Viral Rawat

Horror

4.1  

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"रैगिंग निषेध है।"

"रैगिंग निषेध है।"

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 मधु आज बहुत खुश थी। हो भी क्यूँ न। इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में ऑल इंडिया वन रैंक लाकर इस कॉलेज में पढ़ने आयी थी वो। हॉस्टल में अपने से अलग ब्रांच की दो सीनियर लड़कियों के साथ कमरा मिला उसे।

दोनों लडकियाँ, विशाखा और नम्रता बहुत ही चांडाल किस्म की लडकियाँ थीं। सिगरेट, दारू, पोर्न सब आम था उनके लिए जबकि छोटे शहर से आयी मधु के लिए ये सब पाप था।


वो दोनों लडकियाँ मधु को परेशान करने लगीं। वो कभी उसे जबरदस्ती बियर पीने को कहतीं तो कभी उसके अंगों से छेड़छाड़ करतीं।एक दिन मधु के सब्र का बाँध टूट गया। उसने कॉलेज के डायरेक्टर को मेल लिख दिया । डायरेक्टर ने तुरंत एक्शन लिया और दोनों लड़कियों को एक महीने के लिये निलंबित कर दिया।मधु को लगा की अब ये सुधर जायेंगीं इसलिए उसने कमरा नहीं बदला।


लेकिन वापस आने के बाद दोनों लड़कियों ने मधु को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। वो दोनों उसे बंधकर खूब मारती थीं, उसे सिगरेट से जलाती थीं और उसके अंगों को कसकर मसलती थीं जिससे वो कराह उठती थी लेकिन उसकी आवाज़ मुह में ठूँसे कपड़े तक ही रह जाती थी। उन्होंने मधु को धमकी दी की अगर ये बात किसी को पता चली तो तू जान से जायेगी। मधु ने पहले दिन ही दोनों के पास हॉकी, छूरा आदि चीजें अलमारी में पड़ी देखीउसने रूम बदलने की अर्जी दी लेकिन वार्डन ने कहा की ६ महीने एक कमरे में रहने के बाद ही कमरा बदल सकते हैं।


बेचारी मधु अब कमरे में कम ही जाती थी। वो या तो लाइब्रेरी या अपनी किसी सहेली के रूम में रूक जाती लेकिन कॉमन रूम होने की वजह से सोने के लिए उसे अपने रूम में ही जाना पड़ता।एक दिन मधु अपने कमरे में गयी तो देखा दोनों लडकियाँ शराब के नशे में सराबोर होकर बिना कपड़ों के ही नाच रही थीं। उन्होंने मधु को देखा तो उसके भी कपडे फाड़ दिए और अपने साथ जबरदस्ती नचाने लगे। मना करने पर भी दोनों नहीं मानी और मधु को बेड पर लिटाकर अश्लील हरकतें करने लगीं। मधु उस दिन पूरी तरह टूट गयी। उसी रात जब दोनों दुष्टा नशे में धुत्त घोड़े बेचकर सो रही थी, मधु ने कमरे में ही फाँसी लगाकर अपनी जीवन-लीला समाप्त कर ली। एक होनहार छात्रा के जीवन का इस तरह अंत होना दुखद था। लेकिन इस कलयुगी संसार में "दुखद" से भी बुरे कुछ शब्द हैं जैसे "भयानक"।


सुबह जब विशाखा और नम्रता ने मधु की लाश लटकती देखी तो दोनों के होश उड़ गये। उन दोनों ने बॉडी को नीचे उतारकर छुरे से उसके छोटे-छोटे महीन टुकड़े करके कुछ तो कमोड में बहा दिए और बड़ी हड्डियों को मधु के सूटकेस में भरकर ऊपर से उसके कपड़े भरकर रेलवे स्टेशन के पीछे कूड़े के ढेर में फ़ेंक दिया। आजकल रेडियो-टैक्सी ज़माने में गाड़ियाँ बच्चों को कैंपस के अन्दर से ही ले जाती- ले आती हैं इसलिए कौन-कब-क्या ले जा रहा है इसकी कोई जाँच नहीं होती। दोनों ने मधु का फ़ोन बंद कर दिया और सिम तोड़कर फमधु की सहेलियों द्वारा पूछे जाने पर दोनों ने बताया की उसकी तबियत ख़राब थी तो वो घर चली गयी।कुछ दिन बाद मधु के घरवाले उसे ढूँढते हुए आये।रूम के दरवाजे पर उन्हें देखते ही दोनों लड़कियों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी। वो दोनों कुछ बोल पातीं इससे पह्ले ही मधु के पापा ने दोनों लड़कियों को हटाते हुए दौड़कर मधु को गले लगा लिया। 


