रूठते रिश्ते
रूठते रिश्ते


रोहन की आँखे सूजी हुई थी ....वह लगातार मानो रात भर से परेशान था ...जया जी ने रोहन को ढांढस देते हुए कहा, "बेटे सब ठीक हो जाएगा बेटे ...सोनिया का ऑपरेशन ठीक हो जाएगा तुम अब थोड़ा एक घन्टे के लिए सो जाओ अब मैं आ गई हूँ ...मैं डॉक्टर से मिल लूँगी ...देखना सब ठीक हो जाएगा ..अस्पताल में जयाजी की इन सकारात्मक बातों को सुनकर रोहन को तसल्ली सी मिल रही थी ..वह अकेले बहुत घबरा गया था ..पर जयाजी की हौंसले वाली बातों ने उसके अंधेरे मन में आशा के कई दीपक मानो जला दिए !
इस समय वह जयाजी के दिल की हालात को समझने की कोशिश कर रहा था जो अपनी प्यारी इकलौती बिटिया सोनिया के हर फ़ैसले का सम्मान करती आई।
जब उनकी शादी का ही फ़ैसला था , रोहन के परिवार वाले शादी की ख़िलाफ़ थे , क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि सोनिया शादी के बाद भी काम करे पर सोनिया किसी भी कीमत पर अपनी सर्विस छोड़ना नहीं चाहती थी। उसने बड़ी ही मेहनत से पी एच डी की डिग्री हासिल की थी।
वहीं रोहन से यूनिवर्सिटी में मुलाकात हुई और दोनों के मन एक हो गए ..उनके स्नेह में ख़ामोशी अधिक थी वे दोनों ही एक जैसे ज़्यादा थे किताबें पढ़ना , संगीत सुनना नाटक देखना उन्हें रास आता था और धीरे धीरे जब पी एच डी की डिग्री उनको मिली और जल्द ही कॉलेज में दोनों को असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति मिली गई तो दोनों
ने जिंदगी को एक साथ गुज़ारने का फ़ैसला भी ले लिया।
खुद सोनिया ने रोहन से कहा, " रोहन ..क्या जीवनसाथी के रूप में तुम मुझे स्वीकर करोगे " रोहन ने उसे उसी पल अपनी बाँहो में भर लिया ..उसे लगा उसे जीवन की सारी खुशियाँ मिल गई।
तभी सोनिया ने रोहन से पूछा , " रोहन तुमने अपने परिवार के बारे में कुछ नहीं बताया प्लीज बताओ न ..मुझे तो बड़ा परिवार बहुत पसंद है जिसमें सब हो बहन भाई माँ
पिता ..क्योंकि मेरे घर में तो मम्मी (जयाजी ) हैं जो घर में कम काम में ज्यादा रहती हैं। वह बैंक में मैनेजर हैं ..बहुत जिम्मेदारी से काम करती हैं ..यही नहीं घर में मेरा भी ध्यान बहुत रखती हैं ..बहुत लाडली बेटी हूँ उनकी क्योंकि पिताजी की मृत्यु के बाद उन्होंने मुझे कैसे संभाला ये मैं ही जानती हूँ ...पिता जी आर्मी में थे
...जम्मु कश्मीर में वह जब पोस्टेड थे वहाँ एक आतंकवादी मिशन में उन्हें बहुत बड़ी जिम्मेदारी मिली थी ..जिसे उन्होंने बखूबी निभाया ..पर अपनी इस जिम्मेदारी को निभाते हुए उनको वीरगति प्राप्त हुई। उस दिन माँ (जयाजी ) एक क्षण के लिए कमज़ोर पड़ गई थी , पर अगले पल ही मुझे देखकर ,मैं उस समय कुल आठ वर्ष की थी और माँ 28 वर्ष की थी पर माँ ने हार नहीं मानी उन्होंने उस समय बैंक की क्लर्क की परीक्षा दी और उतीर्ण हुई , तभी से उन्होंने ये प्रण भी ले लिया था कि लड़कियों के लिए आर्थिक निर्भरता बहुत जरूरी है।
आज जो मैंने उच्च शिक्षा हासिल किया है वह सब माँ (जयाजी ) के कारण। रोहन बड़े गौर से सुन रहा था उसके मन मे जयाजी (होने वाली सास) के लिए बहुत सम्मान बढ़ गया। पर दूसरे ही क्षण उसे लगा कि वह
अपने घर के बारे में क्या बताए, " जहाँ उसकी माँ को घर की औरतों का बाहर काम करना अच्छा नहीं लगता था ..उसके पिता यूँ तो गाँव के पंच थे पर उनके भी ख्याल रूढ़िवादी ही थे ..यूँ तो उनकी पुश्तैनी जमीन ज्यादाद बहुत ज्यादा थी ..जिसके लिए उन्होंने दो मुंशी भी रखे हुए थे जो रुपए पैसे का हिसाब किताब रखते थे।
उसकी दोनों बहनों की शादी बारहवीं करते ही रईस खानदान में हो गई थी ..पर्दा प्रथा गाँव मे अभी भी था।
ऐसे में सोनिया को अपने घर के बारे में वह कैसे बताए इसी धर्मसंकट में उसके चेहरे के हाव भाव को सोनिया ने मानो पढ़ भी लिया।
सोनिया ने धीरे से रोहन से कहा, " रोहन बेहिचक कहो अपने बारे में ..मैंने तुमसे प्यार किया है ...प्यार में कोई दुराव छिपाव नहीं होता ..बताओ न अपने परिवार के बारेमें !
