अस्मत
अस्मत
कल्याणी आज बहुत खुश थी क्योंकि उसके भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन था ।उसने भगवान को सुंदर वस्त्र पहनाए। भिन्न भिन्न व्यंजनों से उन्हें भोग लगाया । पूरे दिन का व्रत रखा। शाम को जब उसके भैया और भाभी ऑफिस से घर आए तो उसे मंदिर चलने की जिद की ।
कल्याणी के माता पिता की मृत्यु बचपन में ही हो चुकी थी। कल्याणी अपने बड़े भाई और भाभी के साथ रहती थी ।
कल्याण के प्रति उसकी भाभी का व्यवहार अच्छा ना था। परंतु वह फिर भी खुश रहती। कल्याणी उसका बड़ा भाई व भाभी सब मिलकर पास के श्री कृष्ण मंदिर गए।
श्री कृष्ण मंदिर में गए भगवान की भिन्न-भिन्न रूप में झांकी लगी हुई थी।भीड़ इतनी थी कि मानों पूरा बरेली शहर आज इसी मंदिर में आया हो।
अचानक किसी ने वहांँ पर बम की अफवाह फैला दी। सब जगह अफरातफरी होने लगी और तभी न जाने कुछ आदमियों ने कल्याणी का मुंँह दबोच कर उसे अपनी कार में बैठा लिया । उसे जब होश आया तो उसने स्वयं को स्वयं को निर्वस्त्र हालत में एक जंगल में पाया। उसे जल्द ही समझ आ गया था कि उसकी अस्मत लुट चुकी है। कल्याणी दर्द से कराह रही थी । जैसे तैसे खुद को छुपाती जंगल में से जो भी मिला उससे खुद के शरीर को ढकती धीरे-धीरे गिरती पड़ती सड़क के किनारे आई।
मगर जो कोई भी उसको देखता उसके साथ दुराचार करता। वह अब पागल हो गई थी उसको अब किसी भी बात की परवाह नहीं रही लोग. उसे पत्थर से मारते।वह न जाने कितनों का पाप अपने अंदर लिए घुमती।वह दिन भी आ गया जब उसे प्रसव पीड़ा शुरू हुई और वह उसी में मर भी ग ई । उसकी लाश को भी किसी ने छुना गवारा नहीं समझा।
क्या औरत की जिंदगी इतनी सस्ती है ?