प्यार का पास्ता
प्यार का पास्ता
हर रोज की तरह कुनाल आज भी कॉलेज सही समय पर नहीं पहुँच पाया, एक बार फिर उसने रश्मि मैम की क्लास को मिस कर दिया था । हालांकि वो हमेशा यही चाहता था की उससे कभी इंग्लिश लिट्रेचर की क्लास मिस ना हो, एक ही तो उसका पंसदीदा सब्जेक्ट है, और ये सब्जेक्ट उसे और भी अच्छा लगने लगता है जब रश्मि मैम की आवाज से वो इंग्लिश के वर्ड सुनता है, एक अजीब ही झंकार के साथ वो इंग्लिश बोलती हैं, उनका बोलना किसी नेचुरल म्यूजिक से मेल खाता है । सब कहते हैं वो फिनैटिक लैंग्वेज में इंग्लिश बोलती है पर फिनैटिक में तो आधा बोलते, और आधा ख़ुद को समझना पड़ता है, पर यहाँ ऐसा नहीं था, उनकी तरफ से बोले जाने वाले हर वर्ड को आप बहुत अच्छी तरह सुन और समझ सकते है। मुंह को ज़्यादा नचा घुमा कर बात नहीं करती है सिर्फ होंठ हिलाती है और शब्द संगीत बनकर निकलता है। डिक्शन इतना खूबसूरत कि पता ही नहीं चलता, इंग्लिश बोल रही हैं या फिर उर्दू।
सुबह के 10 बजकर 55 मिनट हो चुके थे जब कुनाल दौड़ता-हाँफता क्लास में पहुँचा। दस मिनट लेट बस ने उसका 10 घण्टे का सुकून छीन लिया था। वो अच्छी तरह से जानता था कि मैम 2 मिनट भी क्लास में एक्स्ट्रा नहीं रुकती हैं, कोई औफिशियल वर्क भी होता है तो वो लेक्चर के पहले ही फिनिश कर लेती हैं और लेक्चर को फिक्स टाइम, साइरेन बजने के साथ एंड कर देती हैं। उसके बाद वो और उनकी कार 10 मिनट भी कैम्पस में नहीं ठहरती। बाहर मैम की कार भी पार्क नहीं थी, इसलिए वो निराश मन से क्लास रूम की तरफ चल दिया। अगली क्लास 11:30 पर थी इसलिए क्लास रूम पूरी तरह से खाली था, अंदर पहुँच कर कुनाल ने बैग को टीचर टेबल पर धड़ाम से फेंक दिया -"Shit यार ! आज भी आना बेकार हो गया।"
सिर को खुजलाते हुए वो उसी टेबल पर बैठ गया।
कुछ समझ नहीं आ रहा था उसे शायद, दिमाग को ठण्डा और गले को गीला करने के लिए उसने बैग से बोतल निकाली और पीने लगा।
तभी पीछे से एक बहुत ही प्यारी और शरारत भरी आवाज उसके कानों में पड़ी।
"आय हाय, तेरा न सही पर मेरा आना आज भी सक्सेज हो गया।"
प्रिया... प्रिया मुखर्जी कुनाल की बेस्ट से भी ज़्यादा बेस्ट वाली फ्रेंड, जो उसे मानती भी थी और चाहती भी। पर इस चीज़ का एहसास शायद कुनाल को न था, गर होता, तो प्रिया जैसी खूबसूरत और जिन्दादिल लड़की को छोड़ उसका ध्यान कभी भी बनावटी आवाज़ वाली रश्मि मैम के लैक्चरों पर न जाता। कुनाल के लिए तो वो बस एक फ्रेंड थी, वो फ्रेंड जो उसका ध्यान रखे, उसके लिए अच्छा-सा कुछ खाने को लाए और उसे अपनी सड़ी-सड़ी बातों से पकाए, इससे ज़्यादा कुछ नहीं।
रूम में घुसते ही उसने शरारत शुरू कर दी, बोतल में हल्के से हाथ लगाया तो आधे से ज़्यादा पानी कुनाल के ऊपर छलक गया।
"क्या करती है यार...? वैसे भी दिमाग औफ़ है और तू भी ना..... shit यार.... पूरी टी-शर्ट पे पानी उड़ेल दिया ?" कुनाल बिना उससे नज़रे मिलाए अपनी अंतरात्मा का दुख बयां करने लगा।
