सार्थक निर्णय
सार्थक निर्णय
. सार्थक निर्णय
हर साल 5 जून को सभी विद्यालयों में मुख्य अतिथि महोदय को आमंत्रित कर वृक्षारोपण का कार्यक्रम होता है साथ ही विद्यार्थियों के लिए पर्यावरण विषय पर चित्रकारी प्रतियोगिता रखी जाती है। जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना होता है लेकिन जागरूकता कोई मूर्त रूप नहीं ले पाती सिर्फ प्रतियोगिता तक ही सीमित होकर रह जाती है। और फिर अगले 5 जून तक किताबों में बन्द रहकर फिर 1 दिन के लिए जागरूक हो जाती है और वह भी अर्थहीन लेकिन, इस बार एक विद्यालय की प्राध्यापिका के मन में कुछ और ही चल रहा था। उन्होंने विद्यालय से लगी खाली जमीन पर विभिन्न किस्मों के पौधों से एक मिनी जंगल बनाने की घोषणा कर, सभी विद्यार्थियों को एक-एक पौधा लगाकर उसे अपना नाम देकर देखभाल करने की जिम्मेदारी सौंपीI जितने विद्यार्थी उतने पौधे अर्थात कुल 1000 पौधों का वृक्षारोपण हुआ। साथ ही उन्होंने घोषणा की कि, अगले वर्ष की 5 जून के आने से पहले हम पास के सभी विद्यालयों के साथ मिलकर आसपास की सड़कों के दोनों ओर 2000 पौधों का वृक्षारोपण करेंगे और इस कार्य में 5 विद्यार्थियों के साथ एक अध्यापिका को रखा जाएगा । ताकि विद्यार्थियों की सुरक्षा और पौधों का रखरखाव सुचारू रूप से हो सके। साथ ही सकारात्मक परिणाम भी सामने आ सके। प्राध्यापिका की बचपन से ही विद्यार्थियों में पर्यावरण के प्रति सार्थक जागरूकता का बीजारोपण करने की दूरदर्शिता सभी के लिए प्रेरणादायक रही। परिणामस्वरूप आसपास के निवासी भी स्वच्छंद रूप से मदद करने के लिए सामने आए।