रफ्तार

रफ्तार

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रवि कक्षा 10 में गया ही था कि वह रोज माँ से ज़िद करता, माँ मुझे एक्टिवा की चाबी दे दो मुझे चलाना है। माँ ने समझाया अभी तो भारतीय संविधान ने भी तुम्हें एक्टिवा हाथ में लेने के लिए नहीं कहा है। पहले इतने बड़े तो हो जाओ कि तुम एक्टिवा चला सको। रवि ने बोला "माँ स्कूल के सारे लड़के एक्टिवा चलाते हैं एक तुम ही हो जो मुझे हमेशा मना करती रहती हो।"

माँ को हमेशा डर रहता कि कहीं रविओर लड़कों की तरह एक्टिवा हाथ में आते ही रफ्तार ना पकड़ ले। उसने खुले शब्दों में रवि को कहा था 18 साल के होने के बाद तुम एक्टिवा क्या बुलेट ले लेना लेकिन अभी नहीं।


एक दिन की बात है माँ को किसी रिश्तेदार के घर नोएडा जाना था उसने रवि को कहा "रवि रिक्शे के पैसे ले लो तुम कल ट्यूशन खुद ही चले जाना, मुझे बुआ जी के घर नोएडा जाना है। ठीक है माँ मैं चला जाऊंगा रवि ने कहा। अगले दिन माँ नोएडा चली गई। रवि स्कूल से आकर, खाना खाकर ट्यूशन के लिए तैयार हुआ। उसकी नजर मेज पर पड़ी एक्टिवा की चाबी पर पड़ी। उसका मन ललचाया, उसने एक्टिवा की चाबी उठाई और सोचा माँ को कहां पता चलेगा कि मैंने एक्टिवा चलाई है। चुपचाप लाकर खड़ा कर दूँगा। उसने एक्टिवा स्टार्ट की और निकल पड़ा घूमने के लिए। उस दिन रवि ट्यूशन नहीं गया।

उसने सोचा कि आज दोस्तों के साथ सैर सपाटा करता हूं, माँ को पता ही नहीं चलेगा।‌ उसने अपने दोस्तों को फोन करके बुलाया। सब ने आनंद बेकरी पर मिलने की सोची। रवि जब स्कूटी चला रहा था तो स्कूटी की रफ्तार हवा से बातें करती, पीछे बैठा अमित उसको बार-बार कहता," थोड़ा धीरे चला अभी तू कच्चा है कहीं गिर ना जाए", अपने हाथ पैर भी तोडे़गा और मेरे भी।"

रवि बोला "अरे कुछ नहीं होगा डरपोक कहीं का।"

उसने पीछे मुड़कर यह बात कही थी कि अचानक उसके सामने एक कार आ गई और धड़ाम से आवाज़ आई दोनों कार के नीचे थे। रवि और अमित लहूलुहान थे। दोनों बेहोश हो गए थे। आसपास के लोगों ने मिलकर दोनों को अस्पताल पहुंचाया। अमित को 3 फ्रैक्चर आए थे। रवि जोकि मौत और जिंदगी से लड़ रहा था। मां ने जब रवि का फोन किया तो किसी ने बताया कि आपका बेटा अस्पताल में एडमिट है उसका एक्सीडेंट हुआ है। माँ के तो जैसे होश उड़ गए, माँ जैसे तैसे नोएडा से दिल्ली आती है।

बताए पते पर अस्पताल पहुंचकर उसने जब रवि और अमित को देखा तो अपने आप से यही सोचती रही कि जिस बात का डर था आज वही हो गया, मैं रवि को बार-बार समझाती थी कि यह तेज रफ्तार सही नहीं। पता नहीं आज के नवयुवक क्यों नहीं मां-बाप की बात समझते। रह रह कर रोती रही अमित की माँ रवि को बार-बार कोस रही थी कि रवि ने ही अमित को फोन करके घूमने के लिए बुलाया था। रवि की माँ के पास रोने के अलावा कुछ नहीं था ।


थोड़ी देर में डॉक्टरों ने जवाब दे दिया मस्तिष्क में अंदरूनी खून बहने के कारण रवि की मौत हो गई। रवि के माँ बाप बार-बार इसी बात के लिए तड़पते रहे कि क्यों उनका बेटा एक्टिवा लेकर निकला ? क्यों उसने तेज रफ्तार पकड़ी ? आज की युवा पीढ़ी क्यों अपने मां-बाप की बातों को अनदेखा कर देती है?

यह एक शाप बन कर रह गया उनकी जिंदगी पर।



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