जन्मदिन

जन्मदिन

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अंकुर जो शहर के बड़े अधिकारी का बेटा था। आज अपने 8वें जन्मदिन पर केक लेकर शहर की मलीन बस्ती में आया था और उसके साथ में उसके पिता जी थे नए कपड़े भी थे। बस्ती के लोग सब सोच रहे थे कि साहब जी आज इस ग़रीब राजन के यहां आए है । न जाने क्या बात हुई होगी?

आज से लगभग 1 वर्ष पूर्व जब अंकुर ने शहर के एक बड़े विद्यालय में दाखिला लिया तो वहाँ उसकी मुलाक़ात राजन के पुत्र अमित से हुई थी जो कि सरकारी छात्रवृत्ति और अपनी कुशलता के बलबूते विद्यालय में दाखिला पाया था।

बच्चे तो बच्चे होते है जिनका मन और ज़ुबान दोनों पवित्र और निश्चल होती है। इनकी नज़र में क्या ग़रीब और क्या अमीर? और शायद यही चीज़ इन्हें सच्चा बनाती है।

अंकुर और अमित काफ़ी अच्छे दोस्त बन गए थे।

मज़ेदार बात तो ये हुई कि अंकुर और अमित दोनों मित्रों का जन्मदिन की तारीख़ एक ही है।

अंकुर का जन्मदिन तो बड़े धूमधाम से मनाया जाता है जिसमे शहर के पार्षद से लेकर राजनीति के बड़े लोग आते है। सजावट और खाने का भरपूर इंतज़ाम होता जबकि अमित को शायद पता नहीं होगा कि केक का स्वाद क्या होता?

तो आज अंकुर अपने मित्र के साथ दोनों का जन्मदिन मनाने आया है और तोहफ़े ,केक लेकर आया है।

अंकुर ने अपने पापा से कहा कि पापा मैं चाहता हूं कि अमित भी अपना जन्मदिन मनाए और पार्टी दे।

बेटे की बात सुनकर उसके पिता जी ने यही किया।

काश हर कोई बच्चों जैसे मन का निश्छल हो और हर जगह ये अमीर और ग़रीब के बीच की खाई खत्म हो जाये।



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