दादी की सीख
दादी की सीख


मीना को आज डिग्री मिलनी थी उसकी पीएचडी जो पूरी हो
गई थी उसकी आँखों में खुशी और गम दोनों ही झलक रहे और झलकते भी क्यों नहीं क्योंकि उसे अपनी दादी की
इस समय बहुत याद आ रही थी , क्योंकि दादी ने ही तो मीना के बुरे वक्त में साथ दिया था ...उसके बालमन में शिक्षा के प्रति अलख जलाई थी और आज दादी
ही उसके पास नहीं ....दादी की मृत्यु अभी तीन महीने पहले .....
हो गई थी ...
मीना दादी के साथ ...रहती थी ...दादी ही
उसकी प्रेरणा थी....जब अतीत के पन्नो को पलटती है मीना तो उसे
20 वर्ष पहले की वह अनहोनी रात याद आती है
जब वह
पाँच वर्ष की रही होगी उसके माता पिता एक सड़क दुर्घटना में मारे गए थे उस दिन किसी जरूरी काम से
उसके माता पिता उसे चाचा चाची और दादी के पास छोड़कर स्कूटर में निकले थे...कि
एक बहुत बड़े ट्रक की टक्कर से उनका स्कूटर बुरी तरह टूट गया और दुर्घटना स्थल पर ही उनकी मौत हो गई ।
इस अनहोनी घटना ने मानो दादी को और सभी घर के सदस्यों को भीतर तक तोड़ दिया । छोटी मीना भी उस दिन के बाद बहुत सहमी सहमी रहने लगी पलपल में मम्मी पापा चिल्लाती थी पर विधाता की मायाको कौन समझ पाया ?
कुछ समय बीता तो चाची ने अपने बेटे को स्कूल भेजनाकर दिया तब दादी ने कहा ," अरे कमला मीना
को भी तो स्कूल में भेजना है वह भी दो अक्षर पढ़ लेतो मैं भी गंगा नहा लूँ पर चाची को तो ये बात सुनते ही
आग लग गई तपाक से बोली , " अम्मा पब्लिक स्कूलमें वह भी ..मीना पढ़ेगी वहाँ की फीस कौन देगा और
तुम्हारी तो पेंशन भी इतनी कम है ," कमला !!" बहुत तेजचिल्लाई थी दादी उस दिन और तब से मन में जो
गाँठे
लगी वह शायद अब तक न खुली क्योंकि चाचा भी मीनाको पब्लिक स्कूल में पढ़ाने के पक्ष में नहीं थे..
अगले दिन दादी ने चाचा चाची को घर खाली करने काआदेश दे दिया जब चाचा ने दादी को समझाया,"अम्मासारा मोहल्ला ,पड़ोसी रिश्तेदार क्या सोचेंगे, तुम्हारा दिमाग़
तो ठीक है!! दादो ने किसी की नहीं सुनी और उस दिनआँगन में दादी ने मीना को ईंट का टुकड़ा हाथ में देकर कहालिख बेटा मिट्टी में लिख अब मैं तुम्हें पढ़ाऊंगी लिखाउंगी
और मीना का दाखिला पास के सरकारी विद्यालय में करवा दिया...यही नही जब भी परीक्षा होती वह मीना के खाने पीने का भीध्यान रखती मीना तो बारहवीं कक्षा के बाद
नौकरी करना चाहती थी पर दादी ने कहा नहीं बेटे उच्च शिक्षा मैं अपने बेटे को तो नही दे पाई अब तू पढ़ ...लिख फिर तो मीना आगे पढ़ती गई बीए की पढ़ाई करते करतेउसे छात्रवृत्ति भी मिलने लगी , दादी अब अक्सर बीमार
भी रहने लगी वह कहती थी काश मीना तुझे डिग्री लेतेदेख पाती ..मीना इन विचारों में डूबी हुई थी कि उसने देखा चाचा चाची दोनों ही आए हुए हैं उनकी आँखे
भी आँसुओ से डबडबा रही थी ...मीना ने झट से उनके पैर छुए , चाची ने गले लगाते हुए कहा,"मीना हमें माफ करना बेटे अम्मा तो जाते जाते भी हमें माफ नहीं कर पाई ,हमने उस समय तुम्हें और अम्मा
को छोड़ा जब तुम लोगों को हमारी जरूरत थी" तब मीना ने कहा चाची मुझे तो आज भी आप लोगों की जरूरत है चलोडिग्री लेने के लिए स्टेज पर मेरा नाम पुकारा जा रहा है और मीना डिग्री लेने के लिए आगे बढ़ते हुए महसूस कर रहीथी दादी का स्नेह ,उनकी तपस्या उनका संघर्ष ...उनकी सीख ..उसे लगा आज सिर्फ़ डिग्री नहीं मिली बल्कि दादी का आशीर्वाद भी मिल गया है।