"अच्छा.... टी-शर्ट, ज़्यादा बोल बच्चन मत कर, लास्ट संडे को मैंने ही दिलाई थी ये टी-शर्ट समझे।" प्रिया ने जोर से उसके बाल खींचे और टी-शर्ट का इतिहास उसे याद दिलाया।
"हाँ-हाँ पता है, अब क्या पूरे कॉलेज में ढिंढोरा पीटेगी ?" कुनाल टी-शर्ट पर गिरा पानी साफ करते हुए बोला।
"कॉलेज में क्या, मेरी चले ना तो पूरे मुंबई को बता दूँ।" प्रिया भी उसी टेबल पर चढ़कर बैठ गयी।
"इतना ही अफसोस है देने का, तो फिर वापस ले ले।" कुनाल टी-शर्ट की तरफ देखते हुए बोला।
"अफसोस तो बहुत है, पर खैरात में दी गयी चीज़, मैं ना वापस नहीं लेती।" प्रिया चिढ़ाते हुए बोली।
"चल ठीक है-ठीक है, भेजा मत खा। कुछ खाने को लाई है तो दे ।"
कुनाल हार मानते हुए बोला।
"आज ना मैं तेरे लिए कुछ इस्पेशल लेकर आयी हूँ, गेस व्हाट ?"
प्रिया ने अपने बैग से एक डिब्बा बाहर निकाला।
"मसाला डोसा ?"
कुनाल ने गेस किया।
"ऊँ.....हूँ..."
प्रिया ने सिर हिलाया।
"इडली ?"
कुनाल ने फिर हवा में तीर चलाया।
"नो-नो....अच्छे से गेस करो।"
"चल दे...इतना मेरे को गेस नहीं करना।" कुनाल ने डिब्बा खींचने की कोशिश की।
"वन मोर... बस लास्ट ओक्के ।"
प्रिया ने फिर ज़िद की।
इस बार कुनाल डिब्बे की तरफ झुका और उसकी ख़ुशबू से अंदाजा लगाने लगा।
"लगी सौ की डेफ्नेटली पाव भाजी....चल अब दे।"
कुनाल ने गेस किया और झटके से प्रिया से डिब्बा छीन लिया। उसने जैसे ही डिब्बा खोला तो उसका मुंह उतर गया।
"चल निकाल सौ रुपए।"
प्रिया ने खुशी के साथ कहा।
"ये इस्पेशल है ? अबे चुड़ैल, हर दूसरे दिन तो तू 'पास्ता' लाती है फिर इसमें इस्पेशल क्या हुआ ? और तुझे क्या लगता है इस बीस रुपए के पास्ते के लिए मैं तेरे को सौ रुपए दूँगा ? मुंह देख अपना।"
कुनाल ने शिकायत करने के साथ ही पास्ता खाना भी शुरू कर दिया था।
'चुड़ैल' शब्द सुनते ही वो पूरी तरह से आग बबुला हो गयी। उसने झट से डिब्बा कुनाल के हाथ से छीना और बंद करके वापस बैग में रख लिया।
"ठीक है इतना ही खराब है तो मत खा।" इतना कह कर वो वहाँ से चल दी।
"अरे कहाँ जा रही है ? क्या हुआ ? चम्मच तो लेती जा।” कुनाल भी उसके पीछे चल दिया।
"चम्मच अपनी तशरीफ़ में डाल ले.... और हाँ मेरे पीछे मत आ जाना।" प्रिया ने उसे मुड़कर देखा, चम्मच हाथ में लिए वो उसके पीछे ही आ रहा था।
कुनाल उसे पीछे से आवाज़ लगाता रहा पर उसने एक ना सुनी। प्रिया जानती थी कि अब वो बकवास करेगा इसलिए वो लाइब्रेरी की तरफ चल दी।
कुनाल दौड़ता-भागता, ऊपर लाइब्रेरी में पहुँचा। इधर-उधर नज़र दौड़ायी, देखा एक कोने में प्रिया बैठी हुई है।
उसने बैग टेबल पर रखा और प्रिया की पास वाली सीट पर बैठ गया-"क्य
ा यार....? ज़रा सी बात पर नाराज़ हो जाती हो...? मैं तो बस मज़ाक.....।"
"शशशशश.......!"
