने लगता है, वो जैसे ही मोबाईल की तरफ एक झलक दौड़ाती है और फिर अपनी नज़रें वापस करती है तब तक सामने बैठी लड़की अपनी जगह से ग़ायब हो जाती है। रोज़ी और डर जाती है। पर इससे पहले वो कोई और प्रतिक्रिया करती उसने मोबाईल की कॉल को उठाना उचित समझा। उसने लपक कर मोबाईल उठाया- " हैल्लो कौन...?

दूसरी तरफ कॉल पर ऐना थी।

".हैल्लो रोज़ी मुझे बचाव... वो मुझे ले जा रहे हैं... मुझे बचाव..प्लीज़ मुझे बचाओ ।"

"ऐना तुम कहाँ हो.... डरो मत तुम्हें कुछ नहीं होगा.., तुम कहाँ हो मुझे बताओ मैं आती हूँ।"

"रोज़ी मुझे बचा लो प्लीज़...!"

इतना कहना था कि कॉल कट गई।रोज़ी हैल्लो-हैल्लो करती रही पर कोई जवाब नहीं आया। उसने दोबारा कॉल मिलाई पर कॉल नहीं लगी। वो बहुत घबरा गई उसने पुलिस को कॉल करने को सोंची तभी बाहर टफी के ज़ोर-ज़ोर से भौंकने की आवाज उसे सुनाई दी। वो दौड़कर बाहर आई । उसने इधर-उधर आवाज़ लगाई पर टफी कहीं नहीं दिखा। ठण्ड काफी तेज थी ऐसे में टफी कभी बाहर नहीं आता था पर आज वो इतनी रात गए बाहर कैसे आ गया जबकि दरवाजा तो रोज़ी ने खुद अपने हाथों से बंद किया था। वो दौड़कर सब तरफ़ देखने लगती है तभी उसकी नज़र बाहर गार्डन में लगे झूले के पास जाती है, टफी वहीं झूले के पास इधर-उधर, आगे-पीछे दौड़ रहा है, और झूला अपने आप झूल रहा है। ये देखकर उसकी रूंह काँप जाती है। ऐसा तो तभी होता था जब ऐंना झूला झूलती थी और टफी उसके आगे-पीछे दौड़ता रहता था। वो हिम्मत करके धीरे-धीरे टफी के पास जाती है, वो जितने कदम आगे बढ़ती है झूले की रफ्तार धीरे-धीरे कम पड़ती जाती है। एकदम नज़दीक पहुंचने पर झूला एक दम रुक जाता है। उसे देखकर टफी प्यार भी आवाज़ में भौंकने लगता है और झूले के नीचे वाली ज़मीन को चाटने लगता है। ये सब देखकर रोज़ी पूरी तरह डर जाती है और साथ ही साथ टफी की हरकतें देखकर वो ये भी समझ जाती है कि ये कोई और नहीं उसकी बहन ऐना ही है जिसे सिर्फ टफी देख पा रहा है और रोज़ी महसूस कर पा रही है। उसकी आँखों में आँसू भर आए और वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। घुटने टेक कर वो वहीं टफी के पास बैठ जाती है।

"टफी,माय बॉय, क्या झूले पर ऐना बैठी है ?" रोज़ी रूंहासी भरी आवाज़ में टफी से पूछने लगी।

टफी फिर से प्यार भरे अंदाज़ में झूले के आस-पास भौंकने लगा । इतना देखना था कि रोज़ी फूट-फूट कर रोने लगी वो समझ गई कि उसकी बहन ऐना के साथ कुछ बहुत बुरा हो गया है। उसने दिल को मज़बूत किया और फिर टफी से बोली-" मुझे ऐना के पास ले चलो टफी!"

इतना सुनना था कि टफी तेज से भौंका और गेट के तरफ दौड़ते हुए चल दिया। रोज़ी भी आँसू पोछते हुए उसके पीछे हो ली। रोज़ी टफी के साथ दौड़ती-दौड़ती चली जा रही थी। काफी देर तक दौड़ने के बाद टफी एक घने जंगल के पास जाकर रुक गया। एक सुनसान जगह जो रोज़ी के घर से काफी दूर थी। ठण्ड बेहिसाब पड़ रही थी। धुंध इतनी तेज़ थी कि सामने कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। वो इधर-उधर देखने लगी उसने सामने ध्यान दिया तो देखा टफी ज़मीन को अपने पैरों से जल्दी-जल्दी खोद रहा है। रोज़ी वहीं जाकर बैठ गई और फिर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। 

वो अब सब कुछ समझ गई थी, वो हर चीज़ जान गई थी कि उसकी ऐना उसे छोंड़कर हमेशा के लिए उससे दूर जा चुकी है। वो रोते हुए गिड़गिड़ाते हुए कहने लगी- "मेरी ऐना... मेरा बच्चा...मुझे माफ़ कर दे...मैं तुम्हारी हिफाज़त न कर पाई... मुझे माफ़ कर देना बेटा....मुझे माफ़ कर देना।"

तभी एक तेज़ रोशनी के साथ ऐना उसे सामने नज़र आई।

उसे देखकर टफी भी ज़ोर-ज़ोर से भौंकने लगा। 

"...ऐसा कभी मत सोचना, आप दुनिया की सबसे अच्छी बहन हैं, पर शायद ये दुनिया ही बहुत बदल चुकी है, यहां लड़की का अकेले रहना बहुत मुश्किल हो गया है हर तरफ हैवानियत ही हैवानियत भरी है इंसानो में, और आज इसी हैवानियत ने मुझे तुमसे बहुत दूर कर दिया है..... मैं जा रही हूँ अगर हो सके तो तुम अपना ख़याल ज़रूर रखना।"

इतना कहकर ऐना का अक्स फिर से अंधेरे में वापस लौट गया। टफी ज़ोर-ज़ोर से भौंकने लगा और रोज़ी ज़ोर-ज़ोर से चीखती-चिल्लाती रह गई।



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