Kusum Lakhera

Inspirational

4.6  

Kusum Lakhera

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रिश्तों की डोर

रिश्तों की डोर

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परिवार की बगिया में सिर्फ़ फूल ही नहीं होते ढेर सारे काँटे भी होते हैं । परिवार के सदस्य कभी सुख के सागर में गोता लगाते हैं तो कई बार मुसीबतों के भँवर में फँसकर बेचारे खून के आँसू रोते हैं । परिवार वह इकाई है जो एक से एक मिलकर ग्यारह की संख्या का बोध ही नहीं कराती बल्कि प्रेम , सहयोग एवं भावानात्मक एकता को मजबूत भी करती है । आज इन्हीं भावों से मिश्रित एक कहानी रिश्तों की डोर 


सारा सामान बिखरा हुआ है उफ्फ कमरे की हालत देखो...ये बच्चे भी कब बड़े होंगे .... ..अरे बेड की हालत तो देखो शालिनी लगातार बड़बड़ा रही थी " सोमेश , " जब तुमने बच्चों में आदत नहीं डाली काम करने की तो अब कहने से क्या फायदा ...और देखो आज सन्डे है प्लीज़ रहने दो सामान बिखरा हुआहै तो बिखरे रहने दो बच्चों के कमरे का ....तुम एक तरफपरेशान होती हो दूसरी ओर उनके कमरे के सामान को समेट भी देती हो ...फिर वह कैसे सीखेंगे ......कोई नई बात नहीं थी ...अक्सर सन्डे को ही सारापरिवार मिलकर सुबह का नाश्ता करता था ।दूसरे दिनो मे तो शालिनी अपने ऑफिस सोमेश अपने ऑफिस और दोनों बच्चे अपने स्कूल ..शालिनी और सोमेश की अपनी मर्ज़ी से शादी हुई थी दोनों ही बहुत समझदार थे ...पर ...घर गृहस्थी के बारह वर्षों में जबकि अब थोड़ा सुकून आना था ...शालिनीको लगता था कहाँ कोई गलती हो गई जो आज जबकिबेटा ग्यारह साल का है ...बेटी दस की फिर भी उसे उनका ख्याल बहुत ज़्यादा रखना पड़ता है । शायद ये उसके लाड़ प्यार का ही परिणाम है ...क्योंकि सोमेश हमेशा ही जब बच्चे अच्छे मार्क्स लातेतो कहते देखा मेरे बच्चे हैं ...मुझ पर गए हैं ..कहकेशालिनी को चिढ़ाते थे ...और जब यही बच्चे कोई गलती करते तो सारा ठीकरा शालिनी के सिर पर फूटता ...

खैर शालिनी का बेटा रितिक और बेटी रिया पढ़ने लिखने में अच्छे थे । समझदार थे ...लड़ाई झगड़े से दूर रहते थेपर सिवाए पढाई के उन्हें कुछ और नहीं सूझता थाइस कारण दोनों अंतर्मुखी क़िस्म के हो गए । ये ही चिंताशालिनी को खाए जाती थी कि आज के समय में तेज तरार बच्चों का जमाना है ...पर क्या किया जा सकताहै । शालिनी को लगता था कि बच्चों के होने के बाद काश वह नौकरी न करती तो ठीक होता ...वह अपने बच्चों को ज़्यादा समय दे पाती ...बच्चे शुरू से ही डे केयर सैन्टर में न छोड़ती तो शायद आज ये हाल न होते ...पर उस समय के हालात ही कुछ ऐसे थे कि उसे लिमिटिड फर्म मेंअच्छी तनख्वाह मिलती थी ...पर सोमेश उस समय जिसकम्पनी में काम कर रहै थे वह बहुत कम तनख्वाह देती थी खैर शुरू में जैसे तैसे घर ग्रहस्थी की गाड़ी चलने लगी ...इसी बीच घर परिवार ऑफिस बच्चे डे केयर सैंटरकी दौड़ भाग ...में वक़्त का पहिया कैसा चला ...और बारह साल के बाद अब शालिनी को लगने लगा कुछ तो ग़लतहो रहा है ...जो हुआ सो हुआ ...अब बढ़ते हुए बच्चों को सैंटर में छोड़ना ठीक नहीं ...क्योंकि ...रिया बहुत गुमसुमसी दिखती थी जैसे वहाँ कोई .....उफ्फ कितना भयानकसा अहसास उसके जहन में आया ...था ..और उसी रात खाना खाने के बाद शालिनी ने सोमेश को कहा ...