सामने की कुर्सी पर बैठे एक टीचर ने उसे चुप रहने का इशारा किया।
कुनाल ने उनकी तरफ देखा और सॉरी बोलकर प्रिया से फुसफुसाने लगा। "मैं बस मज़ाक कर रहा था....यार डिब्बा देना बहुत भूख लगी है,...प्लीज यार।"
प्रिया ने बैग से किताब निकाली और पढ़ना शुरू किया। वो कुछ और बोलता तभी उसकी नज़र सामने की टेबल पर गयी।
"ओह्ह माई गॉड !”
उसकी आश्चर्य से भरी आवाज को सुनकर प्रिया ने उसकी तरफ देखा, वो सामने की टेबल को आंखें फाड़ कर देख रहा था। सामने रश्मि मैम किताब पर नज़र गड़ाए बैठी थी।
ये देख कर प्रिया के सीने पर साँप डौल गया। उसने कुनाल का ध्यान काटने की कोशिश की।
"ये ले पास्ता...ठूँस से।"
कुनाल की आँखें टस से मस ना हुयीं। "खाता है या मैं फिर वापस रख लूँ ?" प्रिया ने फिर कोशिश की, पर इस बार भी वो नाकाम रही। "अभी तो बड़ी भूख लगी थी तुझे, अब क्या हुआ ?" इस बार उसने तेज आवाज में कहा तो सामने बैठे टीचर ने फिर उन्हें चुप रहने का संकेत दिया। "आज ना पास्ते में कैप्सिकम और मशरूम पड़ा है।" उसने कुनाल को ललचाने की कोशिश की। "पूरा का पूरा पिज़्ज़ा सामने रखा हुआ है और तुझे पास्ते की पड़ी है... तू ही खा अपना पास्ता मैं चला पिज़्ज़े की ख़ुशबू लेने।"
कुनाल ने अपना बैग उठाया और सामने की टेबल की तरफ चल दिया। प्रिया मन ही मन जल कर राख़ हो गई।
"मॉर्निंग मैम!" कुनाल रश्मि मैम की पास वाली कुर्सी पर जाकर बैठ गया।
"हाय कुनाल, हाव आय यू ?" रश्मि मैम ने झंकार भरी आवाज़ में कुनाल का हाल पूँछा।
"गुड मैम !" कुनाल ने धीरे से जवाब दिया।
"अगेन यू मिस्द योऱ क्लास.. हन्न...?"
इस झंकार ने कुनाल के रोंगटे खड़े कर दिए।
"बिकॉज़ ऑफ ट्राफ़िक मैम।"
कुनाल ने पूरी शिद्दत से जवाब दिया।
मैम ने मजबूरी भरे अंदाज़ में सिर हिलाया और फिर पढ़ने लगी। कुनाल एक टक रश्मि मैम को देखने लगा। रश्मि मैम आज कुछ ज्यादा ही खुश और खूबसूरत दिख रही थीं, उन्होंने आज सफेद रंग की स्लीवलेस ड्रेस पहन रखी थी, जिसकी वजह से उनकी गोरी बाँहें साफ चमक रही थी। सामने कुर्ती के दो बटन खुले हुए थे जिनके पीछे का जिस्म चांदी की तरह चमक रहा था। होंठों पर कोई हल्के रेड कलर का जैल लगा हुआ था जिससे होंठों की खूबसुरती और बढ़ रही थी।
"हाय मैम..!"
प्रिया भी वहीं आकर बैठ गयी। मैम ने उसके हाय का जवाब मुस्कुरा कर दिया, और सामने रखे मोबाइल की स्क्रीन पर टाइम चेक किया और फिर पढ़ने लगी। कुनाल अभी भी मैम की होंठों पर ठहरा हुआ था। प्रिया ने जोर से उसके पैर पर अपना पैर पटका और उसके ध्यान को काट दिया।
"आउच...!" एक हल्की-सी चीख़ उसके गले से निकली और उसका ध्यान कट गया।
"आज ही खा जायेगा क्या ? कितनी हवस भरी नज़रों से देख रहा है बे ?" प्रिया ने हल्के से उसके कान में कहा।
"व्हॉड़ हाइपेन्ड्ड कुनाल ?" मैम ने हल्के से कुनाल से पूंछा।
"नथिंग...नथिंग..मैम !" कुनाल लड़खड़ाती हुई आवाज़ में बोला।
"बोल दूँ...? ताड़ रहा है आपको?"