तब रोहन ने अपने परिवार के बारे में सारी सच्चाई बता दी। कि कैसे उसका परिवार अभी भी दकियानूसी विचारों के ढर्रे पर ही चल रहा है ..पर सोनिया ने इस बात को बड़ी सरलता से लिया और कहा ..गाँव के लोगों को वक्त लगेगा रोहन ..एक बार मुझे जरूर वहाँ ले चलो शायद उनकी सोच कुछ बदले ...
कुछ समय बाद ही ....राजस्थान के फुलेरा गाँव में रोहन और सोनिया पहुँचे जहाँ रोहन की माँ ने उन दोनों का बहुत भव्य स्वागत किया ..गाँव की हवेली को देखकर
वहां के खेत देखकर तो सोनिया को अच्छा लगा ..,पर वहाँ की शादी शुदा स्त्रियों के चेहरों के घूँघट देखकर सोनिया को एक प्रकार की घुटन सी हो रही थी।
शाम के समय जब रोहन ने माँ से कहा कि वह सोनिया से शादी करना चाहता है तो उसकी माँ राजवती ने साफ़ मना कर दिया। रोहन तुझे पढ़ाई के लिए भेजा था ..शादी का फ़ैसला तेरे पिता करेंगे अरे जयपुर के तहसीलदार जी की बिटिया को तेरे लिए देख कर आएं है। उनकी जमीन जायदाद हमसे भी ज्यादा है। फ़िर ये शहर की मेम न रे ...रोहन को ये सुनकर अचरज कम ही
हुआ क्योंकि वह जानता था कि कोई भी सोनिया को इस घर की बहु का दर्जा देने से रहा ..इसलिए उसी शाम को उसने अप
ने माँ पिता से कह दिया, " मुझे आपकी जमीन जायदाद से लेना देना नहीं ..मैं शादी करूंगा तो सिर्फ़ सोनिया से क्योंकि मैंने उससे प्यार किया है।
वह भी मुझसे प्यार करती है ...मुझे माफ़ करना ..मैं आपके उस फ़ैसले को अपने ऊपर थोप नहीं सकता कृपया आप जयपुर में जो रिश्ता देखकर आए हैं उन्हें मना कर देना। रोहन की इन बातों का असर ये हुआ कि उसी दिन उसी समय उसे जमीन जायदाद से बेदखल कर दिया गया ..उसी शाम को रोहन और सोनिया दिल्ली की ओर रवाना हुए और कुछ समय बाद ही जयाजी की
मौजूदगी में दोनों की कोर्ट मैरिज सपन्न हो गई ..
जयाजी ने दोनों को आशीर्वाद दिया ..और घर गृहस्थी के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं भी दी ...समय का पखेरू उड़ता जा रहा था ..शादी के दो वर्ष कैसे बीते पता ही चला
...तब जयाजी ने सोनिया को एक दिन फोन पर टटोलते हुए पूछा ..बेटे अब तो एक नन्हा मुन्ना तुम्हारी गोद मे खेलना चाहिए
..माँ की बात सुनकर सोनिया ने शर्माते हुए कहा ... माँ सात महीने हो गए हैं ..बस कुछ दिन और इंतज़ार करो
..क्या !! अच्छा जी तभी एक बार भी मिलने नहीं आए तब से ...अरे नहीं माँ ...सोनिया ने प्यार से कहा ...अभी डॉक्टर
ने कहा है कि मुझे थोड़ा बी पी का ध्यान रखना है इसलिए कॉलेज से थोड़ी छुट्टियां ले रखी हैं ..वैसे भी तुम भी
तो बैंक में इन दिनों बिजी रहती हो इसलिए ...अच्छा ठीक है ..सुन मैं आ जाऊंगी इस संडे ..बता
तेरे लिए क्या लाऊं ..कुछ अच्छा सा ..जया जी ने कहा माँ कुछ फ्राई भिंडी ..कुछ आम का अचार ..ले आना।
जयाजी बेसब्री से सन्डे का इंतजार कर रही थी कि तभी शनिवार को फोन की घन्टी बजी और रोहन का फोन आया कि सोनिया का बीपी बहुत बढ़ गया था उसे पास के प्राइवेट हॉस्पिटल में दाखिल करवाया है।