लड़कियों को तो जैसे सांप सूंघ गया। ये....ये ...मधु कहाँ से आ गयी। इस....इसको तो हम...हमने..।नहीं नहीं...ये....ये....कैसे हो सकता है?...ये नहीं हो सकता।

खैर, शाम को कैंपस वगैरह घुमाकर, खाना खिलाकर मधु ने घरवालों को रवाना किया।

रात में दोनों एक ही बेड पर लेटे हुए दूसरे बेड पर लेटी मधु को एकटक देखें जा रही थीं जबकि मधु ऊपर की ओर देख रही थी। इसी बीच दोनों को कब नींद आ गयी पता नहीं चला।


सुबह नम्रता उठी तो देखा मधु कमरे में नहीं थी। उसने विशाखा को जगाया। दोनों एक साथ बाथरूम गये। विशाखा ब्रश करने लगी। नम्रता ने दीर्घ शंका से निवृत्त होने के लिए जैसे ही कमोड का ढक्कन उठाया तो दंग रह गयी। उसकी घिग्घी बंध गयी। कमोड में मांस के टुकड़े तैर रहे थे। उसने विशाखा को आवाज़ दी तो वह दौड़कर आयी। उसने ढक्कन उठाकर देखा तो कुछ नहीं था। खैर नम्रता के फ्रेश होने के बाद विशाखा नहाने गयी। उसने जैसे ही नहाने के लिए शावर चलाया उसमे से पानी की जगह खून की धार निकलने लगी। वो जोर से चीखी तो नम्रता भागी। उसने जाकर देखा तो विशाखा बेहोश पड़ी थी। उसे उठाकर नम्रता बेड तक लायी। उसने विशाखा के गीले कपडे निकले और अलमारी से तौलिया निकालने गयी। जैसे ही उसने अलमारी खोली उसकी चीख निकल गयी। अन्दर मधु का कटा सर रखा था। नम्रता दरवाजा खोलकर बाहर भागने लगी लेकिन उसका कोई फायदा नहीं था। आज वो दरवाजा खुलने वाला नहीं कुछ देर के संघर्ष के बाद नम्रता भी बेहोश हो गयी।


दोनों को होश आया तो उन्होंने मधु को कमरे में अनुपस्थित पाया। दोनों भागकर बाहर गये। बाहर उन्होंने जिस किसी को भी इस घटना के बारे में बताना चाहा मधु उनके बगल में खड़ी मिली। खाने में उनको वही मांस के टुकड़े दिखाई दिए। पानी की जगह सुर्ख रक्त ने ले ली थीदोनों थक हारकर वापस अपने कमरे में आकर सो गयीं। दोनों ने काफी पी रखी थी। रात को अचानक उन्हें महसूस हुआ की किसी ने उन दोनों के हाथ पैर बाँध दिए हैं। आंख खुली तो सामने मधु को खड़ा पाया। सामने का मंज़र देखकर दोनों के रोंये काँप गये। रीढ़ की हड्डी तक में सिहरन दौड़ गयी। कलेजा मुंह को आ गया। दोनों का दम घुटने लगा।मधु का सिर्फ धड़ ही हाथ में वही छुरा लिए खड़ा था, उसका सर तो उन दोनों के सीने के ठीक ऊपर हवा में तैर रहा था।उसमें से लगातार खून टपक रहा था। वो दोनों लड़कियों का मांस नोच-नोचकर खा रहा था और बीच-बीच में कुछ बुदबुदा रहा था। वो क्या बोलना चाह रहा था वो सही से सुनाई नहीं दे रहा था बस बार-बार यही दोहरा रहा था-"रैगिंग निषेध है।"


अगले दिन दोनों लड़कियों की लाश उसी कमरे की छत से लटकती मिली। दोनों के अंग छिन्न-भिन्न थे। पूरे कमरे में हर जगह उन दोनों के खून से एक ही वाक्य लिखा था-"रैगिंग निषेध है।"


उस दिन के बाद से मधु की आत्मा उस हॉस्टल में भटक रही है और जब भी कोई लड़की किसी मासूम की रैगिंग लेती है तो अगले दिन उसकी लाश के साथ कमरे में लिखा मिलता है-"रैगिंग निषेध है।"


 




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