Viral Rawat

Tragedy

3.7  

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रिश्तों का भ्रम

रिश्तों का भ्रम

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कैलाश मार्तंडे सेना से रिटायर्ड एक ऑफिसर थे। उनके घर में एक पत्नी और एकलौती बेटी थी जिसकी ४ साल पहले उन्होंने शादी कर दी थी। उनकी बेटी उनकी लाडली थी। वो हमेशा अपने पापा से कहती-

"तो क्या हुआ अगर आपको बेटा नहीं है तो। पापा! मैं आपका बेटा बनकर दिखाउंगी। सेवानिवृत्त होने के बाद आप दोनों मेरे घर पर आ कर ही रहना।"

कैलाश हँसकर टाल देते। हाल ही में कैलाश की पत्नी का देहावसान हो गया। उसके बाद वो बहुत दुखी रहने लगे। कुछ दिन बाद उन्होंने सोचा कि चलो एक दो दिन बेटी के यहाँ हो आता हूँ। हाल-खबर भी मिल जायेगी और मेरा मन भी बहल जायेगा।

अगली सुबह वो बेटी के घर पहुँचे। उसने कैलाश की खूब आवभगत की। संयोगवश दो दिन बाद ही कोरोना नामक विषाणुजनित संक्रमण के कारण सभी यातायात सेवायें बंद हो गयी। अब चाह कर भी कैलाश अपने घर नहीं जा सकते थे। शुरू में तो सब ठीक रहा लेकिन जैसे-जैसे लॉकडाउन बढ़ता गया, कैलाश की बेटी और उसके ससुरालवालों का व्यवहार भी बदलता गया। वो लोग कैलाश को ताने देने लगे और उनमें सबसे आगे उनकी खुद की ही बेटी थी---

" पापा को जरा भी ख्याल नहीं आया की महामारी फैली है। हर तरफ बंदी है राशन वगैरह का बमुश्किल बंदोबस्त हो पा रहा है। लेकिन उससे इन्हें क्या, ये तो बस मुँह उठाये चले आये मेरी छाती में मूंग दलने।"

ऐसे ही एक दिन उन लोगों ने कैलाश को घर से भगा दिया। वो रोते गिड़गिड़ाते रहे की इस बंदी में मैं कहाँ जाउँगा लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी। अंततः वो वहाँ से चले गये। रेलवे स्टेशन पर पहुँचकर एक बेंच पर बैठकर वो फूट-फूटकर रोने लगे। रेलवे पुलिसकर्मियों ने उनसे वहाँ बैठने का कारण पूछा तो वो रुंधे गले से बोले---

"रिश्तों के भ्रम में उलझकर यहाँ आ पहुँचा। मुझे नहीं पता था की एक पिता जिसने अपनी एकलौती संतान को इतने लाडों से पाला, एक दिन वो ही उसे खुद पर बोझ कहकर अपने घर से बेइज्ज़त करके निकाल देगी।"

पुलिसकर्मियों ने अपने फ़ौजी भाई को सुरक्षित उनके घर पहुँचा दिया और उस दिन के बाद कैलाश ने अपनी अंतिम साँस तक कभी अपनी बेटी का मुँह नहीं देखा।



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