शायद ऑपेरशन हो ... मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा मम्मी जी .. जयाजी ने सम्भलते हुए कहा बेटे घबराने की जरूरत नहीं सब ठीक होगा ..मैं आ रही हूँ ..बस एक घन्टे में ... रास्ते भर में न जाने कैसे कैसे ख्याल आ रहे थे ...जयाजी खुद को ही ढाँढस दे रही थी ..कि हे ईश्वर सोनिया को ठीक रखना ..उसकी कोख में एक जिंदगी पल रही है दोनों को ठीक रखना ..वह सोचने लगी कि ये कैसी परीक्षा की छड़ी है ..रोहन कैसे दिल को सम्भाल रहा होगा ये ऑपेरशन क्यों हो रहा है..इतनी जल्दी ...सब ठीक हो ...इन्हीं ख्यालो के भंवर में झूलते झूलते वह अस्पताल पहुंची तो देखा रोहन की आँखों और चेहरे पे ढेर सारी चिन्ता की लकीरें उमड़ी हुई थी। जयाजी को देखते ही उसके सब्र का बांध मानो टूट गया और वह एक छोटे बच्चे की तरह बिलख बिलख कर रोने लगा। जयाजी ने खुद
को कठोर किया और अपनी भावनाओं को काबू करके कहा बेटे सब ठीक होगा ..देखना सोनिया ठीक हो जाएगी ...सब कुछ ठीक होगा ..हौंसला रखो बेटे .. पर जयाजी के मन मे तूफ़ान सा आया हुआ था ..वह मन ही मन अदृश्य ईश्वर से मानो बात कर रही थी ...हे ईश्वर ये कैसी माया है ...ये कैसी परीक्षा की घड़ी है ..अब मैं इस समय अपनी बेटी को इस हालत में कैसे देखूँ .. उसे जल्दी से ठीक कर दे प्रभु ... लगभग एक घँटे बाद दरवाज़ा खुला और ..बच्चे के रोने की आवाज़ आ रही थी ...नर्स ने इशारे से रोहन को बुलाया ..
रोहन जयाजी के साथ साथ धड़कते दिल से बोझिल कदमों से आगे बढ़ रहा था ..तभी सोनिया के पास खड़ी लेडी डॉक्टर ने कहा कोई डरने की बात नहीं है सीजीरियन ऑपेरशन में ज्यादा टाइम लग गया ताज क्योंकि बीपी के बढ़ने की वजह से माँ और बच्चे दोनों को खतरा था ..इसलिए ..पर अब बच्चे को एक महीने के लिए नर्सरी में रखना पड़ेगा और सोनिया को भी बच्चे के साथ यहीं रहना होगा। अब खतरा टल गया है दोनो ठीक हैं ...सोनिया अभी अनकोशियस है .. आधे घन्टे में ही आप सबसे बात करने लग जाएगी ... रोहन की और जयाजी की मानो जान में जान आई .. दोनों की आँखे खुशी के आँसुओं से छलक रही थी .. वह कुछ कहते कि नर्स ने कहा ," आपको छोटी गुड़िया नहीं देखनी ..आइए इधर आइए ...और वह साथ में जो नर्सरी थी वहाँ गए जहाँ एक छोटी सी ..सुंदर सी प्यारी कोमल सी बच्ची आँख मूंद कर मानो सोई थी .. नर्स ने कहा इसे दूध पिलाकर सुलाया है ..अभी इसका वजन कम है डरने की बात नहीं एक महीने में बढ़ जाएगा उसे देखते ही जयाजी को मानो सोनिया का बचपन भी याद आ गया ...तभी ..फोन पर घन्टी बजी ..रोहन ने देखा उसकी माँ का फ़ोन है ...रोहन सब ठीक है बेटे ..सोनिया कैसी है ? ..पर माँ आपको कैसे मालूम .. रोहन ने अनमने स्वर मे कहा ..मुझे आज सुबह जयाजी का फोन आया था बेटे ...ओह ..माँ सोनिया ठीक है ..और माँ हमारी बेटी हुई है ! ...उसकी शक्ल बिल्कुल तुमसे मिलती है ..माँ पिता जी कैसे हैं ? क्या उन्हें मेरी याद आती है ?
बेटे अभी एक घँटे में हम पहुंच रहे है अस्पताल ..तब कर लेना अपने पिता जी बात ..बेटे जरूरी नहीं कि जो परिस्थिति कल थी वह आज भी हों ...काफ़ी बदल गए हैं वह तुम्हे याद करते हैं ...वह तो मन ही मन तुमसे माफ़ी भी माँगते हैं ..शायद उस दिन जो भी हुआ वह ठीक नहीं हुआ था ... जयाजी सब देख रही थी ..रोहन की बातें सुन रही थी और सोच रही थी कि रिश्ते बेशक कुछ समय के लिए रूठते है पर टूटते नहीं हैं।