सुनो इन दिनों रिया कितनी चुपचाप दिखती है ...तीन बजेसे सात बजे तक डे केयर सैन्टर में रहकर ...हमारे बच्चे 

कहीं .....सोमेश -," तुम भी शालिनी ....अरे ये बच्चे बचपन से वहाँजाते हैं ....और ....हमारे बच्चे ही नहीं ...बहुत से लोगोंके बच्चे वहाँ पर होते हैं ....और इतने सालों बाद तुम ...अभी सोमेश की बात पूरी नहीं हुई थी कि शालिनी नेकहना शुरू कर दिया ...." सोमेश रिया हमेशा से चुपचाप नहीं रहती थी ..इनदिनों वह ज्यादा चुपचाप रहती है रितिक तो पहले भी कम ही बात करता है ...इसलिए 

कह रही हूँ "

सोमेश , ' शालिनी तुम प्यार से रिया से कहोगी तो वह जरूर बताएगी कि वह स्कूल से या डे केयर से .. कहाँ से 

परेशान है " 

ठीक है अब सो जाओ ...कल फिर ऑफिस ....

शालिनी " कल फ्राइडे है मैं छुट्टी ले रही हूँ ...बच्चों केभी कोई एग्जाम नहीं है ...फिर सैकंड सैटरडे ..उनकीभी छुट्टी ...ये तीन दिन मैं बच्चों के साथ ही रहूंगी ..और सुनो मैं बच्चों के कमरे में ही रिया के साथ सोने जा रही हूँ ....

सोमेश मन ही मन सोच रहा था कि शालिनी जो कर रही है बिल्कुल ठीक है ....क्योंकि बढ़ते हुए बच्चों को वक़्तदेना बहुत जरूरी है ....रात को ही रिया और रितिक खुश हो गए कि कल स्कूलऔर डे केयर सैन्टर नहीं जाना ....और तीन दिन मम्मीघर में ...फिर तो ..डे केयर में काम करने वाले भैय्या 

से पाला नही पड़ेगा ...

उसी रात को रिया को जब शालिनी ने प्यार से गोद में बिठाया तो रिया कहने लगी , " मम्मा वो जो भैय्याहै न डे केयर वाले वह मुझे अच्छे नहीं लगते ...,मम्मामैं नहीं जाऊंगी वह बहुत गंदे हैं । वह रितिक भैय्या कोभी अच्छे नहीं लगते ...रिया की बात सुनकर शालिनी को कुछ कुछ समझ आ रहाथा तब प्यार से रितिक के बालों पर हाथ फेरते हुए शालिनीने कहा ," रितिक बेटे ये रिया क्या कह रही है और ये कौन से भैया हैं जो पहले तो वहाँ नहीं रहते थे ....

तब रितिक के चेहरे के रंग को देखकर शालिनी को लगा कि सचमुच बहुत कुछ ग़लत हो रहा है ...

रितिक बोला : " मम्मा वह अंकित भैय्या हैं वह केयर सैन्टर में अभी दो हफ़्तों से काम करने आए हैं पहलेतो वहाँ मीना आँटी काम करती थी पर अभी वह कुछ दिनोंके लिए अपने गांव गई हैं 

शालिनी ने कहा ," वह भैया तुम्हें मारते हैं ...तुम्हें डाँटते हैं या फिर ....शालिनी चुप हो गई ...

