रोजी मैम

रोजी मैम

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रोजी मैम हमारी टीचर थी हर समय खुश खिला खिलाकर बात करना और हम लोगों में घुलमिल जाना फिर पडाते समय एरदम कडक हो जाना उनकी आदत थी और हम लोगों को तो बस School उनकी वजह से ही जाना होता था।

वह ना आये तो लगता था कि कोई टीचर ही नहीं हैं। Hostel में भी वह हम लोगों की खूब परवाह करती। बाहर जाती तो कुछ ना कुछ हम लोगों के लिये ले ही। चाहे समोसा या चाकलेट जो वहाँ नहींं मिलता।

कभी बीमार हो जाये तो सारी रात सर सहलाती रहती। कंघे तक कटे बाल गरदन पर टैटू कुछ अलग ही दिखती थी। पता नहीं काहे ऐसा लगता था वह हम लोगों में अपनी बेटी तलाशती थी।

आज तो रोजी मैम हमारे बीच नहीं तो बहुत याद आती है। उनकी बाद में पता चला कि तलाकशुदा रोजी मैम को उनकी बेटी ने भी छोड दिया था और तभी हम लोगों सब कुछ भूली रहती थी। पता नहीं कुछ बढ़िया लोगों के साथ खुदा ऐसे कैसे कर पाता है।


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