प्रिया ने चुपके से कुनाल के कान में फुसफुसाया।
"चुप्प, चुप्प....चुड़ैल चुप्प,.. मरवाएगी क्या ?"
कुनाल ने दबी आवाज में कहा।
"नहीं आज बोल ही देती हूं..।"
प्रिया ने इस बार तेज आवाज में बोलकर उसे डराया।
"अरे मेरी मां..चुप हो जा प्लीज..।"
कुनाल की हलक में जान आने लगी थी।
"क्या हुआ ? एनी प्रोब्लम ?"
मैम ने कुनाल से फिर पूँछा।
"नहीं मैम ये आपको उतनी देर से......।"
प्रिया कुछ और बोलती इससे पहले कुनाल ने उसके मुँह पर हाथ रख दिया और उसके शब्दों को बदल कर कहने लगा- "वो मैं काफी देर से आपको ढूँढ रहा था तो वही...।"
कुनाल कुछ और बोलता इससे पहले रश्मि मैम का मोबाइल फोन टेबल पर भनभनाने लगा। उन्होंने फोन उठाया-"हन्न...यस....ओक्के आयम कमिंग।"
फोन को रखते हुए वो कुनाल और प्रिया की तरफ मुड़ी।
"ओक्के गाइज़्ज़ यू कैरी ऑन...आय हैव टू लीव।"
इतना कहकर उन्होंने अपना लेडीज बैग उठाया और वहाँ से चल दी।
"तू ना बहुत बड़ी पनौती है....चुड़ैल कहीं की ।"
कुनाल ने प्रिया के बाल खींचे अपना बैग उठाया और रश्मि मैम के पीछे पीछे चल दिया। प्रिया भी उसके साथ हो ली।
मैम आगे निकल चुकी थी। कुनाल लम्बे-लम्बे पैरों के साथ उनका पीछा करने लगा। मैम गेट पर पहुँच चुकी थी।
कुनाल जल्दी बाहर आके इधर-उधर देखने लगा तभी उसकी नज़र रश्मि मैम पर पड़ी। वो किसी गोरे-चिकने, सूट-बूट वाले हैंडसम मैन को हग कर रही थीं।
"अमरिंदर गिल, NRI, इसी के साथ अगले हफ्ते रश्मि मैम की शादी है।"
कुनाल के फ्रेंड राहुल ने आकर रश्मि मैम की अनजानी खबर से कुनाल को वाकिफ़ कराया।
"क्या बक रहा है बे ?"
कुनाल की आंखें खुली की खुली रह गयीं।
"सच है ब्रो, कल ही दोनों की सगाई हुयी है और आज ही डेट पर निकले है।"
राहुल ने अफसोस भरे अंदाज में कहा।
सामने खड़ी ब्लैक होण्डा सिटी में रश्मि मैम बैठ गयी और दूर कहीं ट्राफ़िक में खो गयीं।
"तेरे को इतना सब कैसे पता ?"
कुनाल को अभी भी कहीं न कहीं राहुल की बातों पर डाउट था।
"तेरे को क्या लगता है, एक तूही उनका आशिक है ? पूरा स्टफ कल से सदमे में है।"
राहुल ने पुख़्ता जानकारी दी।
कुनाल का मुँह अफसोस के साथ लटक गया।
"पर तू क्यों टेंशन लेता है, वो देख सामने से तेरा पास्ता चला आ रहा है।"
कुनाल ने सिर उठा कर देखा तो सामने से प्रिया चली आ रही है।
"ओह्ह थैंक्यू ब्रो.... चलता हूँ वरना इस पिज़्ज़े के चक्कर में इतना लजीज़ पास्ता भी हाथ से निकल जायेगा।"
कुनाल ने राहुल से विदा ली और प्रिया की तरफ चल दिया।
"ऐ चुड़ैल वहीं रुक...मैं आता हूँ।"
कुनाल दौड़ता हुआ प्रिया की तरफ चल दिया।