सास भी कभी बहु थी
सास भी कभी बहु थी
ये शीर्षक देख कर आप सोच रहे होंगे कि फिर वही घिसा पिटा विषय होगा, वो ही सास बहू का रोना धोना या वही नाटक ।पर मैं आज इस विषय पर बिल्कुल अलग अंदाज में बात करुंगी
सास भी कभी बहू थी,मेरा यह कहने का कत ई ये मतलब नहीं कि सास को सोचना चाहिए कि वह अपनी बहू को दबा कर रखे आजकल तो सब कुछ इसके विपरीत हो गया है। हमारे ज़माने में तो इतनी सुविधाएं नहीं थी।हर काम अपने हाथों से करने पड़ते थे। मेरा कहने का मतलब न गैस चूल्हा न वाशिंग मशीन,न फ्रिज,न मिक्सी कुछ नहीं था।नौकर रखने का तो सोच भी नहीं सकते थे।सुबह सवेरे जल्दी उठकर बच्चों को स्कूल भेजना, फिर घर का सारा काम निपटाना। चूल्हा चौका का काम करना। यही दिन चर्या थी। सारा दिन काम में खटना, फिर भी यही सुनने को मिलना सारा दिन क्या करती रहती हो।कोई मनोरंजन नहीं, खाली समय में सिलाई कढ़ाई का काम करना। फिर भी कोई तारीफ नहीं। पर हम सब इसमें भी खुश रहते थे ।
आज के दौर में सब कुछ उल्टा पुल्टा। अति आधुनिक सुविधाएं।हर काम के लिए आधुनिक मशीनें,नौकर चाकर, घूमना फिरना किटी पार्टी। फिर भी उनके पास समय नहीं है क्योंकि खाना बनाने में थक जाती हैं ,और सास बेचारी की शामत। किसी को उसकी बढ़ती उम्र का एहसास नहीं। कोई नहीं सोचता कि उसने भी अपने बच्चे पाल-पोस कर बड़े किए हैं।सास ससुर का भी ख्याल रखा है। सुबह सवेरे जल्दी उठकर अपने को स्कूल भेजा है,उनको बड़ा किया है उनके लिए रात रात भर जागी है।
आज वो अपने बच्चों के फ्रज से फारिग हो गई है।पर नहीं उसके पति और बच्चों को बहू पत्नी बेचारी लगती है। हालांकि सास अपने बच्चों की शादी के बाद भी उनके प्रति अपने फ़र्ज़ पूरे करती है। फिर भी सबको बहू पर दया आती है कि वो सुबह-शाम काम में लगी रहती है। उसमें भी४०/ काम में सास का सहयोग होता है।
सास तो अब फालतू है, क्योंकि वो सब कुछ कर के भी कुछ नहीं करती। अगर बहू नौकरी करती है तो सास का धर्म है वो अपने बेटों और उनके बच्चों को देखे,घर की देखभाल करे घर के छोटे बड़े काम करे। क्योंकि वो तो खाली है दिन भर क्या करती है।और तो और उनके पतिदेव को भी लगता है कि उनकी पत्नी कुछ काम नहीं करती, खाली बैठी रहती है। बहूएं तो सुबह से काम में लग जाती हैं और घर में कमाई भी लाती है।
ये मेरे अपने विचार हैं, हो सकता है कि आपके विचार मेरे विचारों से न सहमत हों।पर होता यही है जो मैंने लिखा है, बाकी आप खुद समझदार हैं। निष्कर्ष यह है कि कल की बहू आज सास बन कर भी खाली नहीं है ना वो पहले बहु हो कर भी खाली नहीं थी।जो बहु आज ये सब काम कर रही है, वो सास बन कर भी यही कुछ करेगी, और ये सब ऐसे ही चलता रहेगा।
इस उम्र में कभी कभी ऐसा लगता है कि अगर सुबह जल्दी न उठ सको और ज्यादा काम न करने की स्थिति में हो तो पति समेत सबकी आंखें ऐसी लगती हैं कि सब आपको तंज भरी आंखों से देख रहे हैं।
