Kusum Lakhera

Fantasy

4.5  

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दृश्या का सपना

दृश्या का सपना

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कहते हैं अवचेतन मन चेतन मन से चौगुना बलशाली बुद्धिमान रचनात्मक एवं बहुत ही गुणी होता है और यही अवचेतन मन जब व्यक्ति निद्रा में मगन होता है तो सपनो की दुनिया मे ले जाता है और उसे ऐसे ऐसे सपनो की दुनिया मे ले जाता है जहाँ कभी खुशी कभी गम कभी डर कभी कल्पना कभी रोमांच की अनुभूति होती है आप सब सोच रहे होंगे कि इतनी बड़ी भूमिका क्यों बांधी जा रही है तो अब मैं अब आपको सर्वप्रथम कहानी की नायिका दृश्या के विषय मे बता दूं बहुत ही भोली भाली लड़की जो बेहद अंतर्मुखी है जिसके पास कुछ सुनहरी यादें हैं और ढेर सारे सपने हैं जो हरियाणा में अपनी मासी के साथ रह रही है

क्योंकि उसके माता पिता दोनों की मृत्यु एक सड़क हादसे में हो गई थी जब वह महज तीन साल की रही होगी इस कारण मासी ने उसे वह सब कुछ दिया मां का प्यार तो इतना उड़ेल दिया कि वह मासी को ही मम्मी कहने लगी पर

इस बात का उसे अफ़सोस रहता था कि मासी ने इसी ठोस वजह से शादी नहीं की दृश्या कई बार सोचती कि अगर वह हादसा न होता अगर आज उसके मां पिता होते तो अगर मासी भी शादी कर लेती खैर दृश्या की मासी एक कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर थी और दृश्या भी वहीं एम ए इतिहास की पढ़ाई कर रही थी सब कुछ ठीक ही था बस एक बात से मासी परेशान रहती थी कि दृश्या रात को सपने देखती थी और ये सपने उसे इतना परेशान कर देते थे कि दृश्या कभी भी अकेले कमरे में नहीं सोती थी न ही मासी उसे कभी सुलाती थी पर एक दिन बहुत जरूरी सेमिनार में मासी को जाना पड़ा और दृश्या घर में अकेली मासी ने जिद की,"दृश्या बेटा तुम भी चलो मेरे साथ क्योंकि एक दिन वहीं कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम है तुम्हारा भी मन बहल जाएगा "

दृश्य," नहीं मासी अब मैं बहुत बडी हो गई आप बेफिक्र जाओ सेमिनार से आओ में बच्ची नहीं हूं अपना ख्याल रखूंगी "

अतः:मासी तो चली गई और दृश्या घर में बिल्कुल अकेली मासी को तो कह दिया पर मन ही मन दृश्या ने अपने को समझाया दृश्या बिल्कुल नही डरना ओर किसी तरह रात के घड़ी में 12 बजे तो दृश्या ने सोने की तैयारी की पर आज नीद महारानी आने का नाम नहीं ले रही थी और दृश्या के मस्तिष्क में अनेके विचार घूमने लगे ........और नींद में ..सपनो के सफ़र में चल पड़ी दृश्या ने देखा वह तो बादलों पर मानो उड़ रही है और ये क्या वह तो धरती को छोड़कर किसी अद्भुत किसी अन्य ग्रह में आ गई जहाँ लोगों ने चमकीले कपड़े पहने हैं लोग आपस में न जाने कौन सी भाषा में बात कर रहे हैं पर जब ध्यान से सुना तो उसे समझ आ रही थी वे लोग कह रहे थे धरती के लोग बहुत बुद्धिमान हो रहे हैं वे निरन्तर विज्ञान की खोज से आगे बढ़ रहे हैं अगर ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं कि वह इस ग्रह में भी आ धमकेंगे ये सब सुनते ही दृश्या को लगा कि ये क्या ये तो एलियन्स हैं और ये हमारी धरती के लोगो के ज्ञान विज्ञान से असंतुष्ट है पर अब क्या किया जाए तभी दृश्या की नज़र एक बहुत बड़ी

मशीन की ओर गई जो देखने मे कुछ स्पेसशिप जैसा नजर आ रहा था तभी एक भयानक शक्ल वाला आदमी आया और उसने शायद अपने एक मुख्य सहायक को बुलाकर कहा कि आज तुम्हें इस मशीन से धरती पर जाना है और समस्त धरती के लोगों को मौत के घाट उतारना है और फिर सारी धरती पर हम राज करेंगे हा हा हा हा दृश्या को ये बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था वह मन ही मन सोचने लगी ,"

मुझे अपनी धरती को धरती के लोगो को बचाना है पर मैं क्या करूँ" फिर वह ठंडे दिमाग से सोचने लगी तभी उसके दिमाग मे एक उपाय सुझा ...यह ठीक रहेगा मन ही मन बड़बड़ाई सोचने लगी कि मुझ जैसी डरपोक लड़की भी अपनी धरती को बचाने का काम कर सकेगी ओर दुगने आत्मविश्वास से वह मशीन की ओर बढ़ी तो उसने देखा उसमे एक घड़ी लगी है जो समय दिखा रही थी 2020 उसने घड़ी के समय को बदल दिया और उस मशीन पर लगे हुए कम्प्यूटर के सारे प्रोगाम को भी बदल दिया जिसमें अब धरती के बारे में कोई भी सूचना नहीं थी अब दृश्या मशीन के बाहर आ गई और चुपके से देखने लगी अब आगे क्या होगा तभी वही भयानक शक्ल का आदमी मशीन के पास आया तो बहुत जोर से चिल्लाने लगा ये क्या हो गया सारी मेहनत खराब सारा सिस्टम मशीन का खराब हो गया अब हम धरती का कुछ बिगाड़ नहीं सकते यह सुनकर दृश्या को अच्छा लगा उसने गहरी साँस ली अब धरती सुरक्षित है ....पर ये क्या वह अपने सपनों की दुनिया में थी पर आज के इस सपने में वह डरी नहीं बल्कि उसने धरती को बचा लिया वह मन ही मन खुश थी क्योंकि सपने में उसने जो काम किया था वह गर्व की बात थी........और अकेले घर मे मासी के बिना सोना गौरव की बात है यह सोचते ही उसे हंसी आ गई तभी डोर बेल बजी, दृश्या दरवाजा खोल दरवाजा खुलते ही मासी से लिपट गई दृश्या।


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