तब रितिक ने कहा मम्मा वह डाँटते नहीं है बल्कि जब सैन्टर में जो आँटी कुछ देर के लिए बाहर जाती हैं तब भैय्या अपने मोबाईल पर गंदा सा कुछ दिखाते हैं छोटे बच्चों को ....कल जब रिया के आगे इन्होंने मोबाइलकिया हुआ था ...तब मैंने भी देखा था ....मम्मा ...बहुत खराब है वह अंकित भैया ...वह जब भी सैंटर में ...आते हैं ...किसी न किसी बच्चे के आगे मोबाइल में गंदा प्रोग्राम दिखाते हैं ...मैं ही वहाँ सबसे बड़ा हूँ ...बाकि बच्चे छोटे है ..वह कुछ नहीं समझते मम्मा

मुझे एक दिन स्कूल में बताया था चिल्ड्रन एबूजेमेंटके बारे में ...गुड टच और बेड टच के बारे में ...अंकित भैया जब भी सेंटर में आते हैं कोई भी सामान लेकर वह सैंटर में जरूर रुकते हैं और जब भी सैंटर की आँटी इधर उधर होती हैं वह अपने मोबाइल में बहुत गंदा गंदादेखते हैं और छोटे बच्चों को भी दिखाते हैं । शालिनी ये सारी बात सुन रही थी और उसके पाँव के तले की जमीन मानो खिसक रही थी ...वह पसीने पसीने 

हो रही थी .....उसने दोनों बच्चों को अपने गले लगालिया ...और......कहा ...अब अंकित भैया से डरने की जरूरत नहीं है बेटे ...मैं और तुम्हारे पापा जल्दी ही कुछ करते हैं ...और शालिनी सोमेश को आवाज़ देती है ,सोमेश !!!!

सोमेश को नींद भी नहीं आई हुई थी ....वह दौड़तेहुए बच्चों के कमरे में आए ....तब शालिनी ने सोमेशको सारी बात बता दी ...और ...बच्चो को भी सुला दिया ।शालिनी अभी भी सम्भली नहीं थी ...उसका रोम रोम कांप सा रहा था ... सोमेश क्या हम बच्चों को केयर सैन्टर में न भेजें औरअब वे बड़े भी हो गए ...स्कूल से वे अब सीधे घर आ सकते हैं ...ताकि उस अंकित से छुटकारा मिल सके ...

तब सोमेश ने कहा कि शालिनी इस तरह से तो हम समस्या को और बड़ा कर रहे हैं ...सैन्टर के दूसरे बच्चों के बीच अंकित कल को कोई दूसरा बुरा काम कर सकता है 

वैसे भी चाइल्ड एब्यूजमेंट की कोई भी घटना के लिए तुरंत ही शिकायत करनी चाहिए और सुनो .....कल मैं भी छुट्टी कर रहा हूँ ...तुम बच्चों के साथ रहना ...मैं सैन्टर वाली आंटी से बात करता हूँ ...अंकित जिस दुकान से सामान लाता है उस दुकानदार से भी बात करूंगा और सबसे पहले उस अंकित को फ़ोन के साथ रंगे हाथ पकडूँगा ...अभी भी उसके फ़ोन में जो भी पोर्नसाईट है जिसको वह बच्चों को दिखाता है वह अभी भी उसके मोबाइल में होगी ...ताकि उस अंकित की गलतहरकतों पर रोक लगाई जा सके और उसकी शिकायतपुलिस में भी करूंगा ! 


अगली सुबह बच्चे बहुत खुश थे ...उन्हें माँ अपने कमरे में दिखाई दी ...उन्हें सबसे बड़ी खुशी ये थी कि उन्हें सैंटर नहीं जाना है ...रिया बहुत खुश थी ....कि अंकितभैया अब उन्हें गंदे वीडियो नहीं दिखाएँगे ...रितिक भी खुश था ....अपनी बहन रिया को खुश देखकर शालिनी भी खुश थी कि अब उसके बच्चे खुश थे ...पर वह मन ही मन सोच रही थी कि सोमेश कहीं किसी मुसीबत में तो नहीं फँस जाएगा .... सोमेश जब सैन्टर पहुँचा तो उस समय सैंटर वाली आँटी भी वहीं थी .....सोमेश को देखकर आँटी पहले तो घबरागई....तब सोमेश ने आँटी को अपने विश्वास में लेके सारी 

बात बताई ....अंकित के बारे में .....

