हुआ अच्छा लॉक डाउन
हुआ अच्छा लॉक डाउन


सभी घर पर रहो स्वयं बचो औरों को बचाओ का नारा लगा रहे हैं मगर क्या यह नारा मेरे लिए भी है ? शुरू हो जाती हूंँ सुबह से कमर कस इस वायरस को हराने के लिए साफ-सफाई घर को चमकाती हूंँ कीटाणु दूर भगाती हूंँ। कपड़े धोना, नाश्ता बना, बर्तनों का पहाड़ साफ करती हूंँ क्योंकि बचाना चाहती हूंँ अपने परिवार को इस आतंक से कमर का बुरा हाल है हाथ फट गए बार-बार डिटॉल, विमबार, सफ से धुलाई, सफाई करते-करते । इस लॉक डाउन का अहम किरदार हूँ मैं कपड़े धोकर जब सुखाती हूंँ तो दोपहर के खाने की चिंता शुरू हो जाती है सब्जी काट तरकारी बना चपाती आटे से गिर जाती हूंँ सबको मिन्नतें कर समय पर खाना खिलाती हूंँ। फिर शुरू हो जाती हूंँ बर्तनों से जंग जीतने के लिए सूखे कपड़े समेटे ही थे कि बच्चों का रोना धोना शुरू हो जाता है।
उनके साथ खेली, उन्हें पढ़ा, सब बातों की जानकारी देती हूँ।। हम क्यों नहीं जा सकते बाहर खेलने? इस प्रश्न से तंग हो जाती हूँ। पति का ऑफिस घर पर खुला है एक कमरा उनके ऑफिस का वही बना है शोर मचाए बच्चे तो भाग कर भाग कर आ जाते हैं अरे मेरी कॉल चल रही, यह मुझे जताते हैं।। माता-पिता को न्यूज़ बहुत ही प्यारी है हर पल करोना की अपडेट उन्हें जारी है। कौन दुनिया में क्या चल रहा है सब पता करना है टीवी उनको एक पल के लिए नहीं छोड़ना है। बच्चे रो रो कर तंग कर तंग करते हैं हमारा कार्टून नहीं देखने देते दादा दादी यह बताते यह बताते हैं कैसे-कैसे इन को समझाते हूँ।
फिर शाम की चाय में जुट जाती हूंँ।।
लूडो खेला, कैरम खेला, कैरम खेला खेला और इससे उनका मन कहाँ भरता है। सब लेक्चर देते मुझे, इनको यह सिखा इनको वह सिखा, वह पढा खुद कुछ नहीं करना चाहते हैं सारा ज्ञान ठुस ठुस कर मुझ में भरना चाहते हैं तंग आकर दोबारा रुख करती हूंँ किचन का रात के खाने में लग जाती हूंँ फिर खाना बना सबको खिला कपड़े प्रेस करने लग जाती हूंँ लड़ाई भाई बहन में बात बात पर हो जाती है।। इनका अच्छा लॉक डाउन हुआ, शामत मेरी आती है। हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हूंँ मैं करो ना जी से आप दूसरे देश के निवासी हैं क्या काम यहांँ खत्म करो यह कोहराम् शामत तो मेरी आती है पल पल न ई जिम्मेदारी शुरू हो जाती है बस इससे ज्यादा क्या बताऊंँ यह सब बहनों की कहानी है हुआ अच्छा लॉक डाउन बनी मैं घर की नौकरानी हूँ।