प्राइवेट नौकरी
प्राइवेट नौकरी
मोहन भागता हुआ ऑफिस पहुँच गया लेकिन फिर भी वो 20 मिनट देरी से था । उसके मालिक ने उसे बुलाया और फिर डाँट लगा दिया। उन्होंने एक बार भी उससे देरी का कारण जानने की कोशिश नहीं किया।
प्राइवेट कंपनियों के मालिक को सिर्फ अपने आदमियों से काम की उम्मीद रहती कभी उनका व्यक्तिगत हाल पूछने की तकलीफ नहीं उठाई जाती और न ही कोई हमदर्दी शायद इसीलिए ज्यादा तर युवा सरकारी नौकरी के पीछे भागते हैं जहां सुरक्षा और धन दोनों हैं।
खैर हम अपनी बात पर आते है और मोहन की बात करते है जो अपने बीमार बच्चे को डॉक्टर को दिखाने के बाद उसे और पत्नी को ऑटो से घर भेज कर सीधा ऑफिस भागता हुआ आया उसका ये काम के प्रति समर्पण और जुझारू पन दिखाता है लेकिन उसके मालिक ने न उसके बच्चे का हाल जानने और न उसके देरी होने के कारण में दिलचस्पी दिखाई।
कभी किसी कारण को जाने बिना किसी पर सवाल उठाना गलत है।
वो भी एक कर्तव्यपरायण व्यक्ति पर जो काफ़ी संवेदनशील है अपने नौकरी के लिए।