इंसान एक खतरनाक बम
इंसान एक खतरनाक बम
कपिल कानपुर में रहने वाला सीधा साधा अपने काम से काम रखने वाला बहुत ही भला लड़का था ।उसकी अभी अभी पुलिस की जॉब लगी थी।
वह व उसका परिवार बहुत खुश था। वह अपने परिवार का सबसे छोटा बेटा था ।मांँ को कपिल से बहुत प्यारा था। वह अपनी मांँ से हमेशा कहता है " मांँ देख लेना एक दिन तेरे सारे तीर्थ ,सारी धर्म यात्राएंँ पूरी कराऊँगा ।माँ इस बात पर खिलखिला कर खूब हँसती।
कानपुर में अचानक ना जाने क्या हुआ ।हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल था। इसको मार उसको काट न जाने क्या क्या?
तभी अचानक घर के बाहर बहुत ज्यादा शोरगुल होने लगा कपिल दरवाजा बंद करने के बहाने जैसे ही बाहर गया, कुछ लड़कों ने उसको बाहर खींचा और वहांँ से न जाने कपिल कहाँ ले गए।उस समय घर पर सिर्फ मांँ और कपिल ही थे।
कपिल ने विरोध करने की कोशिश की, भागने की कोशिश की, मगर वह लोग उसको पकड़ कर न जाने कहांँ ले गए ।उन लोगों ने कपिल के शरीर का कोई भी ऐसा हिस्सा ना छोड़ा जहांँ उसको मारा ना हो ।
उन लोगों ने उसको इतना मारा के बेचारे के शरीर से प्राण ही निकल गए ।
उसकी आत्माशरीर से बाहर निकल वह तमाशा देख रही थी के कैसे लगातार वे लोग मरे हुए को भी मारे जा रहे थे ।
उसकी रूह वहांँ खड़े खड़े कांँप गई कि कैसे एक निहत्थे पर लगातार इतने वार कर सकता है ।जिसमें उसका कोई कसूर ही ना हो ।
वह रूह भगवान से मिलने के लिए ऊपर चली गई और भगवान से बोली "भगवान तेरी बनाई दुनिया में तूने एक बड़ा खतरनाक बम बनाया है जिसे इंसान कहते हैं।
न जाने कब और कहांँ फट जाता है कुछ पता ही नहीं चलता ।कब वह एक दूसरे का दुश्मन बन जाता है, कोई जानकारी नहीं रहती ।भगवान इसके बाद मुझे और कोई जीवन ना देना"।
कपिल की रूह ने भगवान में आत्मसात कर लिया।