आँटी - " मुझे विश्वास नहीं होता कि मेरे पीछे से ये लड़काइस तरह की ग़लत हरकत ....मेरे सैंटर के छोटे बच्चों के साथ ....उफ्फ ....बहुत ग़लत ...उसने मेरा विश्वास ही नहीं तोड़ा ....मेरे सैंटर के बच्चों को भी मानसिक यातना दी है .....सोमेश चलो ...अभी उस दुकानदार के यहाँ...वैसे भी मीना कल रात ही अपने गाँव से आ गई है ...मीना जितना बच्चों का खयाल रखती है ....उतना तो मैं भी नहीं करती ....और सैन्टर को मीना के हवाले 

करके आँटी और सोमेश दुकानदार के यहाँ चले गए ...वहाँ अंकित काम करते हुए दिख गया था ...सोमेश ने इसी बीच पुलिस को भी फोन करके वहीं बुला लिया 

...तब दुकानदार को भी सारी बात जब पता लगी कि अंकित ने कितनी ग़लत हरकत की ...वह भी बच्चों

के साथ ...  

दुकानदार - " ऐसे गंदे लड़के को मैं भी काम पर नहीं रखूंगा ....उसे इसकी सजा मिलनी ही चाहिए कुछ ही समय बाद पुलिस भी आ गई और अंकित 

को कस्टडी में ले लिया गया...उसके फोन कोभी ......जिसमे बहुत सी अश्लील साइट भी थी ...जिन्हें वह बच्चो को दिखाता था ।

सैन्टर की आँटी सोमेश से माफ़ी माँगती हुए - बेटेमेरे सैन्टर में जो भी रिया के साथ हुआ उसके लिए मुझे माफ़ कर दो ......वह तो अच्छा हुआ रितिक 

की समझदारी से हमें जल्दी ही अंकित कीहरकतों का पता चल गया ....

सोमेश - " आँटी आप ऐसा न कहें ....आप और मीना के भरोसे तो हम जैसे लोग अपने बच्चो को सैन्टर में छोड़कर ऑफिस में आराम से काम करते हैं प्लीज़ आप ऐसा न कहें ...और हाँ आँटी ...अभी कुछ दिनों के बाद ..रिया इस सदमे से उबरेगी ...तब ही उसे सैन्टर में जरूर भेजूंगा ....

आँटी -" समझ सकती हूं बेटे ...बहुत ही कम लोग होते हैं जो ...चाइल्ड एब्यूजमेंट ...के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हैं... और तुमने अंकित के खिलाफ जो क़दमउठाया वह रिया ही नहीं ....सैंटर में जो आठ बच्चे औरआते हैं उनके लिए भी बहुत बड़ा क़दम है । सोमेश 

जब भी तुम्हें लगे कि बच्चे सैंटर के लिए तैयार हैं आने के लिए तुम भेज देना बाकि अब तुम्हारा रितिक बड़ा हो गया है उसे स्कूल के बाद अब घर मे रहने की दो 

तीन दिन की ट्रेनिंग दोगे तो देखना वह अकेले रिया को भी देख लेगा बहुत समझदार है तुम्हारा बेटा रितिक ।

सोमेश - " जी आँटी .....अगर रितिक कुछ न बताता तो शायद आज अंकित की सच्चाई का पता न लगतासचमुच समझदार है रितिक ...अच्छा आँटी नमस्ते कहकर सोमेश घर की ओर चलने लगा ....वह मन ही मनअब खुश था कि अब रिया का ध्यान रितिक बहुत बढ़ियारख सकता है ...और अब उन्हें सैन्टर में जाने की जरूरतही नहीं है घर आकर शालिनी को और बच्चों को सारी बात बताकर सोमेश ने तसल्ली से सबके साथ मिलकर खाना खाया ।रिया बहुत खुश थी वह और रितिक दोनों टीवी परतारे जमीं पर फ़िल्म देख रहे थे ...और दोनों बच्चों के चेहरे की ख़ुशी को देखकर शालिनी और सोमेश भी खुश थे ...ऐसा लग रहा था कि खुशियो के इंद्रधनुषी रंग चारों ओर बिखर गए । सारा परिवार एक साथ चहक रहा था बहुत दिनों के बाद शालिनी की आँखों में ख़ुशी के आँसू बहने लगे । सोमेश मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दे रहाथा " हे ईश्वर मेरा परिवार हमेशा यूँ ही हंसता मुस्कुराता रहे "


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