सासू मां

सासू मां

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सीमा दौड़ते हुए बाहर आई और बहुत कोशिश की रामेश को रोकने की लेकिन वह उसका हाथ झिटक कर आगे बढ़ गया और लिफ्ट में अंदर चला गया।

सीमा वही गेट के पास रोती गिरी पड़ी है। 

बात आज से 6 महीने पहले की है जब सीमा और रमेश एक ही कॉलेज में पढ़ते थे ।सीमा रमेश से 1 दर्जा पीछे थी। दोनों के कॉमन दोस्त के जरिये मुलाकात हुई और फिर दोस्ती।

जैसे अमूनन होता है दोस्ती का प्यार में बदलना ठीक यहां भी वही हुआ

दोनों के प्रेम के चर्चे पूरे कॉलेज में सनसनी तौर पे फैल गए।कहा जाता है जो चीज़ आप सबसे ज्यादा छुपाना चाहते वह सबसे तेज उजागर होती है और इश्क़ तो वैसे भी नहीं छुपाए छुपता।

दोनों के परिवार को पता चला और दोनों को डांट भी पड़ी लेकिन इस उम्र का प्यार डाँट मार से कहाँ खत्म होता है? सीमा ने रमेश के साथ जीने मरने की कसमें खाई और उसी को अपना भविष्य मान लिए दूसरी तरफ रमेश का भी ठीक यही विचार था।

दोनों के परिवार इससे राजी नहीं था लेकिन जब ये दोनों राजी थे तो परिवार क्या कर सकता था? दोनों ने घर छोड़ कर शहर आकर शादी की और 2 महीने से दोनों साथ खुशी से रह रहे थे।

पिछले हफ़्ते रमेश की नौकरी छूट गयी जिससे वह घर पर बैठ गया और सीमा भी नौकरी की अभी तलाश में भटक रही।

जैसे सबके बीच छोटी तकरार होती है ठीक वैसे इन दोनों के बीच किसी बात पे कहासुनी हो गयी।

रमेश ने बोलते बोलते यहां तक कह दिया जिस लड़की ने अपने परिवार का साथ न दिया और सम्मान न किआ वो मेरा क्या देगी? 

जिस लड़की ने अपनी इज़्ज़त परिवार जिसके लिए छोड़ा आज उसी ने उसे वही तन सुनाया तो सीमा को नहीं बर्दास्त हुई उसने भी पलटवार में ठीक यही शब्द कह दिए।

बात इतनी भड़की की रमेश ने कहा कि जब ऐसा है तो मैं जा रहा अपने परिवार के पास तुम यही रहो।

वह उसी आज अभी झिटक कर चला गया।

जिस आदमी के भरोसे सीमा सब छोड़ कर अंजान जगह आयी आज वहां पर उसके आंसू पोछने वाला कोई नहीं था।

रमेश घर पहुँच कर अपने परिवार से माफ़ी मांगकर वही रुक गया और इधर सीमा बार बार उसे फ़ोन करती लेकिन वह फ़ोन न उठाती और उसके ससुर जेठ सही से बात न करते बल्कि पुलिस की धमकी देते।

सीमा ने अपनी सारी व्यथा अपनी सास को बताई।

कहते हैं कि मां का दिल दुनिया मे सबसे पाक होता है वह कभी भेदभाव नहीं करता।

एक औरत दूसरी औरत जो उसकी बेटी समान है उसी यह स्थिति जानकर दुख से भर गई और उसने निश्चित किया वह जाएगी और अपनी बहू को लेकर आएगी चाहे जो भी हो ।

उसने अगले दिन सुबह अपने कपड़े और कुछ सामान बांधे और सीधे अपनी बहू के पास जा पहुँची और घर वालों से बोल दी जबतक मेरी बहू को सम्मान के साथ नहीं लाया जाएगा वह भी वही रहेगी।

2 या 3 दिन बीता था कि रमेश रोता आकर सीमा और अपनी मां के पैरों में पड़ गया कि उसको माफी दे दी जाए। उससे गलती हो गयी।

बाद में सीमा ने उसे माफ किया और अपनी सास का धन्यवाद किया जिनकी वजह से उसका टूटा रिश्ता फिर से जुड़ा।

फिर उसे को सम्मान सहित घर ले जाया गया और जैसे नई बहू का स्वागत किया जाता ठीक वही संस्कृति और रिवाज़ के साथ उसका गृहप्रवेश हुआ।

जैसे कुछ नाट्य संस्करणों में दिखाते है वैसे ही सास नहीं होती क्योंकि वह एक औरत है और मां है।

और मां के ह्रदय से निर्मल और प्यारी जगह पूरी क़ायनात में कहीं नहीं है, जन्नत में भी नही।


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