खुद्दारी
खुद्दारी
रूपा की शादी हुए अभी 1 साल पूरा ही हुआ था की सोमेश को भारत से बाहर किसी दूसरी कंपनी में जॉब मिल गई और वह वहाँ चला गया। कह कर गया था कि जल्दी आएगा मगर दिन हफ्ता, हफ्ता साल और साल कई साल में बीत गए ।फोन पर तो फोन तो बात हो जाती जाती मगर जो तसल्ली सामने बैठ कर एक दूसरे को निहारने में थी वह अब न मिल पा रही थी ।
रूपा को अब यह कचोट ने लगा था ।एक तो पति पास नहीं दूसरा मां बाप की याद आती। ससुराल में अपने मन की बात किसी से कह भी ना पाती ,क्योंकि सोमेश अपने माता-पिता की इकलौती संतान था।
धीरे-धीरे करके सोमेश ने फोन करना भी कम कर दिया । कही से पता चला के सोमेश आफिस मे काम करने वाली महिला के साथ रहने लगा।
इधर रूपा का मन हुआ कि वह स्कूल की नौकरी शुरू कर दें।
सास ससुर को उसका नौकरी करना पसंद नहीं था। शुरू शुरू में उसे बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वह जब भी इंटरव्यू देने जाती तो सास घर के 50 काम पहले ही फैला कर रखती। लेकिन वह तब भी उन सारी चुनौतियों का सामना करते हुए अपना इंटरव्यू देने चली जाती ।आखिरकार वह दिन भी आ गया जब उसकी नौकरी लग गई ।
जिस स्कूल में वह पढ़ाती थी वहांँ पर पुरुष सहकर्मी भी थे ।कभी किसी काम के लिए यदि उनका फोन आ जाता तो सास कान लगाकर सुनती ।
सोमेश का फोन आने पर उसे भड़काती ।रूपा गैर मर्द से बात करती है। जबकि ऐसा कभी ना था।
सोमेश अपनी मांँ की कही बातों पर विश्वास करता ,रूपा जब उसको यह बताती कि यह बात सच नहीं है तो रूपा का बुरा भला कहता और कहता मेरी मांँ कयो झूठ बोलेगी?
अब धीरे-धीरे तकरार बढ़ने लगा।सोमेश ने यहांँ तक कह दिया कि तुम चरित्रहीन हो। रूपा को यह सब बर्दाश्त ना हुआ ।
उसने एक दिन अपनी सासू मांँ को आड़े हाथ लेते हुए कहा "यदि मेरी स्थिति में आप या आपकी बेटी होती तो तब भी चरित्रहीन होने का तमगा लगा देती आप"।
सास अपनी बहू के इस रूप से बौखलाई और उसके ऊपर हाथ उठाने की कोशिश । रूपा ने उनका हाथ पकड़ा और कहा हाथ मत उठाइए, हाथ उठाना मुझे भी आता है। आप अपनी बेटे की बदतमीजी को बर्दाश्त कर सकते हैं उसका किसी गैर औरत के साथ रहना, आपको मंजूर है मगर मेरा नौकरी करना आपको मंजूर नहीं।मैं बेवकूफ नहीं जो आप से मार खाऊ लेकिन हांँ यह जरूर कहूंँगी इज्जत की दो रोटी कमाती हूंँ और वही इज्जत समेटे हुई हूँ यदि मेरी जगह आप स्वयं होती तब क्या होता मैंने आपको मां समझा है माँ कया अपनी बेटी के चरित्र हनन करती है।
रूपा कहते हुए अपने रूम में जा जोर से रोने लगी । उसकी सासु मांँ को बुरा तो बहुत लगा मगर वह कुछ कह ना सकी।
रूपा ने अपना सारा सामान बांँधा और अपने मायके चली गई फिइ कभी ना लौटने के लिए।
